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अजीबो—गरीब मामला : रेपिस्ट को तीन बार मिली फांसी की सजा, अब घूम रहा जेल के बाहर

करीब 11 साल तक जेल में सजा काट चुका आरोपी, दो बार ट्रायलकोर्ट और एक बार हाईकोर्ट से फांसी की सजा पा चुके व्यक्ति को ट्रायल कोर्ट ने अंतिम सुनवाई में दोषमुक्त कर दिया।

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Court news

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खंडवा. दो बार ट्रायलकोर्ट और एक बार हाईकोर्ट से फांसी की सजा पा चुके व्यक्ति को ट्रायल कोर्ट ने अंतिम सुनवाई में दोषमुक्त कर दिया। राहत के लिए आरोपी के अधिवक्ता सुप्रीमकोर्ट तक गए। लंबे संघर्ष के बाद उन्हें राहत मिली। इस दौरान आरोपी करीब 11 साल तक जेल में सजा काट चुका है। अब उसे अदालत ने दोषमुक्त करार दिया।

ऐसे 11 साल सलाखों में बीते

जिले के खालवा क्षेत्र के रहने वाले आरोपी अनोखीलाल पर 01 फरवरी 2013 को बालिका से रेप व हत्या के मामला दर्ज हुआ था। इस मामले में पॉक्सो कोर्ट ने घटना के करीब एक महीने बाद ही 4 मार्च 2013 फांसी की सजा सुना दी। जिले का पॉक्सो एक्ट में दर्ज होने वाल यह पहला ही मामला था। आरोपी के अधिवक्ता वीरेंद्र वर्मा ने बताया कि वे इस फैसले के खिलाफ हाईकोर्ट गए तो वहां से भी उन्हें राहत नहीं मिली, हाईकोर्ट ने भी फांसी की सजा को बरकरार रखा। हाईकोर्ट के फैसले के खिलाफ आरोपी ने सुप्रीमकोर्ट का रुख किया। सुप्रीम कोर्ट ने 31 दिसंबर 2019 मामले की दुबारा ट्रायल करने का ओदश दिया। सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर न्यायालय विशेष पाक्सो एक्ट में फिर से ट्रायल चला, सुनवाई पूरी होने के बाद डीएनए साक्ष्य को आधार मानते हुए कोर्ट ने 29 अगस्त 2022 को फिर से अनोखी को फांसी की सजा सुना दी।

दूसरी बार हाईकोर्ट में चैलेंज किया

आरोपी के अधिवक्ता ने इसे दूसरी बार हाईकोर्ट में चैलेंज किया, वहां डीएनए की सैपलिंग प्रक्रिया और डीएनए परीक्षण करने की प्रक्रिया, साक्ष्य पर सवाल उठाए। हाईकोर्ट ने आरोपियों के दावे का सही मामते हुए 4 अगस्त 2023 को मामले को तीसरी बार ट्रायल कोर्ट में भेज दिया। विशेष पाक्सो एक्ट न्यायाधीश के यहां फिर सुनवाई हुई। डीएनए परीक्षण करने वाले सागर व भोपाल से अधिकारियों ने गवाही दी। कोर्ट ने माना कि नमूना जब्ती व सीलबंद करने में कई खामियां हैं। इसलिए डीएनए रिपोर्ट को प्रमाणिक नहीं मान सकते।

इसके आधार पर कोर्ट ने 29 अगस्त 2022 में दिए गए अपने ही फैसले को बदलते हुए अनोखी को बरी कर दिया। जिला अभियोजन अधिकार चंद्रशेखर कुमलवार ने बताया कि उन्हें फैसले की कॉपी नहीं मिली है। इसका अध्ययन करने के बाद अपील के बारे में निर्णय लिया जाएगा।