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तत्कालीन सीएमएचओ के कार्यकाल में हुआ था मिशन अस्पताल की कैथ लैब का पंजीयन

-कलेक्टर की जांच रिपोर्ट के आधार पर लोक स्वास्थ्य एंव चिकित्सा शिक्षा आयुक्त ने विभागीय जांच के दिए आदेश
-१५ दिन में पक्ष रखने का मौका, नहीं तो होगी एक पक्षीय कार्रवाई

दमोहMay 20, 2025 / 11:40 am

आकाश तिवारी


एक्सक्लूसिव
दमोह. मिशन अस्पताल में फर्जी कॉर्डियोजिस्ट की डिग्री के सहारे डॉ. नरेंद्र यादव की नियुक्ति और फर्जी दस्तावेजों के आधार पर कैथलैब के पंजीयन मामले में शासन स्तर से एक और बड़ी कार्रवाई की गई है। मामले में लोक स्वास्थ्य एंव चिकित्सा शिक्षा आयुक्त ने तत्कालीन मुख्य चिकित्सा एंव स्वास्थ्य अधिकारी डॉ. सरोजनी जेम्स बेक की विभागीय जांच के आदेश दिए हैं। दिए गए आरोप पत्र में इस पूरे मामले का दोषी पाया है।
बता दें कि डॉ. जेम्स बेक वर्तमान में देवास जिले में मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी के पद पर पदस्थ हैं। फर्जी कॉर्डियोलॉजिस्ट डॉ. नरेंद्र यादव की मिशन अस्पताल में नियुक्ति और कैथलैब का पंजीयन डॉ. जेम्स बेक के कार्यकाल में हुआ था। शासन ने उनके विरुद्ध मध्य प्रदेश सिविल सेवा, वर्गीकरण नियंत्रण एवं अपील नियम, 1966 के नियम, 14 के अंतर्गत आरोप के संबंध में अभिकथन पत्र लगाए हैं।
-आरोप पत्र में इन बातों का है उल्लेख
१-कृष्णा पटेल, निवासी बरी ने 20 फरवरी 2025 को कलेक्टर से शिकायत कर मिशन अस्पताल में एक फर्जी डॉक्टर की नियुक्ति, मरीजों के साथ धोखाधड़ी, गलत उपचार के कारण कई मरीजों की मृत्यु हो जाना और आयुष्मान योजना के माध्यम से शासन एवं मरीजों से अवैध रूप से धन वसूली संबंधी गंभीर आरोप लगाए थे।
-२२ मार्च २०२५ को कलेक्टर ने मामले की जांच कराई और जांच प्रतिवेदन विभाग को भेजा था। इसमें बताया गया कि मिशन अस्पताल को कैथ लेब का लाइसेंस 23 दिसंबर 2023 को जारी किया गया था, तब उक्त अवधि में डॉ. सरोजनी जेम्स बैंक मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी के पद पर पदस्थ थी। कैथ लैब का लाइसेंस जारी किए जाने से पूर्व पंजीयन की प्रक्रिया के दौरान तकनीकी जांच, पात्रताओं का मूल्यांकन एवं दस्तावेजों का विधिवत सत्यापन समुचित रूप से डॉ. सरोजनी जेम्स बैंक को करना था,जो आपके द्वारा नहीं किया गया।
३-जिले में पंजीकृत निजी स्वास्थ्य संस्थाओं का निरीक्षण कर अधिनियम नियम के प्रावधानों का पालन करना है। मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी को इस हैसियत से मिशन अस्पताल की जांच करना थी। ऐसा न किए जाने से फर्जी डॉक्टर की नियुक्ति हुई। साथ ही कई लोगों की जाने गईं। इससे विभाग की छवि धूमिल हुई है।
-क्लर्क को हटाया जा चुका है
इस मामले में क्लीनिक स्टेब्लिसमेंट एक्ट के तहत गठित दल में शामिल क्लर्क दीपक जैन को दल से हटा दिया गया है। उनकी जगह सीएमएचओ कार्यालय में पदस्थ एक लिपिक को टीम में शामिल किया है।
वर्शन
जांच रिपोर्ट मैंने शासन को भेज दी थी। शासन ने उसका अध्ययन किया है। इस लापरवाही में जो भी लिप्त हैं। उन सभी पर कार्रवाई की जा रही है।

सुधीर कुमार कोचर, कलेक्टर दमोह

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