जानकार सूत्रों के अनुसार परबतसर की तीन तो मूण्डवा, मेड़ता रोड और डीडवाना की एक-एक दुकानें अब तक नीलाम नहीं हुई हैं। इसके लिए छह-सात बार तो प्रयास किए जा चुके हैं। बार-बार निविदा की मुनादी करवाई जा रही है फिर भी इनके खरीदार नहीं मिल पा रहे। अब इनके लिए बारह नवम्बर तक आवेदन मांगे गए हैं। पहले से ही नहीं उठ रही इन दुकानों पर सरकार ने तीस फीसदी की छूट दे दी। बावजूद इसके शराब ठेकेदार इससे आधी रकम में ही यह दुकान लेने को तैयार हो रहे हैं। नागौर (डीडवाना-कुचामन) जिले की 277 दुकानों में से ये छह दुकानें बाकी रही हैं। जून में शुरू हुई नीलामी प्रक्रिया नवम्बर का पहला हफ्ता बीतने के बाद भी पूरी नहीं हो पाई।
ठेकेदार इन दुकानों पर पचास से साठ प्रतिशत की टूट/छूट मांग रहे हैं। ठेकेदारों का अपना तर्क है कि वैसे ही चार-साढ़े चार माह बाकी हैं। ऐसे में सरकार जो रकम मांग रही है वो घाटे का सौदा है। इधर, आबकारी के उच्च अधिकारी किसी भी तरह से झुकने को तैयार नहीं हैं जबकि उनके ऐसा नहीं करने से भी सरकार को नौ-दस करोड़ का नुकसान हो रहा है। अबकी नीलामी में इन दुकानों के उठ जाने से यह घाटा करीब आधा कवर हो सकता है। इस बार अप्रेल के बजाय जुलाई से नौ माह तक का नए ठेकेदारों को ठेका दिया गया है। इन आधा दर्जन दुकानों के नहीं उठने की एक वजह यह भी है कि इनके आसपास की दुकानें उठ चुकी हैं, सरकार की तय रकम पर कोई इसे लेने को तैयार नहीं है।
राहत का नहीं निकल रहा नतीजा, हाल जस के तस वैसे जो आबकारी अधिकारी/कार्मिकों को बकायादारों के घर जाकर ब्याज व रियायत पर सरकार की ओर से दी गई छूट (एमनेस्टी योजना) का लाभ बताकर रकम देने के लिए प्रेरित करने को कहा है। जिलेभर में इन शराब ठेकेदारों पर करीब 75 करोड़ का बकाया है, यह एमनेस्टी योजना 31 दिसम्बर तक जारी है। 31 मार्च 2018 तक के सभी बकाया मामलों में केवल एक चौथाई राशि जमा करानी होगी। एक अप्रेल 2018 से 31 मार्च 2022 तक मूल बकाया में पचास फीसदी की छूट यानी सिर्फ बिना ब्याज का आधा ही जमा कराना है। एक अप्रेल 2022 से 31 मार्च 2024 तक बकाया राशि पर ब्याज पूरा माफ किया है। वर्ष 2023-24 के ही करीब साठ बकायादार हैं। इसके पहले के भी कई बकायादारों ने रकम नहीं जमा कराई है।
अवैध पर सख्ती तो वैध का स्टॉक सूत्रों के अनुसार चुनाव आचार संहिता के चलते अवैध शराब के कारोबार पर पहले ही सख्ती है। पुलिस के साथ आबकारी विभाग भी इधर-उधर नाकाबंदी/दबिश देकर इस पर अंकुश लगा रहा है। बताया जाता है कि चुनाव नजदीक है और जल्द ही सूखा दिवस की घोषणा होते ही वैध शराब का स्टॉक जमा होना शुरू हो गया है।
इनका कहना… समय कम है, कोशिश तो यही है कि ये दुकानें उठ जाएं। छह-सात बार इसके प्रयास हो चुके हैं, संभवतया इस बार सभी दुकानें नीलाम हो जाएं। कुछ बकायादार तो राशि जमा करा रहे हैं। अवैध शराब बिक्री पर अंकुश लगा रहे हैं। नकली शराब के लिए भी दबिश देते हैं।
-मनोज बिस्सा, जिला आबकारी अधिकारी, नागौर