7 दिसंबर 2025,

रविवार

Patrika LogoSwitch to English
home_icon

मेरी खबर

icon

प्लस

video_icon

शॉर्ट्स

epaper_icon

ई-पेपर

राम का विरोध करने वालों को मरने पर राम नाम का ही सहारा रहेगा

राम का विरोध करने वालों को मरने पर राम नाम का ही सहारा रहेगाप्रेमभूषण जी महाराज ने कहा

2 min read
Google source verification

image

Shailendra shirsath

Feb 25, 2023

,

राम का विरोध करने वालों को मरने पर राम नाम का ही सहारा रहेगा,राम का विरोध करने वालों को मरने पर राम नाम का ही सहारा रहेगा

इंदौर. श्रीराम चरितमानस में भगवान भोलेनाथ का कहा हुआ यह सिद्धांत है कि जिस कुल में सीताराम में आस्था रखने वाले भगत का जन्म हो जाता है, वह कुल धन्य
हो जाता है। ठीक इसी प्रकार भगवान राम का विरोध या निंदा करने वाले के कुल का नाश सुनिश्चित हो जाता है। उक्त बातें सांवेर में जारी नौ दिवसीय श्रीराम कथा के
सातवें दिन प्रेममूर्ति पूज्यश्री प्रेमभूषण महाराज ने व्यासपीठ से कथा वाचन करते हुए कहीं। रामकथा के माध्यम से भारतीय और पूरी दुनिया के सनातन समाज में अलख
जगाने के लिए सुप्रसिद्ध कथावाचक प्रेमभूषण महाराज ने कहा कि आजकल भगवान राम का विरोध करके राजनीति चमकाने का एक नया ट्रेंड चल पड़ा है। भगवान राम को लेकर राजनेताओं के अनर्गल प्रलाप को सुनकर चुपचाप रह जाने का दौर खत्म हो चुका है। राम का विरोध करने वाले लोगों को भी मरने पर राम नाम सत्य है का ही आसरा रहेगा। वरना ऐसे लोगों की आत्मा भटकती रहेगी और उन्हें मुक्तिनहीं मिलेगी। सातवें दिन के कथा प्रसंगों के क्रम में महाराज ने कहा कि भारत की सनातन संस्कृति में जिस सहनशीलता को कभी बहुत बड़ा गुण समझा जाता था, वहीं कुछ वर्ष पहले तक हमारी कमजोर नस बन चुकी थी। कोई भी मुंह उठा कर सनातन धर्म के बारे में अनर्गल प्रलाप कर लिया करता था। लेकिन अब ऐसा संभव नहीं है। समय बदल चुका है और इसका परिणाम भी सामने आ रहा है। भगवान श्रीराम की वन प्रदेश मंगल यात्रा प्रसंग में केवट से मुलाकात तक के कथा प्रसंगों का गायन करते हुए पूज्य महाराज ने दर्जनों भजन
सुनाए। पूज्यश्री ने कहा कि आसुरी शक्तियों के समापन के लिए ही भगवान श्रीराम ने वन प्रदेश की मंगल यात्रा का कार्यक्रम खुद तय किया था। उन्होंने राज्य सत्ता संभालने से पहले आसुरी शक्तियों का काम तमाम किया। रामजी से हमारी युवा पीढ़ी को यही सीख लेने की आवश्यकता है कि युवा अवस्था में जो तपता है उसी का जीवन सफल होता है। आराम तलब युवा का जीवन खुद-ब-खुद अस्त-व्यस्त हो जाता है। इसी प्रकार से मानस से हमें यह भी सीखने की जरूरत है कि उचित समय आने पर अपने अधिकार का तुरंत हस्तांतरण करना चाहिए। जैसे दशरथजी ने रामजी को युवराज पद देने के बारे में सोचा था। उसी प्रकार प्रौढ़ावस्था आने के साथ ही व्यक्ति को योग्य उत्तराधिकारी को अपने अधिकार सौंपने के बारे में तुरंत निर्णय लेना चाहिए। सातवें दिन की कथा का श्रवण करने के लिए दर्जनों विशिष्ट जन उपस्थित रहे। हजारों की संख्या में उपस्थित श्रोतागण महाराज द्वारा गाए गए गीत और भजनों पर घंटों झूमते और नृत्य करते रहे।मुख्य अतिथि के रूप में श्री राधे-राधे बाबा,मुकेश टटवाल महापौर उज्जैन, विनोद अग्रवाल, पुरुषोत्तम पासारी विशेष रूप से उपस्थित थे।