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पश्चिमी बायपास…..जांच की एक माह की समय सीमा समाप्त, अब होगी कार्रवाई

भोपाल. पश्चिमी बायपास को लेकर जांच की समय सीमा पूरी हो गई है। भारत सरकार के तकनीकी अधिकारी वानिकी डॉ. योगेश गैरोला ने वेटलैंड व वन भूमि में बायपास प्रस्तावित करने को लेकर जांच के आदेश दिए थे। 16 मई 2024 से इसकी जांच शुरू करने पीएस फॉरेस्ट को कहा था। एक माह का समय […]

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भोपाल. पश्चिमी बायपास को लेकर जांच की समय सीमा पूरी हो गई है। भारत सरकार के तकनीकी अधिकारी वानिकी डॉ. योगेश गैरोला ने वेटलैंड व वन भूमि में बायपास प्रस्तावित करने को लेकर जांच के आदेश दिए थे। 16 मई 2024 से इसकी जांच शुरू करने पीएस फॉरेस्ट को कहा था। एक माह का समय दिया था जो 16 जून को समाप्त हो गई। अब जांच की रिपोर्ट को कंपाइल किया जा रहा है। भारत सरकार को आगामी कार्रवाई के लिए रिपोर्ट भेजी जाएगी।

प्रोजेक्ट से रामसर तमगे को खतरा

  • रामसर कन्वेशन तक इस बायपास की शिकायत पहुंची। यहां से भारत सरकार को बकायदा पत्र लिखकर कहा गया है कि यदि रामसर साइट भोजवेट लैंड के एफटीएल व कैचमेंट में किसी तरह की छेड़छाड़ की गई तो फिर नए सिरे से इसके रामसर साइट की श्रेणी पर विचार किया जाएगा। जाहिर है, यह तमगा छीन भी सकता है।

वेटलैंड सिटी में रोड़ा बन सकता है बायपास

  • भोजवेट लैंड बड़ा तालाब के 12 गांवों व छह गांवों के सघन वन क्षेत्र से प्रस्तावित 3000 करोड़ रुपए का बायपास भोपाल के वेटलैंड सिटी बनने की राह में भी रोड़ा बन सकता है। अभी देश की तीन प्रस्तावित वेटलैंड सिटी में भोपाल का नाम है। केंद्र सरकार की ओर से ये प्रस्ताव भेजा गया है। अभी वेटलैंड टीम का निरीक्षण बाकी है। यदि वेटलैंड में किसी तरह का निर्माण या गड़बड़ी की स्थिति दिखी तो फिर ये शहर को अंतरराष्ट्रीय पहचान के लिए परेशानी का सबब बन सकता है।

एक्सपर्ट कोट्स

  • भोपाल ताल-तलैयाओं व हराभरा शहर है। निर्माण के लिए शहर का दूसरा हिस्सा तय किया जा सकता है। जहां तालाब, ग्रीनरी है उसे प्रकृति के साथ ही विकसित होने देना चाहिए। इसमें छेड़छाड़ से बायो डायवर्सिटी खराब होगी।
  • डॉ. राजेश सक्सेना, वरिष्ठ वैज्ञानिक पर्यावरण