जलवायु संकट पर निर्णायक मंथन
एक्सप्लेन
जलवायु परिवर्तन की चुनौती आज वैश्विक अस्तित्व के लिए सबसे बड़ा खतरा बन चुकी है। ऐसे में जर्मनी के बॉन शहर में 16 जून से शुरू हुआ वार्षिक बॉन जलवायु परिवर्तन सम्मेलन एक बार फिर इस वैश्विक संकट के समाधान की दिशा में उम्मीदें जगा रहा है। यह सम्मेलन 26 जून तक चलेगा और इसमें 5,000 से अधिक सरकारी प्रतिनिधि, वैज्ञानिक, अंतरराष्ट्रीय संगठन, और सिविल सोसायटी के सदस्य भाग ले रहे हैं।
क्या है बॉन सम्मेलन
यह सम्मेलन संयुक्त राष्ट्र जलवायु परिवर्तन फ्रेमवर्क कन्वेंशन (यूएनएफसीसीसी) के तहत हर साल जून में आयोजित होता है। इसे आधिकारिक रूप से सहायक निकायों के सत्र (सेशंस ऑफ सबसिडियरी बॉडीज) कहा जाता है। यह सीओपी (कांफ्रेंस ऑफ द पार्टीज) के समानांतर यूएनएफसीसीसी का दूसरा प्रमुख मंच है।
उद्देश्य क्या है
इस सम्मेलन का मुख्य उद्देश्य तकनीकी और वैज्ञानिक चर्चाओं के जरिए आगामी सीओपी बैठक (जो आमतौर पर नवंबर में होती है) के लिए एजेंडा तय करना होता है। साथ ही पिछली सीओपी में लिए गए निर्णयों की प्रगति की समीक्षा भी की जाती है।
किनकी रहेगी प्रमुख भूमिका
सम्मेलन का नेतृत्व यूएनएफसीसीसी की दो स्थायी सहायक इकाइयां करती हैं —
1. क्रियान्वयन के लिए सबसिडियरी बॉडी (एसबीआइ): क्रियान्वयन और विकासशील देशों को तकनीकी और वित्तीय सहायता पर चर्चा।
2. वैज्ञानिक और तकनीकी सलाह के लिए सबसिडियरी बॉडी (एसबीएसटीए): जलवायु परिवर्तन पर अंतरसरकारी निकाय (आइपीसीसी) के वैज्ञानिक सलाहकारों और नीति-निर्माताओं के बीच सेतु का कार्य।
इस साल क्या है खास
'ग्लोबल गोल ऑन अडेप्टेशन' (जीजीए) पर विशेष फोकस रहेगा — यह जलवायु अनुकूलन के लिए वैश्विक लक्ष्य तय करने की दिशा में एक बड़ा प्रयास है। यह पहल 2015 के पेरिस समझौते में शुरू हुई थी, लेकिन सीओपी28 (दुबई) में जाकर इसके लिए रूपरेखा तय हो सकी। अब बॉन सम्मेलन में इसे लागू करने की रणनीति पर चर्चा होगी।
क्या बदलेगा कुछ
इस बार की बातचीत तकनीक से कहीं आगे जाकर जलवायु न्याय, पारदर्शिता और जमीनी कार्यान्वयन पर केंद्रित है। विशेषज्ञों की मानें तो यदि यहां की सिफारिशें गंभीरता से ली गईं, तो यह सम्मेलन आने वाली सीओपी में निर्णायक भूमिका निभा सकता है।
Published on:
19 Jun 2025 12:20 am