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योगीराज में इस शहर में खुली 126 करोड़ रुपये के घोटाले की पोल, लखनऊ से दिल्ली तक मचा हड़कंप

घोटाला खुलने पर 9 अफसरों के खिलाफ दर्ज हुआ मुकदमा

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नोएडा

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Nitin Sharma

Jun 03, 2018

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योगीराज में इस शहर में खुली 126 करोड़ रुपये के घोटाले की पोल, लखनऊ से दिल्ली तक मचा हड़कंप

ग्रेटर नोएडा।एक बार फिर यूपी के शो विडो कहे जाने वाले नोएडा के बाद इसी गौतमबुद्ध नगर जिले के यमुना प्राधिकरण में 126.42 करोड़ रुपये के बड़े घोटाले का खुलासा हुआ है। इसमें प्राधिकरण के पूर्व सीर्इआे से लेकर अन्य नौ बड़े अफसरों के नाम सामने आए है।घोटाले के खुलासे के बाद सभी अधिकारियों पर प्राधिकरण के चेयरमैन आैर कमिश्नर प्रभात कुमार ने कासना कोतवाली में मुकदमा दर्ज कराया गया है। मुकदमा दर्ज कर पुलिस इस मामले की जांच में जुट गर्इ है।

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इस नाम पर किया गया करोड़ों रुपये का घोटाला

नोएडा के बाद यमुना एक्सप्रेस-वे औद्योगिक विकास प्राधिकरण की में जमीन के बन्दरबाट का खेल सामने आया है।अभी इसकी एक एक करके परते उजागर हो रही है।आरोप है कि यमुना एक्सप्रेस वे औद्योगिक विकास प्राधिकरण के तत्कालीन सीईओ पीसी गुप्ता ने मातहत अफसरों, परिचितों, मित्रों और दलालों के साथ मिलकर 19 शेल कंपनी बनाई। इन कंपनियों के माध्यम से मथुरा जिले के 7 गांवों की 57.1549 हेक्टेयर भूमि खरीदी गई। इसके बाद इन कंपनियों के माध्यम से ये जमीन यमुना प्राधिकरण को खरीदवा दी गई। आरोप है कि उस जमीन की उपयोगिता प्राधिकरण के लिए नहीं थी। फिर भी उस समय प्राधिकरण की कीमत से अधिक दर पर ये जमीन खरीदी गई। आैर उसके लिए 126.42 करोड़ रुपये का भुगतान कर दिया गया।

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प्राधिकरण के इन अधिकारियों पर घाेटाले का आरोप

वहीं आप को बता दें कि इस जमीन के घोटाले में यमुना प्राधिकरण यीडा के तत्कालीन सीईओ पीसी गुप्ता, डीसीईओ सतीश कुमार, बीपी सिंह ओएसडी, सुरेश चंद तहसीलदार, रणवीर सिंह तहसीलदार, चमन सिंह नायब तहसीलदार, अतुल कुमार सिंह प्रबंधक परियोजना, बृजेश कुमार प्रबंधक नियोजन और पंकज कुमार लेखपाल ने शेल कंपनियों के माध्यम से अंजाम दिया। आरोप है कि इस भ्रष्टाचार में शामिल सभी अफसरों ने मिलकर प्राधिकरण के साथ इस जमीन का सौदा तय किया और उसे 126.42 करोड़ में बेच दी। इतना ही नहीं अभी इस मामले में आेर भी कर्इ नामों के शामिल होने की आशंका जतार्इ जा रही है।

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कमिश्नर ने की जांच तो सामने आया घोटाला

यीडा के चेयरमैन प्रभात कुमार की जांच रिपोर्ट के मुताबिक 18 दिसंबर 2017 को यीडा के महाप्रबंधक नियोजन ने जमीन से संबंधित एक रिपोर्ट प्राधिकरण को सौंपी थी। उसके बाद प्राधिकरण ने 7 मई 2018 को भूमि से संबंधित एक अन्य रिपोर्ट मेरठ के कमिश्नर और यीडा के चेयरमैन प्रभात कुमार को सौंपी। दोनों रिपोर्ट के अध्ययन के बाद कमिश्नर को भ्रष्टाचार की आशंका हुई। इसके बाद कमिश्नर ने खुद इस मामले की जांच की और आखिर, आशंकाएं सच साबित हुई। जांच में पाया गया कि तत्कालीन सीईओ पीसी गुप्ता ने अन्य अफसरों, जानकारों, मित्रों और दलालों के साथ मिलकर साजिश के तहत बिना किसी जरूरत और उपयोग के ये जमीन प्राधिकरण को खरीदवा दी। इससे यमुना प्राधिकरण को बड़ी वित्तीय हानि हुई है। इतना ही नहीं, जांच रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि इस जमीन का निकट भविष्य में कोई उपयोग नहीं है।

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इन धाराआें में दर्ज कराया गया मुकदमा

एसएसपी डॉ. अजय पाल शर्मा ने बताया कि यमुना प्राधिकरण के कुछ अफसरों और अन्य लोगों द्वारा जमीन खरीद में भ्रष्टाचार की शिकायत मिली है। उसके आधार पर कासना थाने में एफआईआर दर्ज कर ली गई है। इस मामले में शिकायत अनुसार आरोपियों के खिलाफ कासना थाने में आईपीसी की धारा-420, 467, 468, 471 और 120बी के तहत एफआईआर दर्ज कराई गई है। जांच कर आगे की कार्रवाई की जाएगी।