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Diwali 2018: Deepavali के दिन ऐसे करेंगे मां लक्ष्‍मी की पूजा तो बरसेगा धन

Diwali या deepavali का त्‍योहार 7 नवंबर 2018 यानी बुधवार के दिन मनाया जाएगा, हम आप को बता रहे हैं माँ लक्ष्मी की पूजा किस तरह करे क़ि आप का घर धन धान्य से भर जाये

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see Diwali lamp making

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नोएडा। अब लोगों को दीपों के पर्व दिवाली (Diwali) या दीपावली (deepavali) का बड़ी बेसब्री से इंतजार है। बाजार भी दिवाली (Diwali) के लिए सज गए हैं। नए-नए ऑफर आ रहे हैं। ऐसे में हम आपको बताते हैं क‍ि दिवाली (Diwali) या दीपावली (deepavali) पर भगवान गणेश अौर माता लक्ष्‍मी की पूजा कैसे करनी चाहिए।

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7 नवंबर 2018 को है दिवाली या दीपावली (Diwali)

नोएडा के सेक्‍टर-44 में रहने वाले पंडित रामप्रवेश तिवारी का कहना है क‍ि इस बार दिवाली या दीपावली (Diwali) का त्‍योहार 7 नवंबर 2018 यानी बुधवार के दिन मनाया जाएगा। पांच दिन के दीपोत्‍सव की शुरुअात 5 नवंबर 2018 को धनतेरस से हो जाएगी। दिवाली (Diwali) कार्तिक महीने की अमावस्या को मनाई जाती है।

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दिवाली (Diwali) Puja का Muhurt

माना जात है क‍ि दिवाली (Diwali) के दिन प्रदोषकाल में माता लक्ष्मी की पूजा की जाती है। प्रदेाष काल में पूजा करने से दरिद्रता पास नहीं फटकती है। पंडित रामप्रवेश तिवारी का कहना है क‍ि प्रदोष काल का समय 7 नवंबर 2018 को शाम 5.27 से रात 8.06 बजे तक रहेगा। दिवाली (Diwali) पर लक्ष्‍मी पूजा का मुहूर्त 7 नवंबर 2018 को शाम 5.57 से शाम 7.53 बजे तक रहेगा। उनका कहना है क‍ि 6 नवंबर 2018 को रात 10.27 से अमावस्या तिथि आरंभ हो जाएगी, जो 7 नवंबर 2018 को रात 9.31 तक रहेगी।

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दिवाली (Diwali) पर ऐसे करें पूजा

- दिवाली (Diwali) के दिन सुबह उठकर सबसे पहले अपने मात-पिता और बड़े लोगों के पैर छूने चाहिए। इसके बाद सभी देवी-देवताओं की पूजा करनी चाहिए।

- इस दिन शाम को लक्ष्मी और गणेश जी की नई मूर्तियों को लाना चाहिए। इन्‍हें एक चौकी पर स्वास्तिक बनाकर स्थापित करना चाहिए। इसके सामने एक कलश रखें, जिसमें जल भरा हुआ हो। फिर हाथ में जल लेकर शुद्धि मंत्र बोलते हुए उसे मूर्ति, परिवार के सदस्यों और घर में छिड़कना चाहिए।

- इसके बाद फल, फूल, मिठाई, दूर्वा, समेत अन्‍य सामग्रियों का इस्‍तेमाल करते हुए माता लक्ष्मी और भगवान गणेश की पूजा करनी चाहिए।

- पं‍डित रामप्रवेश तिवारी का कहना है क‍ि इनके साथ ही देवी सरस्वती, भगवान विष्णु, मां काली और कुबेर की भी पूजा करनी चाहिए। पूजा करते समय 11 छोटे और एक बड़ा दीप जलाना चाहिए।