इस टकसाल में 1988 में सिक्के ढालने का काम शुरू हुआ था और वर्तमान में यहां एक, 2, 5 और 10 रुपये के सिक्कों को बनाया जा रहा है। इतना ही नहीं, इसी टकसाल में 1988 के जितने भी पैसे/रुपये के सिक्के देश में चले, उन सभी को यहीं पर बनाया जाता था। यहां 5 पैसे से लेकर 10 पैसे, 20 पैसे, 25 पैसे, 50 पैसे समेत हर तरह के भारतीय मुद्रा के सिक्के बनाए जाते थे।
उत्तर भारत में नहीं थी टकसाल नोएडा की इस टकसाल से जुड़े एक अधिकारी ने नाम नहीं बताने की शर्त पर कहा कि देश में स्वतंत्रता के बाद उत्तर भारत में कोई टकसाल नहीं थी। उस दौरान देश में कोलकाता, मुंबई और हैदराबाद स्थित 3 टकसाल से ही सिक्कों का निर्माण किया जाता था। लेकिन, सिक्कों की बढ़ती मांग को देखते हुए भारत सरकार ने उत्तर भारत में भी टकसाल खोलने का फैसला 1984 में लिया। जिसके बाद इसकी स्थापना नोएडा में हुई और यहां 1988 से सिक्कों का निर्माण शुरू हो गया।
30 करोड़ की लागत से शुरू हुई टकसाल जानकारों के मुताबिक, नोएडा में बनाए जाने वाली टकसाल का निर्माण कार्य भारत सरकार, वित्त मंत्रालय व आर्थिक कार्य विभाग की भागीदारी से 1986 में शुरू हुआ और उस समय इस टकसाल में सिक्कों की वार्षिक उत्पादन क्षमता दो हजार मिलियन तय की गई थी। इसके निर्माण कार्य में अनुमानित लागत कुल 30 करोड़ रुपये थी। यहां सिक्कों का निर्माण करने के लिए पहली बार स्टेनलेस स्टील का प्रयोग किया गया था। वर्तमान में इस टकसाल में करीब 300 कर्मचारी कार्यरत हैं और यहां सुरक्षा व्यवस्था पर विशेष ध्यान दिया जाता है।
2006 में ढाले गए विदेशी सिक्के नोएडा में मौजूद इस टकसाल में साल 2006 में थाईलैंड का सिक्का भाट और डोमेनिक रिपब्लिक के 10 पैसे का सिक्का भी ढाला जाता था। यहां कुल दो देशों के सिक्के बनाए जाते थे। हालांकि, वर्तमान में यहां केवल भारतीय सिक्के ही बनाए जाते हैं।
4 मिलियन सिक्कों की क्षमता इस टकसाल में गत 2012 में सिक्कों का उत्पादन 24 घंटे शुरू किया गया। जबकि, पहले केवल दिन में ही सिक्के बनाए जाते थे। वहीं, 2015 में टकसाल की उत्पादन क्षमता दोगुनी कर दी गई। जिसके चलते वर्तमान में यहां वार्षिक उत्पादन क्षमता 4 हजार मिलियन सिक्कों की है। इसमें सिक्के ढालने के लिए कुल 26 मशीने लगाई गई हैं। इस टकसाल ने 2016-17 में 3922 मिलियन सिक्कों का वार्षिक उत्पादन कर वर्ल्ड रिकॉर्ड भी बनाया है।