
मेरठ. शहर में 2 अप्रैल को हुई हिंसा के बाद मंगलवार सुबह कचहरी में पहुंचे आईजी रामकुमार को वकीलों ने जमकर खरी-खरी सुनाई। वकीलों का कहना था कि आईजी साहब अगर आपकी पुलिस मुस्तैद होती तो उपद्रवियों की इतनी हिम्मत नहीं होती। इस दौरान वकीलों ने कहा कि जब सोमवार को हिंसा हुई तो पुलिस गायब थी। बाद में जिला जज ने भी अधिकारिेयों को आड़े हाथों लिया तो खुद एडीजी पहुंचे और सुरक्षा का भरोसा दिया। आईजी रामकुमार को बताया गया कि उनके करीब 50 से अधिक चेंबरों को तोड़ दिया गया। आरोप तो यह भी है कि उपद्रवियों का निशाना कुछ कोर्ट भी थी। क्योंकि, यह फैसला सुप्रीम कोर्ट का था। इसलिए कोर्ट में भी आरोपित अनहोनी कर सकते थे।
एडीजी को जिला जज ने किया तलब
2 अप्रैल को हिंसा के दौरान जिला जज खुद उपद्रवियों के बीच फंस गए थे। जिला जज को निकालने में पुलिस को काफी मशक्कत करनी पड़ी थी। इसके बाद गुस्साएं जिला जज ने आईजी और एडीजी प्रशांत कुमार को तलब कर लिया था। उन्होंने पूरे शहर में उपद्रव के दौरान पुलिस की नाकामी पर नराजगी जाहिर की। इसी बीच जिला जज ने उपद्रवियों के कचहरी पर हमला बोलने पर भी कचहरी की सुरक्षा व्यवस्था पर सवाल उठाए।
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हरकत में आई पुलिस ने पुख्ता की सुरक्षा व्यवस्था
कचहरी पर हमले के बाद हरकत में आई पुलिस ने सुरक्षा व्यवस्था को पुख्ता कर दिया। कचहरी के प्रत्येक गेट पर पुलिस कर्मियों की संख्या में बढोत्तरी की गई थी। हर आने जाने वाले की तलाशी ली जा रही थी। खुद एसएसपी और डीएम ने भी कचहरी परिसर का निरीक्षण किया। उन्होंने उपद्रवियों द्वारा तोड़े गए वकीलों के चेंबर भी देखें। उपद्रवियों ने वकीलों के चेंबर में रखी फाइलों को भी फाड़ दिया था, जिसमें जरूरी कागजात भी रखे हुए थे। जिलाधिकारी ने कचहरी की सुरक्षा के लिए जरूरी आदेश दिए।
Published on:
04 Apr 2018 06:54 pm
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