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नोएडा और ग्रेटर नोएडा में आवंटित जमीन को फ्री होल्ड करने से शासन का इंकार, कोर्ट के फैसले का इंतजार

नोएडा और ग्रेटर नोएडा प्राधिकरण एरिया में आवंटित जमीन को फ्री होल्ड करने से शासन ने इनकार किया है। हाईकोर्ट में चल रही एक जनहित याचिका की सुनवाई में जवाब देने के लिए हुई बैठकों से इस निर्णय की जानकारी हुई है। इसके लिए शासन स्तर पर नोएडा-ग्रेटर नोएडा प्राधिकरण के अधिकारियों की कई बैठकें हुईं।

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नोएडा. नोएडा और ग्रेटर नोएडा प्राधिकरण सीमा में आने वाली आवंटित जमीन को फ्री होल्ड करने की मांग काफी समय से होती आ रही है। आरडब्ल्यूए और अन्य संगठन इसको लेकर प्रदर्शन भी करते रहे हैं। अब शासन के इंकार करने के बाद से यह मामला फिर से लटक गया है। सूत्रों के मुताबिक, इन बैठकों के बाद आखिर में औद्योगिक विकास विभाग ने यह निर्णय लिया कि फ्री-होल्ड किया जाना नोएडा और ग्रेटर नोएडा के लिए सही नहीं रहेगा। शासन स्तर पर कई तथ्य व तर्कों के आधार पर तैयार हुआ जवाब कोर्ट में रखने के लिए भेज दिया गया है।

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कोर्ट का फैसला होगा निर्णायक

यह जवाब हाईकोर्ट में उस जनहित याचिका की सुनवाई में सरकार और शासन की तरफ से रखा जाएगा। कयासों के बीच शासन स्तर पर हुआ यह निर्णय दोनों प्राधिकरण एरिया के लिए अहम माना जा रहा है। अब आगे याचिका पर कोर्ट से भविष्य में आने वाला फैसला निर्णायक होगा।

दोनों अथॉरिटी पर लागू होगा फैसला

जानकारी के मुताबिक, यह याचिका नोएडा प्राधिकरण एरिया के लिए ही है, लेकिन नोएडा में होने वाला शासन स्तर से परिवर्तन ग्रेटर नोएडा में भी प्रभावी होगा। इसलिए ग्रेटर नोएडा प्राधिकरण को भी शासन स्तर पर यह फैसला लेने में साथ में रखा गया। बात अगर नोएडा और ग्रेटर नोएडा प्राधिकरण की करें तो यह औद्योगिक विकास प्राधिकरण हैं।

यहां से आवंटित होने वाले सभी प्लॉट की 90 साल के लिए लीज डीड की अब तक व्यवस्था है। मतलब यह कि आवासीय से लेकर औद्योगिक प्लॉट तक लेने वाला व्यक्ति जमीन का आखिरी मालिक नहीं होता है। इस दौरान संपत्ति का आवंटन ही एक से दूसरे को बिकता है। इस पर ट्रांसफर चार्ज भी प्राधिकरण को मिलता है। इन्हीं सभी चार्ज से प्राधिकरण को आय होती है, जिसे शहर के विकास और अवस्थापना सुविधाओं पर खर्च किया जाता है।

शासन ने कही यह बात

अब बात अगर लीज डीड के 90 साल पूरे होने के बाद की करें तो नोएडा प्राधिकरण ही यह समय पूरा नहीं कर पाई है। ग्रेटर नोएडा प्राधिकरण का गठन नोएडा प्राधिकरण के बाद का है। प्राधिकरण अधिकारियों का कहना है कि समय आने पर बोर्ड और शासन स्तर से लीज डीड रिनुअल के निर्देश जारी होंगे। इसमें कोई समस्या नहीं आएगी।

क्या कहते हैं याचिकाकर्ता

यह जनहित याचिका कन्फेडरेशन ऑफ एनसीआर आरडब्ल्यूए व अन्य की तरफ से डाली गई है। कन्फेडरेशन के अध्यक्ष पी एस जैन का कहना है कि फ्री-होल्ड न होने से नोएडा की दशा-दिशा ही तय नहीं हो पा रही है। किसी को पता ही नहीं है कि 90 साल बाद क्या होगा। कितना लीज डीड रिनुअल का चार्ज होगा। संपत्ति लेने वाले लोग अपने बच्चों के लिए क्या छोड़कर जाएंगे। इसके साथ ही पी एस जैन कई और तर्क देकर फ्री-होल्ड किया जाना जरूरी बताते हैं।

आवासीय प्लॉट पर फ्लोर बेचने का प्रस्ताव भी शासन में पेंडिंग

नोएडा प्राधिकरण ने आवासीय प्लॉट पर फ्लोर बेचे जाने की मंजूरी व रजिस्ट्री का प्रस्ताव कुछ साल पहले तैयार किया था। इसे बोर्ड में रखने के बाद शासन को पूर्व सीईओ के समय भेजा गया था। लेकिन प्रस्ताव पर शासन से हां या न में प्राधिकरण को कोई जवाब नहीं मिला है।

पहले भी उठता रहा है फ्री होल्ड का मुद्दा

नोएडा में आवंटित प्लॉट फ्री होल्ड किए जाने का मुद्दा पहले भी कई बार उठा है। तब प्राधिकरण स्तर से बोर्ड में रखकर या प्रस्ताव बनाकर शासन को निर्णय के लिए भेजा जाता रहा है। लेकिन कोई निर्णय नहीं हो पाया। प्राधिकरण अधिकारियों का कहना है कि ऐसा होने पर फ्लोर वाइज बिक्री शुरू हो जाएगी।

आवासीय सेक्टर की सूरत बिगड़ना तय है। इंडस्ट्रियल सेक्टर में भी प्राधिकरण की निगरानी नहीं रह जाएगी। अभी अवैध निर्माण, फंक्शनल, नॉ-फंक्शनल यूनिट की गणना व नोटिस के साथ कार्रवाई प्राधिकरण करती है। खाली होने वाले प्लॉट का आवंटन नए सिरे से किया जाता है।

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