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अंग्रेजों के जमाने में बनी जर्जर बिल्डिंग में रहने के लिए मजबूर हैं इस शहर के पुलिसकर्मी

हाईटेक शहर में दूसरों की सुरक्षा में तैनात रहने वाले पुलिस कर्मचारी खुद असुरक्षित।

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नोएडा। लोगों की सुरक्षा में तैनात रहने वाले पुलिसकर्मी सुविधाओं के अभाव में है। हाईटेक शहर नोएडा में पुलिसकर्मी जर्जर मकान में रहने को मजबूर है, जबकि प्रदेश सरकार पुलिस को हाइटेक बनाने में जुटी है। दूसरों की सुरक्षा में 24 घंटे तैनात रहने वाले पुलिसकर्मी कर्मचारी खुद को अक्सर असुरक्षित महसूस करते हैं। इसके पीछे सबसे मुख्य वजह उन पुलिस बैरेकों को माना जा रहा है, जहां ये पुलिसकर्मी रहते हैं। बैरकों की टीन शेड जर्जर पड़ी है।

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सेक्टर-14ए में कंट्रोल रूम के पीछे बने जर्जर शेड्स में पुलिसकर्मी रहने के लिए विवश है। पुलिस कर्मियों की माने तो ज्यादातर भवन जर्जर पड़े हैं। इन शेड्स में न तो खिड़कियां हैं और न ही पानी व बिजली के पर्याप्त इंतजाम। दीवारों में भी कई जगह दरारें पड़ चुकी हैं। बारिश के दौरान शेड्स से पानी टपकता है। सबसे बड़ी बात यह कि जहां ये शेड्स बने हुए हैं वो जमीन भी यूपी में नहीं, बल्कि दिल्ली की है। जिनका निर्माण अंग्रेजों के वक्त किया गया था। इन जर्जर आवासों में कई बार बड़े हादसे हो चुके हैं, लेकिन इस ओर पुलिस के बड़े अधिकारियों का भी ध्यान नहीं जा रहा था।

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इन टीन शेड के जर्जर भवन में करीब 60 जवान रहते हैं। करीब 20-25 साल पहले यहां पर दिल्ली सरकार का प्राइमरी स्कूल हुआ करता था। स्कूल को शिफ्ट करने के बाद खाली पड़े शेड में यूपी पीएसी के जवान रहने लगे। उनकी शिफ्टिंग के बाद सेक्टर-14 ए कंट्रोल रूम में तैनाती पाने वाले नोएडा ट्रैफिक पुलिस और सिविल पुलिस के जवानों ने यहां पर अपना ठिकाना बना लिया। इसलिए दोनों प्रदेश की सरकार इन शेड्स की मरम्मत की ओर ध्यान नहीं देती है।

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पुलिसकर्मियों की माने तो नोएडा शहर में सरकारी आवास की भारी कमी है। थानों के अंदर बैरक और फ्लैट बने हुए हैं, जो कि वहां तैनात पुलिसकर्मियों के लिए ही कम पड़ जाते हैं। ऐसे में ट्रैफिक पुलिस के करीब 150 जवानों और सेक्टर-14 ए में तैनात अन्य सिविल पुलिसकर्मियों के लिए रहने की व्यवस्था नहीं है। शहर में किराया अधिक होने से लोग मकान नहीं ले पाते हैं। ऐसे में मजबूरी में इन शेड्स में पुलिसकर्मी रहने को मजबूर है।