
नोएडा। गोरखपुर व फूलपुर उपचुनाव के बाद कैराना और नूरपुर उपचुनाव में मिली सफलता के बाद सपा-बसपा गठबंधन द्वारा 2019 का लोकसभा चुनाव भी मिलकर लड़ने की चर्चाएं तेज हो गईं हैं। लेकिन इसके बारे में निश्चित तौर पर अभी कुछ भी कहना जल्दबाजी होगी। दरअसल उपचुनाव में बसपा द्वारा सपा को समर्थन देना अलग बात है, क्योंकि अपनी परंपरा के मुताबिक बसपा उपचुनाव नहीं लड़ती है। लेकिन जब बात 2019 में लोकसभा उपचुनाव लड़ने की आएगी तो कुछ सीटों को लेकर सपा-बसपा के बीच पेच फंस सकता है।
दरअसल उपचुनाव में दोनों दलों के करीब आने से पहले ही बसपा यूपी की कई लोकसभा सीटों पर पहले ही प्रत्याशी घोषित कर चुकी है। उनमें से एक सीट गौतमबुद्धनगर लोकसभा सीट भी शामिल है। यह बसपा सुप्रीमो के गृहजनपद की सीट है। इस लोकसभा क्षेत्र में तीन विधानसभाएं गौतमबुद्धनगर जिले की जबकि दो विधानसभाएं बुलंदशहर जिले की आती हैं। ये विधानसभाएं नोएडा, जेवर, दादरी, सिकंद्राबाद और खुर्जा (सुरक्षित) हैं। साथ ही गौतबुद्धनगर लोकसभा क्षेत्र से बसपा प्रमुख मायावती ने वीरेंद्र ढाड़ा को प्रत्याशी घोषित कर रखा है। इसके अलावा 2009 के लोकसभा चुनाव में इस सीट पर पार्टी प्रत्याशी ने जीत दर्ज की थी।
फिलहाल यह सीट भाजपा के पास है। भाजपा के डॉ महेश शर्मा इस सीट से सांसद हैं, जो केंद्र में संस्कृति, पर्यटन व पर्यावरण राज्य मंत्री हैं। यहां 2014 के लोकसभा चुनाव में सपा प्रत्याशी नरेंद्र भाटी दूसरे नंबर पर थे, जबकि बसपा प्रत्याशी सतीश कुमार अवाना तीसरे स्थान पर रहे थे। इसलिए सपा से गठबंधन होने की स्थिति में अगर सीट बंटवारे को लेकर सपा ने भी इस सीट पर दावा किया तो पेच फंस सकता है। क्योंकि इस बात की संभावना कम ही है कि बसपा सुप्रीमो अपने गृह जनपद की सीट सपा के लिए छोड़ने के लिए तैयार हों। ऐसे में सपा-बसपा का गठबंधन खटाई में पड़ सकता है। इस सीट को लेकर गठबंधन टूटने की भी संभावना है। इस सीट पर सपा भी लगातार अपना प्रत्याशी लड़ाती आई है।
Published on:
07 Jun 2018 03:46 pm
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