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Knowledge@Patrika: जानिए, क्या होती है Thermal Image, जिससे ISRO ने चंद्रयान 2 का लगाया पता

locationनोएडाPublished: Sep 09, 2019 07:06:49 pm

Submitted by:

Rahul Chauhan

Headlines:
-इसरो के चेयरमेन के. सिवन ने जानकारी दी कि Lander Vikram की लोकेशन का पता चल गया है
-ऑर्बिटर ने लैंडर विक्रम की Thermal Images Click by Orbiter की है
-इसके लिए वैज्ञानिक लगातार कोशिश कर रहे हैं

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नोएडा। भारत के चंद्रयान 2 मिशन को लेकर ISRO लगातार सुर्खियों में बना हुआ है। इसरो के चेयरमेन के. सिवन ने जानकारी दी कि लैंडर विक्रम (Lander Vikram) की लोकेशन का पता चल गया है। ऑर्बिटर ने लैंडर विक्रम की थर्मल इमेज क्लिक (Thermal Images Click by Orbiter) की है। हालांकि अभी उससे संपर्क नहीं हो पाया है। इसके लिए वैज्ञानिक लगातार कोशिश कर रहे हैं। इस सबके बीच लोगों के मन में एक सवाल उठ रहा है कि आखिर ये थर्मल इमेज क्या है और कैसे काम करती है।
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मेरठ में विज्ञान क्लब के डायरेक्टर दीपक शर्मा ने जानकारी देते हुए बताया कि इसरो द्वारा भेजे गए विक्रम लैंडर और ऑर्बिटर में हाई रिजोल्‍यूशन कैमरे लगे हुए हैं। ऑर्बिटर थर्मल इमेजेज कैमरे की मदद से चांद की थर्मल इमेज (Thermal Images of Moon) लेगा और इसरो के मिशन कंट्रोल रूम को भेजेगा। ये कैमरे अमुक चीज से उत्‍पन्‍न गर्मी का पता लगाते हुए उसकी थर्मल इमेज (Thermal Images) तैयार करते हैं।
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आर्मी के लिए इस्तेमाल होता था थर्मल कैमरा

दीपक शर्मा के अनुसार पहले थर्मल कैमरा 1950 में टेक्सास में मिलिट्री द्वारा इस्तेमाल किया जाता था। इसके बाद आग बुझाने, कंपनियों में, मेडिकल आदि में इसका प्रयोग होने लगा। इसका इस्तेमाल एयरप्लेन में रात के समय किया जाता है। इस कैमरे के प्रयोग से किसी भी वस्तु की हलचल दूर से ही पता लगाई जा सकती है। उन्होंने बताया कि हर चीज का अपना एक तापमान होता है। इसी तापमान का उपयोग थर्मल इमेज के लिए होता है। इस जानकारी (तापमान) को कैमरे से निकली किरणें इलेक्ट्रॉनिक सिग्नल में बदल देती हैं। ये तस्वीर थोड़ी धुंधली होती हैं, जिनकी व्याख्या करनी पड़ती है। ये वैसी तस्वीर नहीं होती हैं, जैसी हम आम कैमरे से लेते हैं।
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इंफ्रारेड इमेज होती है प्रोसेस

थर्मल कैमरे से मिली जानकारी को एक वीडियो मॉनिटर पर थर्मल इमेज बनाने और तापमान गणना करने के लिए प्रोसेस किया जाता है। फिर इनसे ही एक तस्‍वीर उभरकर सामने आती है जो कि इंफ्रारेड इमेज कहलाती है। पहली बार सन 1800 में सर विलियम हेर्सल ने इन्फ्रारेड स्पेक्ट्रम की खोज की थी। वह एक खगोलविद थे और उन्होंने कई दूरबीनों का निर्माण किया था। स्‍पेक्‍ट्रम से निकलने वाली अलग-अलग रंगों की रोशनियों के तापमान को उन्‍होंने ही मापा था।
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इंफ्रारेड और थर्मल कैमरे में फर्क

आपको यहां पर बता दें कि इंफ्रारेड कैमरे और थर्मल इमेजेज कैमरे में एक बुनियादी फर्क ये होता है कि इंफ्रारेड कैमरे रोशनी के जरिए किसी चीज का पता लगाते हैं। वहीं थर्मल इमेजेज कैमरे इससे भी आगे जाकर किसी चीज को तलाश कर सकते हैं। इसके लिए रोशनी की जरूरत नहीं होती। यह वस्तु के तापमान से चीजों का पता लगा लेता है। ठंडी चीज इसमें काली दिखती है, जबकि गर्म चीज सफेद नजर आती है।
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