
नोएडा. 30 दिसंबर तक बायर्स को 50 हजार फ्लैट्स मिल जाने चाहिए। इसको लेकर किसी प्रकार की लापरवाही बर्दाश्त नहीं की जाएगी। बिल्डरों के साथ बैठकर समस्या का हल निकाला जाए। बायर्स को हो रहे नुकसान की भरपाई होनी चाहिए। यह बातें सोमवार को हुई बैठक में मंत्रियों की समिति ने नोएडा ग्रेटर नोएडा और युमना विकास प्राधिकरण के अधिकारियों के समक्ष कहीं। इस दौरान तीनों प्राधिकरण के अधिकारियों ने कुल 32 हजार फ्लैट का प्रपोजल तैयार कर ही मंत्रियों को सौंपा। इसी पर मंत्रियों ने नाराजगी जाहिर की। मंत्रियों ने हिदायत दी कि करीब 18 हजार और फ्लैटों के लिए प्राधिकरण को बिल्डरों पर सख्ती बरतनी चाहिए। बैठक दिल्ली के इंडिया इंटरनेशल सेंटर में हुई थी। यहां मंत्रियों में प्रदेश औद्योगिक विकास मंत्री सतीश महाना, गन्ना मंत्री सुरेश राणा उपस्थित रहे। इसके अलावा नोएडा प्राधिरकण के सीईओ आलोक टंडन, ग्रेनो प्राधिकरण के सीईओ देवाशीष पांडा के साथ अन्य अधिकारी मौजूद थे।
बैठक में 50 हजार फ्लैटों को तैयार की अभी तक रणनिति व प्रपोजल पर विस्तार से चर्चा की गई। इस दौरान नोएडा प्राधिकरण ने 11 हजार फ्लैट, ग्रेटर नोएडा प्राधिकरण ने 14 हजार और यमुना विकास प्राधिकरण ने 7500 फ्लैट का एक प्रपोजल तैयार कर मंत्रियों के समक्ष रखा। बताया गया कि इन फ्लैटों पर 30 दिसंबर तक बायर्स को कब्जा दे दिया जाएगा। वहीं, अब तक नोएडा प्राधिकरण की ओर से 6500 और ग्रेटर नोएडा प्राधिकरण की ओर से 4500 फ्लैटों पर बायर्स को कब्जा दिया जा चुका है। समिति ने स्पष्ट कहा कि 30 दिसंबर तक 32 हजारर फ्लैट नहीं, बल्कि 50 हजार फ्लैटों का लक्ष्य प्राप्त करना है। इसको लेकर किसी प्रकार की कोताही बरती नहीं जानी चाहिए। बिल्डरों के साथ बैठक कर प्रगति रिपोर्ट तैयार करें।
मौके पर जाकर देखें निर्माण कार्य
समिति ने स्पष्ट कहा कि बिल्डर साइटों पर जाकर देखें कि क्या प्रगति है। इसकी एक रिपोर्ट तैयार करें। प्रत्येक सप्ताह बिल्डरों के साथ बैठक की जाए। उनकी समस्याओं से ज्यादा बायर्स की समस्याओं को तव्वजों दे। ताकि मुख्यमंत्री की मंशा के अनुरूप 50 हजार फ्लैटों पर बायर्स को कब्जा दिया जा सके। इस मामले को लेकर गुरुवार को तीनों प्राधिकरण अधिकारी बिल्डरों के साथ बैठक करेंगे। बैठक में एक बार फिर से पालिसी के तहत आवेदन करने के लिए कहा जाएगा। साथ ही बिल्डरों पर दबाव डाला जाएगा कि वह हर कीमत पर लक्ष्य को प्राप्त करें।
किया जा रहा वित्तीय ऑडिट
बैठक में अधिकारियों की ओर से ऐसे बिल्डरों की सूची भी दी गई, जो बिल्डर न तो फ्लैट देने की कोशिश कर रहे और न ही बायर्स का पैसा देने के मूड में है। ऐसे बिल्डरों के खिलाफ मंत्रियों की समिति ने स्पष्ट कहा कि इन बिल्डरों के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज कर कार्रवाई की जाए। कोशिश की जाए कि इन बिल्डरों की वित्तीय ऑडिट कराकर जल्द से जल्द बायर्स को उनका पैसा दिलवाया जाए।
Published on:
05 Dec 2017 12:23 pm
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