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अधिकांश आमजन के अभिभावकों के सपने हुए चकनाचूर, बमुश्किल 20 फीसदी का ही चयन!

नवीन केंद्रीय विद्यालय झिंझरी में लॉटरी परिणाम से अभिभावकों में मायूसी, शासकीय व निगम सहित बैंकर्स की कैटेगरी में ही फुल हुईं सीटें

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कटनी

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Balmeek Pandey

Jul 13, 2025

Admission not found in central school

Admission not found in central school

कटनी. हाल ही में जिले में प्रारंभ हुए नवीन केंद्रीय विद्यालय झिंझरी की प्रवेश लॉटरी सूची सामने आने के बाद जहां कुछ अभिभावकों के चेहरे खुशी से खिल उठे, वहीं बड़ी संख्या में अभिभावक मायूसी नजर आई। जिन परिवारों ने इस विद्यालय को अपने बच्चों के भविष्य की नई किरण माना था, उन्हें अब महसूस हो रहा है कि यह सुविधा मुख्यत: केंद्र सरकार, राज्य सरकार और रक्षा विभाग, बैंकर्स व निगम से जुड़े कर्मियों के लिए ही आरक्षित है। लगभग 50 से 60 बच्चों का ही चयन कक्षा एक से लेकर 5 तक के लिए 200 सीटों में हुआ है।
स्कूल में फॉर्म प्राप्त करने के लिए पंजीयन और वितरण की प्रक्रिया में शहरवासी व जिलावासी अपने बच्चों को सस्ती, गुणवत्तायुक्त शिक्षा दिलाने की उम्मीद से उमड़ पड़े थे। कई दिनों तक लगकर आवेदन भरा और जब लिस्ट जारी हुई तो हतप्रभ रह गए। लोगों ने कहा कि जब सरकारी अधिकारी-कर्मचारी के बच्चों का ही चयन करना था तो फिर नेताओं ने वाहवाही क्यों बटोरी। उन्हें उम्मीद थी की गरीबों के बच्चों को प्रवेश मिलेगा।

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यह हुआ है चयन

केंद्रीय विद्यालय एनकेजे के प्राचार्य पंकज जैन के अनुसार पहले केंद्र सरकार के कर्मचारी, फिर उनकी ऑटोनॉमस बॉडी, तीसरे पर राज्य सरकार के कर्मचारियों व ऑटोनॉमस बॉडी के बच्चों को प्रवेश दिए जाने के बाद भी सामान्य लोगों को प्रवेश दिया जाना था। इसमें ओबीसी की 27 प्रतिशत में 11 सीट, एससी 15 प्रतिशत में 6 सीट, एसटी की 7.50 प्रतिशत याने कि 3 सीट भरी जा रही हैं। एक क्लास में 40 सीट हैं। ओबीसी के बाद सामान्य लोगों को लेना था। कक्षा एक में आरटीई के तहत 25 प्रतिशत बच्चे लिए जा रहे हैं याने की 10 सीटें भरी हैं। हर कक्षा के लिए 40-40 बच्चे चयनित कर लिए गए हैं। लिस्ट भी जारी कर दी गई है। कई दिनों की जद्दोजहद, धक्के खाकर रुपए खर्च करते हुए फॉर्म भरने वाले शेष लोगों की सूची का पता भी नहीं है।

आमजन की उम्मीदों पर फिरा पानी

सोशल मीडिया में हुए प्रचार-प्रसार व प्रेसनोट के अनुसार सांसद विष्णुदत्त शर्मा के प्रयासों से जिले को मिले इस तीसरे केंद्रीय विद्यालय को आमजन के लिए एक बड़ी सौगात के रूप में प्रचारित किया गया था, क्योंकि शहरवासी 2011 से बाट जोह रहे थे, लेकिन केंद्रीय विद्यालय संगठन की कैटेगरीबद्ध प्राथमिकता नीति ने आमजन की उम्मीदों पर पानी फेर दिया। प्रवेश प्रक्रिया के दौरान सैकड़ों अभिभावकों ने सुबह 7 बजे से गेट में खड़े होकर फिर 9 बजे गेट खुलने पर लाइन में लगकर फॉर्म लिए और जमा किए। लेकिन अपार की अनिवार्यता के चलते कई अभिभावकों को समय पर आवेदन करने में भारी परेशानियों का सामना करना पड़ा। कई स्कूलों ने समय पर अपार आइडी नहीं बनाई, जिससे बार-बार स्कूलों के चक्कर लगाने पड़े।

जब लॉटरी आई, तब टूटी उम्मीदें

कठिन प्रक्रिया के बाद जब लॉटरी परिणाम जारी हुआ, तो अधिकांश गैर-सरकारी पृष्ठभूमि वाले अभिभावकों के बच्चों का नाम सूची में नहीं था। ऐसे में वे अभिभावक जिन्होंने दाखिले को पक्का मानकर योजनाएं बनाई थीं, अब खुद को ठगा सा महसूस कर रहे हैं। अब सवाल उठता है कि क्या यह विद्यालय वास्तव में आमजन के लिए नहीं था, जिले को तीसरा केंद्रीय विद्यालय मिलना सराहनीय उपलब्धि है, लेकिन इसकी प्रवेश नीति ने यह जता दिया है कि यहां पर सबके लिए शिक्षा की परिकल्पना अधूरी है। जिन उम्मीदों को सांसद के प्रयासों से जोड़ा गया था, वे जमीन पर उतरते ही नीतिगत जटिलताओं में उलझ गईं।

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अभिभावकों की हाथ लगी पीड़ा

सुबह-सुबह जरूरी काम छोडकऱ अभिभावक अपने बच्चों के भविष्य के लिए लाइन में लगे थे। उन्हें क्या पता था कि केंद्रीय विद्यालय की गाइडलाइन उनके सपनों को कुचल देगी। राजनीतिक गलियारों में वाहवाही तो बटोरी गई, लेकिन जमीनी हकीकत में आम जनता को फिर से निराशा ही हाथ लगी।

प्राचार्य ने कही यह बात

पंकज जैन, प्राचार्य एनकेजे केंद्रीय विद्यालय ने कहा कि केंद्रीय विद्यालय की गाइडलाइन के अनुसार प्रवेश प्रक्रिया कराई गई है। शेष बची सीटों में एससी, एसटी व ओबीसी कैटेगरी के बच्चों का चयन नियम के अनुसार किया गया है, इनकी संख्या लगभग 50 से 60 है। यह स्कूल केंद्रीय विद्यालय द्वारा भेजे गए प्रस्ताव के अनुसार खुला है, क्योंकि केंद्रीय कर्मचारियों व राज्य कर्मचारियों के बच्चे प्रवेश से वंचित रह जाते थे।