
स्कूलों में वार्षिकोत्सव और पुरस्कार समारोह मनाने के लिए पूरा फंड देने का वादा कर शिक्षा विभाग मुकर गया है।विभाग के कहने पर स्कूलों में संस्था प्रधानों ने जेब से खर्चा कर समारोह आयोजित कर दिया। लेकिन वित्तीय वर्ष के आखिरी समय में आनन-फानन में शिक्षा विभाग ने आधा-अधूरा फंड देकर इतिश्री कर ली। इससे संस्था प्रधानों के सामने संकट खड़ा हो गया है। अब गुरुजी जेब से समारोह का खर्च भुगतेंगे। दरअसल, जनवरी में शिक्षा विभाग ने आदेश जारी कर स्कूलों में वार्षिकोत्सव आयोजित करने के निर्देश दिए थे और इसका फंड बाद में जारी करने को कहा। माध्यमिक स्कूलों को 10 हजार और प्राथमिक स्कूलों को पांच हजार रुपए फंड जारी किया जाता है। लेकिन विभाग ने मार्च के आखिरी दिनों में फंड जारी किया। इससे शिक्षक अवकाश के दिन भी समारोह के खर्चे के वाउचर बनाने में लगे रहे।
स्कूलों को जो फंड दिया गया, वह आधा ही मिला। माध्यमिक स्कूलों को पांच हजार और प्राथमिक स्कूलों को ढाई हजार रुपए जारी किए गए। इससे संस्था प्रधानों ने नाराजगी जताई है। संस्था प्रधानों का कहना है कि स्कूलों में वार्षिकोत्सव के लिए 10 हजार रुपए का फंड भी कम होता है। ऐसे में भामाशाहों से मदद ली जाती है। अब विभाग ने उसमें भी कटौती कर दी।
खोलने पड़े स्कूल
विभाग ने 30 मार्च को छुट्टी के दिन फंड जारी किया। 31 मार्च को ईद के अवकाश के दिन भी स्कूल खोलने पड़े। स्कूलों में शिक्षकों ने समारोह के वाउचर बनाए। कारण है कि एक अप्रेल से नया वित्तीय वर्ष शुरू होगा। अगर 31 मार्च को वाउचर बनाकर पोर्टल पर अपलोड नहीं कर पाए तो बजट लैप्स हो जाएगा। राजस्थान शिक्षक संघ सियाराम के महामंत्री नवीन कुमार शर्मा और प्रवक्ता मुकेश मीणा ने कहा कि सरकार ने जो फंड समारोह के लिए तय कर रखा है उसे पूरा ही आवंटित करना चाहिए। शिक्षकों को अपने जेब से समारोह का खर्च भुुगतना होगा।
Published on:
03 Apr 2025 02:48 pm
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