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जिले में एक माह से लगातार बारिश, गहरी हंकाई नहीं होने से खेतों में लहरा रही खरपतवार, पैदावार होगी प्रभावित

गहरी हंकाई के कई फायदे झालावाड़.जिले में गत वर्षों से गहरी हंकाई नहीं होने से जहां खरपतवार अधिक हो रही है। वहीं कीटों का भी प्रकोप बढऩे लगा है। वहीं जिले में पिछले एक माह से लगातार हो रही बारिश से भी किसान खेतों की अच्छे से इंकाई नहीं कर पा रहे हैं। ऐसे में […]

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गहरी हंकाई के कई फायदे

झालावाड़.जिले में गत वर्षों से गहरी हंकाई नहीं होने से जहां खरपतवार अधिक हो रही है। वहीं कीटों का भी प्रकोप बढऩे लगा है। वहीं जिले में पिछले एक माह से लगातार हो रही बारिश से भी किसान खेतों की अच्छे से इंकाई नहीं कर पा रहे हैं। ऐसे में किसानों को इन दिनों गहरी हंकाई करने की सलाह दी जा रही है। किसान अपने खेतों में हंकाई में व्यस्त हैं, लेकिन अधिकांश किसान गहरी हंकाई नहीं करते हैं। केवल खेत में पंजे से हंकाई कर रहे हैं। ऐसे में मिट्टी ऊपर-नीचे नहीं हो पाती है। ऐसी स्थिति में खरपतवार भी अधिक होती है। वहीं पैदावार कम होने से उत्पादन भी प्रभावित होता है। इसे देखते हुए किसानों को दवाई का खर्चा अधिक करना पड़ता है। इसको लेकर कृषि विभाग ने जिले के किसानों को अलर्ट किया है।

कृषि विशेषज्ञों की सलाह-

गत वर्षों से खेतों की स्थिति को देखते हुए कृषि विशेषज्ञों की ओर से किसानों को गहरी हंकाई करने की सलाह दी जा रही है। अभी हंकाई का समय भी अच्छा माना जा रहा है। गत दिनों से गर्मी लगातार बढ़ रही है। ऐसे में किसान भी खेतों में गहरी हंकाई करने की सलाह दी जा रही है।कृषि विशेषज्ञों की मानें तो भीषण गर्मी के दिनों में अगर खेतों की गहरी हंकाई कर दी जाए तो इसके काफी फायदे है। खरपतवारों की अंकुरण क्षमता नष्ट होगी- खेत की फसल को जहां रोग नुकसान पहुंचाते हैं वहीं खरपतवारों की भूमिका भी फसल के लिए नुकसानदायी होती है। यदि गहरी हंकाई नहीं होगी तो खरपतवार पहली बारिश के पानी से ही अंकुरित हो जाएंगे। एक बार जब खरपतवार उगने लगे तो फिर वे पूरे सीजन ही नष्ट नहीं हो पाएंगे। खरपतवार नियंत्रण- कुछ खरपतवार कास, मैथा, दूब इनकी जड़े भूमि में काफी गहराई तक चली जाती है। जिसके कारण निराई-गुड़ाई एवं खरपतवारनाशी रसायनों से पूर्ण नियंत्रण नहीं हो पाता है। गहरी हंकाई से इनके राइजोम निकल जाती है सूर्य की तेज रोशनी से नष्ट हो जाती है।

पर्याप्त मात्रा में मिलता है नाइट्रोजन-

गहरी हंकाई से मानसून की पहली बारिश में ही खेतों में आवश्यक नाइट्रोजन पहुंच जाएगी। क्योंकि यह गैस वातावरण में मौजूद रहती है। यह बारिश के साथ खेतों की मिट्टी में समा जाती है। जबकि खेत जुता हुआ नहीं होगा तो इसका फायदा किसानों को नहीं मिलेगा। इसलिए समय रहते किसान खेतों की गहरी हंकाई करनी चाहिए। हर तरह से होता नुकसान- समय पर हंकाई नहीं करवाने से खेतों में कीटों का प्रकोप व दवाई का खर्च बढ़ जाता है। कृषि विशेषज्ञों का मानना है कि खरीफ की बारिश से पूर्व करीब तीन बार खेतों में अच्छी तरह से हंकाई करवानी चाहिए।

जल संरक्षण होगा-

गर्मी में खेतों की हंकाई से जल संचयन को भी बढ़ावा मिलेगा। खेतों में फसलों की बुवाई के समय बार-बार एक निश्चित गहराई पर 6-7 इंच पर हैरो या कल्टीवेटर चलाने से खेतो में नीचे एक कड़ी परत बन जाती है। जिससे वर्षा जल बहकर खेत के बाहर चला जाता है और अपने साथ मिट्टी और पोषक तत्वों को भी बहा ले जाता है। गर्मी की गहरी हंकाई करीब एक फीट तक मिट्टी पलटने वाले हल से करने पर यह कड़ी परत टूट जाती है और वर्षा जल खेतों में अधिक मात्रा में सोख लिया जाता है। मिट्टी धूप लगने से भी भुरभुरी हो जाती है। मिट्टी में वायु संचार भी बढ़ जाता है और खेतों की जलधारण क्षमता में वृद्धि हो जाती है।

गहरी हंकाई से नष्ट होते है कीट-

गहरी हंकाई करने से फसलों में नुकसान पहुंचाने वाले कीटों में कमी हो जाती है। फसलों को हानि पहुंचाने वाले रोगाणु कीटों के अण्डों, कीटों की शखी अवस्था में खेत जुताई से ऊपरी सतह पर आ जाते है। सूर्य की तपन से कीड़े के अण्डे नष्ट हो जाते है। फसलों को हानि पहुंचाने वाले रोगाणु, रोगजनक, कीड़े खरपतवारों के बीज फसलों की कटाई के पश्चात भूमि की दरारों में सुसुप्तावस्था में पड़े रहते है। जब अगली फसल की बुवाई की जाती है तो अनुकूल मौसम मिलने पर पुन सक्रिय हो जाते है। ऐसे में गहरी हंकाई में यह नष्ट हो जाते है।

बढ़ेगी उर्वरा क्षमता-

किसान खेतों में गहरी हंकाई नहीं कर रहे है। ऐसे में खेतों की उर्वरा शक्ति में कमी होती जा रही है। जिससे उत्पादन में भी कमी होती जा रही है। ऐसे में किसानों को गर्मी में गहरी हंकाई करनी चाहिए। इससे उर्वरा शक्ति बढ़ेगी। इसके साथ ही कई फायदे भी किसानों को होंगे। दवाईयों का खर्चा भी कम होगा।

केसी मीणा, संयुक्त निदेशक कृषि विस्तार, झालावाड़