हाईकोर्ट की एकल पीठ ने स्थगन आदेश के बाद संपत्ति बेचने के मामले में कड़ी नाराजगी जताई है। कोर्ट ने कहा कि आदेशों का उल्लंघन "कानूनी अवमानना" है और इसे हल्के में नहीं लिया जा सकता।
हाईकोर्ट की एकल पीठ ने स्थगन आदेश के बाद संपत्ति बेचने के मामले में कड़ी नाराजगी जताई है। कोर्ट ने कहा कि आदेशों का उल्लंघन "कानूनी अवमानना" है और इसे हल्के में नहीं लिया जा सकता। यदि अदालत के आदेशों को नजरअंदाज करने की छूट मिल गई तो समाज में अराजकता फैल जाएगी। कानून का राज नहीं रहेगा। प्रतिवादियों ने छलावा किया है। कोर्ट ने दोषियों की संपत्तियों को अटैच करने का आदेश दिया गया है, साथ ही चेतावनी दी गई है कि यदि पर्याप्त संपत्ति नहीं मिली तो उन्हें तीन माह की सिविल जेल भी भेजा जाएगा।
दरअसल वर्ष 2016 में संपत्ति विवाद के दौरान हाईकोर्ट ने आदेश दिया था कि संबंधित जमीन पर यथास्थिति बनाए रखी जाए। इसके बावजूद प्रतिवादी भैयालाल और रामसेवक ने 31 अगस्त 2016 को जमीन बृजेश कुमार- अजय कुमार को बेच दिया। इसको लेकर कधोरे ने हाईकोर्ट में अवमानना आवेदन लगाया। इस आवेदन का प्रतिवादियों ने जवाब दिया कि उन्हें अदालत के आदेश की जानकारी नहीं थी। उनके अनुसार वकील ने आदेश की प्रति नहीं बताई और इसलिए बिक्री जानबूझकर नहीं हुई। वहीं खरीदार पक्ष ने यही दलील दी कि विक्रेताओं ने रोक आदेश की जानकारी नहीं दी थी। कोर्ट ने इस बचाव को खारिज कर दिया और कहा कि आदेश हाईकोर्ट की वेबसाइट पर सार्वजनिक था, वकील की लापरवाही का बहाना मान्य नहीं है।https://www.patrika.com/bhopal-news/protest-against-misbehavior-of-mla-narendra-singh-kushwaha-with-bhind-collector-sanjeev-srivastava-19902480
सख्त कार्रवाई के आदेश
-31 अगस्त 2016 का विक्रय विलेख (रजिस्ट्री) अमान्य घोषित।
- यदि इकोई नामांतरण हुआ है तो उसे तुरंत रद्द किया जाए।
- चारों प्रतिवादियों की संपत्तिा अटैच की जाएंगी।
-भिंड कलेक्टर को निर्देश दिया गया कि 17 सितंबर तक सभी संपत्तियों का विवरण प्रस्तुत करें।
-22 सितंबर को अदालत पुन: सुनवाई करेगी और प्रतिवादियों की व्यक्तिगत उपस्थिति अनिवार्य होगी।