11 दिसंबर 2025,

गुरुवार

Patrika LogoSwitch to English
home_icon

मेरी खबर

icon

प्लस

video_icon

शॉर्ट्स

epaper_icon

ई-पेपर

आपातकाल की 50वीं वर्षगांठ और प्रदेश का स्वास्थ्य विभाग

स्वास्थ्य विभाग का फरमान, सरकारी अस्पतालों में मीडिया कवरेज बैन, छवि खराब होने की नसीहत पर आदेश पर रोक

2 min read
Google source verification
CG Health Department

देश इस वर्ष आपातकाल की 50वीं वर्षगांठ मना रहा है। 25 जून 1975 को लोकतंत्र का गला घोंट दिया गया था। बहुत कुछ ऐसा ही किया छत्तीसगढ़ के स्वास्थ्य विभाग ने। स्वास्थ्य विभाग ने हाल ही में तानाशाही रुख अख्तियार करते हुए फरमान जारी किया। स्वास्थ्य विभाग के आदेश के मुताबिक सरकारी अस्पतालों में कवरेज के लिए मीडिया के प्रवेश पर सख्त पाबंदी लगा दी गई। अस्पताल के अधिकारी-कर्मचारी को हिदायत दी गई कि वे सीधे मीडिया से संपर्क ना करें। मीडिया को वार्ड में भर्ती किसी भी रोगी का फोटो, वीडियो या जानकारी लेने नहीं दी जाए। किसी भी घटना-दुर्घटना पर रोगियों का नाम और पहचान न बताई जाए। मीडिया को सख्त हिदायत दी गई कि अस्पताल परिसर में जाने से पहले पीआरओ की अनुमति लें।

स्वास्थ्य शिक्षा सचिव द्वारा जारी इस अलोकतांत्रिक फरमान का मीडिया ने विरोध करने के साथ ही प्रदर्शन भी किया। विवाद बढ़ता देखकर स्वास्थ्य मंत्री ने बुधवार को आधी रात को वीडियो जारी कर अजीब सा स्पष्टीकरण दिया कि 'समाज के विकास में मीडिया का बड़ा योगदान है। मीडिया का सम्मान हमारे नजरों में सदैव से रहा है। फिलहाल मीडिया प्रबंधन के लिए जारी दिशा-निर्देशों पर रोक लगा दी गई है। समस्त मीडिया संगठन से आवश्यक चर्चा कर बाद में ड्राफ्ट तैयार किया जाएगा।' इसका मतलब यह हुआ कि उनकी नजर में भी फरमान गलत नहीं है और इसे थोड़ा-सा पॉलिश करके फिर से लागू किया जाएगा। यह स्पष्टीकरण भी तब आया जब देर शाम भाजपा के राष्ट्रीय सह संगठन महामंत्री ने मंत्रियों-विधायकों की बैठक में नसीहत दी कि ऐसा कोई काम नहीं किया जाए जिससे सरकार की छवि खराब हो। अब सवाल यह उठता है कि स्वास्थ्य विभाग को लेकर दिए गए स्पष्टीकरण के बाद भी सरकार की छवि कैसे संवरेगी? क्योंकि मीडिया कवरेज पर बैन नए तरीके से किया जाना प्रस्तावित है। सरकार को चाहिए कि ऐसी सोच वालों पर नियंत्रण रखे। क्योंकि सरकार द्वारा उपलब्ध कराई गईं सुविधाओं का सही इस्तेमाल हो रहा है या नहीं, और किस सुविधा की जरूरत है, मीडिया ही इसे सामने लाता है।

- अनुपम राजीव राजवैद्य

anupam.rajiv@epatrika.com