
Leadership: कार्यस्थल पर प्रवाह के लाभ और रणनीति
प्रो. हिमांशु राय
निदेशक, आइआइएम इंदौर
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पिछले आलेख में मैंने चर्चा की, कि प्रवाह का गहरा प्रभाव महाभारत काल से ही उल्लेखित है। यह व्यक्तिगत अनुभवों से परे है, जो संगठनात्मक संस्कृति, कार्य-जीवन संतुलन यानी वर्क लाइफ बैलेंस और सकारात्मक बदलाव को प्रभावित करता है। प्रवाह को अपनाने वाले लीडर खुले संचार को प्रोत्साहित करते हैं, एक सहायक और गैर-निर्णयात्मक दृष्टिकोण अपनाते हैं जो टीम के सदस्यों को अपने विचारों और चिंताओं को स्वतंत्र रूप से व्यक्त करने की अनुमति देते हैं। स्पष्ट लक्ष्य व अधीनस्थों की राय से, ये लीडर व प्रबंधक टीम के हर सदस्य के लिए चुनौती और कौशल का एक इष्टतम संतुलन बनाते हैं।
संगठनात्मक संस्कृति पर प्रवाह का प्रभाव: जैसे-जैसे कर्मचारी भी प्रवाह को अपनाते हैं, यह संगठनात्मक संस्कृति में सकारात्मक बदलाव को उत्प्रेरित करता है। ऐसा वातावरण निर्मित होता है जिसमें सहयोग, नवाचार व उद्देश्य की साझा भावना को बढ़ावा मिलता है। इससे एक रचनात्मकता और उत्पादकता पर आधारित कार्यस्थल बनता है।
कार्यस्थल से परे प्रवाह, वर्क-लाइफ बैलेंस में भी सहायक: प्रवाह व्यक्तिगत जीवन को भी प्रभावित करता है और वर्क-लाइफ बैलेंस में मदद करता है। इससे समग्र कल्याण को प्रोत्साहन मिलता है। जब व्यक्ति काम के अलावा रुचियों में भी प्रवाह विकसित करते हैं, तो जीवन के हर पहलू में कायाकल्प व संतुष्टि की भावना मिलती है।
सकारात्मक परिवर्तन के लिए उत्प्रेरक: जैसे-जैसे व्यक्ति अपने प्रवाह के प्रति अधिक अभ्यस्त हो जाते हैं, वे दुनिया में अपनी अनूठी प्रतिभा का योगदान देते हैं, सकारात्मक बदलाव लाते हैं और समाज पर स्थायी प्रभाव छोड़ते हैं। पर ऐसा माहौल बनाने के लिए जहां कर्मचारी फलें-फूलें और अपनी उच्चतम क्षमता हासिल करें, संगठन को ऐसी रणनीतियों को लागू करना चाहिए जो व्यक्तियों को अपने काम में खुशी, संतुष्टि और अपना उत्कृष्ट प्रदर्शन करने के लिए सशक्त बनाएं। खुले संचार, सहयोग और प्रयोग को प्रोत्साहन से इसकी शुरुआत हो सकती है।
कर्मचारियों को उनके काम पर स्वायत्तता और स्वामित्व की भावना प्रदान करना उन्हें पहल करने और निर्णय लेने के लिए सशक्त बनाता है। लीडरों को आत्म-निर्देशन के अवसर देने चाहिए और कार्यों को कैसे पूरा किया जाए, इसमें लचीलेपन की अनुमति देनी चाहिए। जब कर्मचारी भरोसेमंद और मूल्यवान महसूस करते हैं तो आंतरिक प्रेरणा विकसित होती है, जो प्रवाह के अनुभव में महत्वपूर्ण योगदान देती है। इसी प्रकार, कर्मचारियों को ऐसे कार्य सौंपना जो उनकी क्षमताओं से मेल खाते हों और उन्हें बढऩे के लिए चुनौती दें, कार्यस्थल में प्रवाह उत्पन्न करने में सहायक है।
Published on:
04 Sept 2023 10:14 pm
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