
दोनों देश विवाद को खत्म कर आगे बढ़ें
डॉ. डी.पी. शर्मा
यूनाइटेड नेशंस से जुड़े अंतरराष्ट्रीय डिजिटल डिप्लोमेसी एक्सपर्ट एवं कंप्यूटर वैज्ञानिक
कनाडा और भारत के बीच पैदा हुए राजनयिक तनाव ने दोनों देशों के बीच शिक्षा, रोजगार और व्यापार से जुड़ी चिंता बढ़ा दी है। कोरोना के बाद लडख़ड़ा कर संभलने की कोशिश कर रहे दोनों देशों की अर्थव्यवस्थाओं पर इसका प्रतिकूल प्रभाव पड़ सकता है। इसलिए दोनों ही देशों को संयम से काम लेना होगा। वर्ष 2022 में लगभग 13 लाख से ज्यादा भारतीय विद्यार्थी दुनिया के 79 देशों में पढ़ाई करने के लिए गए थे। कनाडा भारतीय छात्रों में लोकप्रिय है। भारतीय विद्यार्थी बड़ी संख्या में कनाडाई विश्वविद्यालयों व कॉलेजों में विभिन्न स्तर की शिक्षा प्राप्त करने के लिए दाखिला लेते हैं। वर्तमान में शिक्षा और तकनीकी क्षेत्रों को देशों की सीमा में नहीं बांधा जा सकता। तनाव के कारण भारत एवं कनाडा जिस दोराहे पर खड़े हैं, उससे कनाडा में अध्ययन करने का विकल्प चुनने वाले भारतीय छात्रों की संख्या में कमी आ सकती है। यह दोनों देशों के हित में तो नहीं है। गौरतलब है कि भारतीय छात्र कनाडा की अर्थव्यवस्था में न केवल महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं, बल्कि कनाडाई परिसरों की विविधता और जीवंतता में योगदान भी देते हैं। इसके साथ ही भारतीय छात्र शैक्षणिक विविधता के साथ भूमंडलीकृत शिक्षा के मल्टीमॉडल से वंचित रह जाएंगे। राजनयिक तनाव कनाडाई और भारतीयों दोनों के लिए रोजगार के अवसरों पर भी नकारात्मक प्रभाव डाल सकता है। यानी भारत में संचालित हो रही कनाडाई कंपनियों को चुनौतियों का सामना करना पड़ सकता है और कनाडा में चल रही भारतीय कंपनियां भी प्रभावित हो सकती हैं। इससे दोनों देशों में नौकरियां कम हो सकती हैं, जो दोनों देशों में कोरोना के बाद सुरसा के मुंह की तरह बढ़ती बेरोजगारी को और अधिक भयावह बना सकती है।
बेहतर होगा कि कनाडा आतंकियों को शह न दे और राजनीति की नकारात्मक सोच से बाहर निकले। दोनों देश विश्व शांति के वैश्विक मापदंडों को अपनाएं। यदि हम दोनों देशों के व्यापार पर दृष्टि डालें तो पता चलता है कि भारत और कनाडा के बीच आयात और निर्यात उत्साहजनक है। भारत और कनाडा के बीच आयात-निर्यात का आंकड़ा लगभग बराबर है। वित्त वर्ष 2022-23 में भारत ने कनाडा को 4.10 अरब डॉलर का सामना निर्यात किया था। वहीं कनाडा ने भारत को साल 2022-23 में 4.05 अरब डॉलर का सामना निर्यात किया था। सरकारी आंकड़ों के अनुसार वर्तमान में 600 से अधिक कनाडाई कंपनियां भारत में कार्यरत हैं, वहीं 1,000 से अधिक कनाडाई कंपनियां भारतीय बाजार में सक्रिय रूप से कारोबार कर रही हैं। स्पष्ट है कि दोनों देशों के व्यापारिक हित एक दूसरे के पूरक होने के साथ-साथ ऐसे जटिल गठबंधन से जुड़े हुए हैं, जिन्हें अलग करने से दोनों देशों के व्यापारिक ताने-बाने को गंभीर क्षति पहुंचेगी। भारत की अंतरिक्ष एजेंसी इसरो और कनाडाई अंतरिक्ष एजेंसी के बीच बाह्य अंतरिक्ष के अन्वेषण एवं उपयोगिता के समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर हुए हैं। इसरो ने कनाडा के लिए कई नैनो उपग्रह लॉन्च किए हैं। वर्ष 2018 में भारतीय अंतरिक्ष केंद्र, श्रीहरिकोटा से लॉन्च किए गए 100वें सैटेलाइट में कनाडा का पहला लो अर्थ ऑर्बिट उपग्रह भी शामिल था। तनाव के हालात में ऐसे सभी समझौते खटाई में पड़ सकते हैं, जिससे दोनों देशों को नुकसान पहुंच सकता है। यह युग सूचना क्रांति का है। आम जन भी सोशल मीडिया पर सक्रिय है। सोशल मीडिया पर होने वाली बयानबाजी से नुकसान भी होता है। कनाडा और भारत के संबंधों से जुड़ी नकारात्मक बयानबाजी दोनों देशों के नागरिकों के आपसी संबंधों पर नकारात्मक प्रभाव डाल सकता है, जो आगे चलकर आपसी सौहार्द को प्रभावित करेगी और कानून-व्यवस्था के लिए नई चुनौतियां पैदा करेंगी। ज्ञात रहे कि कनाडा में तो बड़ी संख्या में भारतीय रहते ही हैं, भारत में भी कनाडाई रहते हैं। तनाव के कारण वे अपने आपको असुरक्षित महसूस कर सकते हैं। इसका फायदा समाजकंटक भी उठा सकते हैं। कनाडा और भारत दोनों को आपसी तनाव को जल्द से जल्द खत्म करना होगा। समय की यह सबसे बड़ी आवश्यकता है। भारत और कनाडा के बीच व्यापार संबंधों में आई वर्तमान दरार यदि ज्यादा बढ़ती है तो यह दोनों देशों की अर्थव्यवस्था के स्वास्थ्य को बिगाड़ सकती है। इसका शिक्षा, रोजगार और व्यापार के क्षेत्र पर कितना प्रभाव पड़ेगा, यह इस पर भी निर्भर करेगा कि तनाव कितने समय रहता है और कितना गंभीर होता है। विशेषज्ञ इस बारे में एकमत हैं कि दोनों देश जितना जल्दी हो सके, आपसी तनाव को खत्म करें।
भारत और कनाडा दोनों को विवादास्पद मुद्दों से आगे बढ़ते हुए आपसी सहयोग करते हुए विभिन्न क्षेत्रों पर ध्यान केंद्रित करने का प्रयास करना चाहिए। साझेदारी के लिए दोनों देशों के पास बड़ी संभावनाएं मौजूद हैं। इसलिए दोनों देशों को विवादों में उलझने की बजाय अवसरों का लाभ उठाने से चूकना नहीं चाहिए। यही दोनों देशों के विकास के लिए हितकर होगा। कनाडा ने विवाद शुरू किया है। इसलिए यह जिम्मेदारी कनाडा की ज्यादा है कि दोनों देशों के बीच पहले की तरह सामान्य संबंध हो जाएं।
Published on:
27 Sept 2023 09:56 pm
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