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आपकी बात, क्या जाति व्यवस्था खत्म हो सकती है?

पत्रिकायन में सवाल पूछा गया था। पाठकों की मिलीजुली प्रतिक्रियाएं आईं, पेश हैं चुनिंदा प्रतिक्रियाएं।

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Patrika Desk

Oct 10, 2022

आपकी बात, क्या जाति व्यवस्था खत्म हो सकती है?

आपकी बात, क्या जाति व्यवस्था खत्म हो सकती है?

बढ़ रही है जातीय राजनीति
निजी स्तर पर प्रत्येक जाति अपनी परंपराओं के अनुसार कार्य करने को स्वतंत्र है लेकिन सार्वजनिक स्तर पर अब कहीं भी छुआछूत जैसी स्थिति नहीं देखने को मिलती है। वर्तमान में आरक्षण व्यवस्था ने समाज में जातिगत व्यवस्था में नई जान फूंक दी है। इसे बढ़ावा देने का काम जातीय नेता व राजनीतिक दल बखूबी से कर रहे हैं। जातिगत संगठन स्वयं की जाति के लोगों को जातिगत स्तर पर संगठित कर हर क्षेत्र में अपनी जाति के नेतृत्व की मांग उठा रहे हैं। ऐसे में अब जातिगत व्यवस्था खत्म होने की संभावनाएं शून्य है।
-सुदर्शन शर्मा, चौमूं, जयपुर
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जाति व्यवस्था और सामाजिक सुरक्षा
जाति व्यवस्था समाज में सामाजिक सुरक्षा की तरह काम करती है। यहां लोग अपने वर्ग और जाति का ध्यान रखते हैं। वे हमेशा अपनी जाति के लोगों की मुसीबत में मदद करते हैं। जब तक कि हम इस देश के हर नागरिक के लिए एक राष्ट्रव्यापी सामाजिक सुरक्षा प्रणाली नहीं लाते, तब तक जाति व्यवस्था कुछ हद तक जारी रहेगी। सिर्फ जाति व्यवस्था को खत्म करने के प्रयास और उसके खिलाफ काम करने का कोई नतीजा नहीं निकलेगा। आवश्यकता है कि हम एक ऐसी राष्ट्रव्यापी शिक्षा व्यवस्था लाएं जो हर किसी की क्षमता के मुताबिक उन्हें कौशल प्रदान करे। ऐसा होने पर संभव है कि जाति व्यवस्था का महत्व पूरी तरह समाप्त हो जाए।
-अजिता शर्मा, उदयपुर
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विकास में बाधक
अगर हमें विश्व पटल पर अग्रणी होना है, तो जाति व्यवस्था को खत्म करना होगा। पिता के व्यवसाय को बेटे के लिए अपनाने का समय बीत चुका है। आज बौद्धिक और आर्थिक स्तर पर सभी इंसान बराबर हैं। मजदूर का बेटा अपनी मेहनत से कलक्टर बन रहा है और कुली का बेटा डॉक्टर। अपनी प्रतिभा को दिखाने का सभी को समान अवसर मिलने से ही समाज व देश का विकास संभव है। नेतागण तो जाति-धर्म का लाभ उठाकर चुनावी रोटियां सेकते हैं, जिससे समाज में सांप्रदायिक दंगों को बढ़ावा मिलता है। अच्छा तो यही है कि जाति व्यवस्था को समाप्त कर दिया जाए, जिससे आरक्षण जैसे मुद्दे पर आए दिन होने वाले तनाव का स्वत: ही खात्मा हो जाएगा।
-विभा गुप्ता, मैंगलोर
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सरकार ही बढ़ा रही है जातिवाद
सरकार ही जातिवाद को बढ़ावा दे रही है। चुनाव में उम्मीदवार जाति के आधार पर खड़े किए जाते हैं। सरकार नीतियां बनाने और निर्णय लेते समय जातियों का ध्यान रखती है। सरकार निष्पक्ष हो तभी जाति व्यवस्था खत्म हो सकती है।
-आरपी विजयवर्गीय ,उदयपुर, सेक्टर
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खत्म नहीं हो सकती जाति व्यवस्था
जाति व्यवस्था खत्म नहीं हो सकती। जाति व्यवस्था को खत्म करने के लिए जिस तरह की मानसिकता की जरूरत है, उसका निर्माण नहीं हुआ है।
-शिवराज सिंह मुवेल, थांदला, झाबुआ
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चुनावों में रहता है जाति का ध्यान
जाति व्यवस्था समाप्त करने के लिए दृढ़ संकल्प एवं मजबूत इच्छाशक्ति होना आवश्यक है। वर्तमान समय में राजनीतिक दलों की सम्पूर्ण कार्य प्रणाली एवं प्राथमिकताएं जाति आधारित हैं। मतदाताओं को जाति आधार पर आसानी से लामबंद किया जा सकता है। इसलिए सभी दल उम्मीदवार का चयन करते समय या योजनाएं बनाते समय जातिगत समीकरणों का पूरा ध्यान रखते हैं। अत: जाति व्यवस्था समाप्त करना आसान नहीं है, किन्तु नेता चाहें तो जाति व्यवस्था को कमजोर अवश्य कर सकते हैं।
-गिरीश कुमार जैन,कोटा
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जागरूकता पैदा की जाए
जाति व्यवस्था के कारण अनेक प्रकार की समस्याएं उत्पन्न होती हंै। जातिसूचक उपनाम लगाने पर प्रतिबंध लगाया जाना चाहिए। साथ ही साथ जातिगत आधार पर होने वाले चुनावों पर प्रतिबंध लगाया जाना चाहिए और जाति विशेष या वर्ग विशेष के आधार पर इसका विरोध और बहिष्कार किया जाना चाहिए । जाति प्रथा के विरुद्ध प्रचार प्रसार और लोगों में जागरूकता पैदा की जाए।
-मनीष कुमार साहू, गोबरा नवापारा, छत्तीसगढ़
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जाति और राजनीति
वर्तमान परिदृश्य में जाति व्यवस्था खत्म होने के आसार नहीं हैं। जाति आधारित राजनीति दलदल के समान है। यह आपस में लडऩे-लड़ाने का कुत्सित आधार बन गई है।
-मोहनलाल जांगिड़, बीकानेर
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न लगाएं सरनेम
जातिवाद को निश्चित रूप से समाप्त किया जा सकता है। इसके लिए पहले सभी जाति प्रमाण पत्रों को समाप्त करना होगा और किसी को अपने नाम के साथ सरनेम लगाने की अनुमति नहीं दी जाए। जातिगत पहचान समाप्त होने के साथ ही जातिवाद भी समाप्त हो जाएगा।
- गौरव शर्मा, कुम्हेर, भरतपुर