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राहुल गांधी सोशल मीडिया पोस्ट विवाद पर कांग्रेस और भाजपा के सोशल मीडिया प्रमुख आमने-सामने

Rahul Gandhi's social media post Controversy... 'नियम-कानून सबके लिए एक समान हों' - रोहन गुप्ता (कांग्रेस सोशल मीडिया प्रमुख)'देश के कानून से बढ़ कर कोई भी नहीं' - अमित मालवीय (भाजपा सोशल मीडिया प्रमुख)

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Rahul Gandhi's social media post Controversy

Rahul Gandhi's social media post Controversy

एक नाबालिग लड़की से कथित गैंगरेप और हत्या के बाद पीडि़ता के परिवार से कांग्रेस नेता राहुल गांधी की मुलाकात और कई सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर पोस्ट की गईं तस्वीरों के चलते उपजे विवाद ने देश में नई बहस छेड़ दी है। एक पक्ष दोहरे मापदंड की दलील दे रहा है तो दूसरा पक्ष कानून के उल्लंघन की। दोनों पक्षों के जवाब, मुकेश केजरीवाल के सवालों पर...

सवाल - क्या सोशल मीडिया पर पीडि़ता के परिजनों की तस्वीर को साझा करना गलत नहीं है?
रोहन गुप्ता... दोहरा मापदंड क्यों -
ऐसा नहीं हो सकता कि जो लोग अन्याय के खिलाफ हैं उन्हें डराने के लिए आप नियमों का इस्तेमाल अपने हिसाब से करने लगें। दो तारीख को एससी आयोग ने परिजनों की तस्वीर पोस्ट की, तीन तारीख को भाजपा नेता ने पोस्ट किया। तब कोई एक्शन नहीं। राहुल जी न्याय दिलाने आगे आए तो उन पर कार्रवाई। दोहरा मापदंड क्यों?

अमित मालवीय... कई कानूनों का किया उल्लंघन -
इस मामले में कांग्रेस पार्टी नेता राहुल गांधी ने कई कानूनों का उल्लंघन किया है। किशोर न्याय कानून और बाल यौन अपराध संरक्षण कानून (पॉक्सो) की अलग-अलग धाराओं के मुताबिक पीडि़ता के परिवार की पहचान उजागर करने वाली कोई भी जानकारी देना अपराध है। यह नैतिक रूप से, हमारी सामाजिक मान्यताओं के लिहाज से भी गलत है।

अब फेसबुक और इंस्टाग्राम ने भी हटाई दिल्ली दुष्कर्म मामले से संबंधित राहुल गांधी की पोस्ट

सवाल - क्या ऐसे मामले में सिर्फ विपक्ष के नेताओं पर ही कार्रवाई हो रही है? स्थायी समाधान क्या हो सकता है?
जवाब- स्पष्ट, पारदर्शी व समान नीति हो-
रोहन गुप्ता... बहुत बड़ी संख्या में लोग सरकार से डरे बिना सोशल मीडिया पर खुलकर अपनी बात रख रहे हैं, इससे सरकार बुरी तरह डर गई है। राहुल जी ने गलत किया था तो फिर एकाउंट दुबारा सक्रिय कैसे हो गया? ऐसे मामलों का स्थायी समाधान यही है कि सरकार को स्पष्ट, पारदर्शी और सभी के लिए समान नीति बनानी होगी।

अमित मालवीय... संयम बरतना ही समाधान-
ऐसा नहीं है। सत्तारूढ़ पार्टी के किसी नेता के ऐसा करने पर भी समय रहते पोस्ट हटाई गई है। राहुल गांधी और कांग्रेस ने मामले का अनावश्यक रूप से राजनीतिकरण किया है जो दुखद है। देश में कानून सभी के लिए बराबर है। स्थायी समाधान पोस्ट करते समय संयम बरतना और कानून का पालन करना है।

सवाल - क्या सोशल मीडिया महिलाओं-बच्चों के अधिकारों की सुरक्षा कर उन्हें सुरक्षित प्लेटफार्म मुहैया करवा पा रहा है?
जवाब- रोहन गुप्ता... सुरक्षा पर ध्यान दें कंपनियां -
सोशल मीडिया का प्रभाव जिस तरह बढ़ा है, कंपनियों को चाहिए कि अपने प्लेटफार्म सुरक्षित बनाने पर ध्यान दें। महिलाओं को प्रोफाइल और सूचना आदि को सुरक्षित करने के उपाय बताएं और उपलब्ध करवाएं। बच्चों को उचित सामग्री ही दिखाई दे, यह सुनिश्चित हो। दुरुपयोग रोकने के लिए शिकायत व्यवस्था मजबूत बनानी होगी।

अमित मालवीय... नए निर्देशों में इस पर और ध्यान -
हाल में ऐसी कई घटनाएं सामने आई हैं जहां सोशल मीडिया कंपनियां महिलाओं-बच्चों की निजता संबंधी प्रावधानों को लागू करने में विफल रही हैं या ऐसा करते समय मनमाना रवैया अपनाती दिखी हैं। आइटी एक्ट के तहत इन कंपनियों के लिए जो दिशा-निर्देश आए हैं, उनमें सुरक्षित प्लेटफार्म उपलब्ध कराने पर जोर दिया गया है।

सवाल - क्या आपको लगता है देश में सोशल मीडिया मुख्यधारा मीडिया का विश्वसनीय विकल्प पेश कर सकता है?
जवाब- रोहन गुप्ता... जितने झूठे दावे, उतना और सहारा -
सोशल मीडिया में तो लोगों का विश्वास बहुत बढ़ा है। सरकार ने जितने झूठे दावे किए, उतना ही लोगों ने सोशल मीडिया का और सहारा लिया। विपक्ष के तौर पर हमारा यही प्रयास है कि सच को सामने लाएं, अन्याय के साथ खड़े हों। सूचना सही हो या गलत, तुरंत फैलती है। इसलिए घृणा या हिंसा फैले, उससे पहले सक्रिय होना होगा।

अमित मालवीय... ...लेकिन कानून से ऊपर नहीं -
सोशल मीडिया आज जन-जन का माध्यम है। सिर्फ एक प्लेटफार्म है, इसके पास संपादन का अधिकार नहीं है और न ही होना चाहिए। निजता के अधिकार की रक्षा के साथ जरूरी है कि यह अभिव्यक्ति की आजादी पर भी किसी तरह का आक्षेप नहीं करे। किसी भी सोशल मीडिया कंपनी के नियम किसी देश के कानूनों से ऊपर नहीं हो सकते।