21 दिसंबर 2025,

रविवार

Patrika LogoSwitch to English
home_icon

मेरी खबर

icon

प्लस

video_icon

शॉर्ट्स

epaper_icon

ई-पेपर

Patrika Opinion : ताकि जश्न न बने किसी के लिए जानलेवा

- ग्रीन पटाखे देखने में सामान्य पटाखों की तरह होते हैं, परंतु इनसे वायु प्रदूषण कम होता है। नाइट्रोजन व सल्फर जैसी हानिकारक गैसें कम निकलती हैं।

2 min read
Google source verification
Patrika Opinion : ताकि जश्न न बने किसी के लिए जानलेवा

Patrika Opinion : ताकि जश्न न बने किसी के लिए जानलेवा

बढ़ते वायु प्रदूषण के बीच दीपावली आ गई है और पटाखों का विषय फिर चर्चा में है। तीन वर्ष पहले उच्चतम न्यायालय ने खतरनाक पटाखों के निर्माण पर प्रतिबंध लगा दिया था। केवल हरित पटाखों को अनुमति दी थी। ग्रीन पटाखे देखने में सामान्य पटाखों की तरह होते हैं, परंतु इनसे वायु प्रदूषण कम होता है। नाइट्रोजन व सल्फर जैसी हानिकारक गैसें कम निकलती हैं। इसके बावजूद देश के विभिन्न हिस्सों में हर तरह के पटाखों का निर्माण हो रहा है। हाल ही में एक जांच में पता चला है कि पटाखा बनाने वालों के पास भारी मात्रा में हानिकारक रसायन मौजूद है। इसमें बेरियम जैसा घातक रसायन भी है, जिसे प्रदूषण की दृष्टि से बेहद खतरनाक माना जाता है।

यह मामला अवमानना याचिका के तौर पर फिर से उच्चतम न्यायालय के के पास पहुंचा। अदालत ने नाराजगी जाहिर करते हुए कहा कि हमने सिर्फ हरित पटाखों की बिक्री की अनुमति दी थी, मगर देश में सब तरह के पटाखे बिक रहे हैं। कोर्ट ने यह भी कहा कि हमारे देश की जांच एजेंसियां कैसे काम करती हैं, सब जानते हैं। अफसोसजनक यह रहा कि अदालत को कहना पड़ा कि कुछ लोग यह धारणा बना रहे हैं कि यह प्रतिबंध किसी समुदाय विशेष के खिलाफ है, जबकि यह रोक व्यापक जनहित में लगाई गई है। इधर, नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल ने भी दीपावली पर पटाखों के इस्तेमाल पर प्रतिबंध के आदेश को जारी रखा है। ट्रिब्यूनल ने कहा है कि जिन शहरों में त्योहार के २४ घंटे पहले हवा खराब होगी, वहां पटाखे चलाना पूरी तरह से प्रतिबंधित रहेगा। जहां हवा का स्तर ठीक रहेगा, वहां सीमित समय तक हरित पटाखे चलाए जा सकेंगे। अदालत और एनजीटी दोनों ने ही कहा है कि आदेश की पालना करवाने का जिम्मा राज्य सरकारों व जिला कलक्टरों के पास है।

पटाखे फोडऩा और आतिशबाजी करना खुशी जाहिर करने का तरीका है। मगर ऐसी खुशी का क्या अर्थ, जो लोगों के लिए जान का खतरा बनती हो। हरित पटाखों पर प्रतिबंध नहीं है, मगर इन पटाखों के प्रति लोगों का आकर्षण इसलिए कम होता है कि इनसे वैसी आतिशबाजी नहीं हो पाती, जैसी घातक रसायनों से बने पटाखों से होती है। दरअसल, तेज आवाज और रंग-बिरंगी रोशनी लोगों को अधिक आनंद देती है। कुछ लोगों के क्षणिक आनंद से अगर बहुत सारे लोगों को तकलीफ पहुंचती है और उससे पहले से ही जानलेवा साबित हो रहे प्रदूषण के स्तर में इजाफा होता है, तो उस आनंद का कोई मतलब नहीं है। इसलिए यह चिंता वाजिब है। सरकारों तथा पटाखा कारोबारियों को भी इस ङ्क्षचता को समझना होगा।