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आपकी बात:  परिवार में आपसी विवाद को हिंसक होने से कैसे रोका जा सकता है?

पत्रिकायन में सवाल पूछा गया था। पाठकों की मिलीजुली प्रतिक्रियाएं आईं, पेश हैं चुनिंदा प्रतिक्रियाएं।

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Patrika Desk

Aug 07, 2022

आपकी बात:  परिवार में आपसी विवाद को हिंसक होने से कैसे रोका जा सकता है?

आपकी बात:  परिवार में आपसी विवाद को हिंसक होने से कैसे रोका जा सकता है?

बड़ों की है जिम्मेदारी
परिवार में आपसी विवाद को हिंसक होने से रोकने के लिए सर्वप्रथम विवाद के संभावित कारणों का पता करना आवश्यक है। इसके लिए सामाजिक, आर्थिक, मनोवैज्ञानिक कई कारण जिम्मेदार है। इसमें आर्थिक कारण सबसे प्रबल है। अक्सर पैतृक संपत्ति के बंटवारे,जमीन के बंटवारे को लेकर विवाद होता है। टूटते संयुक्त परिवार , व्यक्तिगत आर्थिक हित, शहरीकरण, कानूनी जानकारी का अभाव इन विवादों को बड़ा कर देते हैं। इसकी रोकथाम के लिए हमारी प्राचीन संयुक्त परिवार व्यवस्था और सामाजिक व्यवस्था कारगर है। घर के बड़े सामूहिक हित के निर्णय लेकर इन विवादों को शांत कर सकते हैं। समाज के प्रबुद्ध लोग और प्रभावशाली रिश्तेदार इन विवादों को सुलझाने में अहम भूमिका निभा सकते हैं। संपत्ति विवादों को सुलझाने के लिए सरल और सटीक कानूनों की जरूरत है ताकि समय पर विवाद हल कर उसे बढऩे से रोका जा सके।
-भंवरलाल देवातू, जोधपुर
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पौराणिक कथाओं और धर्म ग्रंथों की मदद लें
किसी भी परिवार के मुखिया एवं उम्रदराज सदस्यों का यह दायित्व बनता है कि वे अन्य युवा सदस्यों को पौराणिक कथाओं एवं धर्म ग्रंथों से रूबरू कराएं, ताकि वे उन पात्रों के जीवन से कुछ संस्कार ले सकें। वे आपसी संबंधों और प्रेम को गहराई से समझ सकें तथा आपसी रिश्तों को सम्मान दें। शिक्षण संस्थानों में ये बातें समझानी चाहिए। बाल मन पर नैतिक बातें जल्दी असर करती हैं। इसके साथ ही घर में कोई न कोई एक ऐसा अनुभवी सदस्य भी हो, जो विवाद उत्पन्न होने की स्थिति में उचित मार्गदर्शन कर सके। छोटे-मोटे विवादों में मध्यस्थता कर पारिवारिक विवाद को हिंसक एवं उग्र होने से बचाएं।
- प्रदीप गोदारा, विद्यार्थी, बीकानेर
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मानसिकता का परिणाम
हिंसा एक मानसिकता है, चाहे घरेलू हो या अन्य। परिवार का महत्व समझना आवश्यक है। हमें घर में प्रेम-सौहार्द की धारा बहानी चाहिए। ऐसा होने पर हिंसा की नौबत ही नहीं आएगी।
विद्या भंडारी
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बाहरी लोगों का हस्तक्षेप न हो
परिवार के आपसी विवादों में बाहरी लोगों के हस्तक्षेप से परिवार के सदस्यों में कटुता बढ़ती है। अच्छा हो कि आपसी समझाइश से मनमुटाव को खत्म किया जाए। इससे परिवार में हिंसक टकराव को रोका जा सकता है।
-गोपाल कुमार सेठिया, उदयपुर
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परिवार का महत्व समझें
आज एकाकी परिवार के दौर में लोग अपने आपको और बच्चों को परिवार के दूसरे लोगों से दूर करते जा रहे हैं। इसके कारण उनके अंदर अपनत्व की भावना नहीं पनप पाती है। शुरू से है आपसी प्रेम और बातचीत से हल निकालने की शिक्षा सभी के अंदर पैदा करनी चाहिए। यह बात समझनी चाहिए कि परिवार की लड़ाई बाहर के लोगों को मौका देती है।
-धीरेंद्र श्रीमाली, निंबाहेड़ा
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बंटवारा समय पर हो।
घर के मुखिया को समय पर संपत्ति का बंटवारा कर देना चाहिए। फिर भी विवाद हो, तो परंपरागत तरीके से कुटुंब द्वारा समझाइश कर विवाद को हिंसक होने से रोका जा सकता है।
-हनुमान पुरोहित, पाली
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परिवार के मुखिया का सम्मान करें
परिवार के वरिष्ठ यदि परिवार में सामंजस्य बनाकर रखें, तो विवाद हिंसक रूप नहीं ले पाएंगे। साथ ही परिवार के हर सदस्य को भी परिवार के मुखिया का सम्मान करना चाहिए।
-दिशा डागा, हातोद
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तालमेल न हो तो बंटवारा कर दें
मुख्यत: परिवार में कलह तीन कारणों से होता है। जर, जोरू और जमीन। पैसों और जमीन के बंटवारे में भेदभाव अक्सर विवादों को जन्म देता है। कभी-कभी परिवार की महिलाओं में, अच्छे ताल्लुकात ना बने रहने से भी, रिश्तो में खटास पैदा हो जाती है। परिवारों के मुखिया की उदासीनता भी विवादों की वजह बन जाती है। इन छोटे-मोटे विवादों को समय रहते सुलझा देना चाहिए। विवाद हिंसक रूप न लें, इसके लिए परिवार के मुखिया को परिवार के सभी सदस्यों में तालमेल बनाए रखने का प्रयास करते रहना चाहिए। या फिर बंटवारा करके अलग कर देना चाहिए, ताकि परिवारों में शांति बनी रहे। कोई विवाद हिंसक रूप न धारण कर पाए।
-प्रदीप कुमार छाजेड़, जोधपुर
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विचारों में सकारात्मकता बढ़ाएं
हर बात के दो पहलू होते है- सकारात्मक और नकारात्मक। सकारात्मक रहें। बात के हर पहलू को समझें तथा हिंसा से बचें। सोच को समय के साथ बदलना भी जरूरी है।
-रौनक राखैचा ,पाली
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अहं को त्यागें
परिवार में आपसी मनमुटाव हिंसक रूप धारण कर रहे हंै। ऐसी परिस्थितियों में अपने अहं को त्याग कर समय पर अपनों की समस्याओं पर ध्यान दिया जाए। प्रेम और स्नेह से समझाइश की जाए, तो झगड़ों को हिंसक होने से बचाया जा सकता है।
-अजिता शर्मा, उदयपुर
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एक पक्ष चुप रहे
आपसी विवाद शांति से सुलझाने चाहिए। दोनों पक्षों के उग्र होने पर एक पक्ष को चुप हो जाना चाहिए। अगर विवाद बहुत बढ़ जाए, तो किसी समझदार व्यक्ति को भी बुला लेना चाहिए। फिर भी स्थिति ना सुधरे तो विवाद को कुछ समय के लिए छोड़ देना चाहिए।
-नूरजहां रंगरेज, भीलवाड़ा
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नियमित काउंसलिंग जरूरी
आपसी हिंसक झगड़े परिवार के लोगों को नैतिक शिक्षा देने, उनकी नियमित काउंसलिंग करने और परिवार को नशामुक्त करने से बहुत हद तक कम हो सकते हैं।
-अखिलेश यादव, सागर