
आपकी बात....नौकरशाही को जनता के प्रति संवेदनशील कैसे बना सकते हैं?
जनता के प्रति हो जवाबदेह
नौकरशाही को जनता के प्रति जवाबदेह होना चाहिए। इससे नौकरशाही में संवेदनशीलता के गुणों का प्रादुर्भाव होता है। नौकरशाह को जनता के साथ लगातार संवाद बनाए रखना चाहिए। उसमें समस्याओं का समाधान करने की क्षमता हो। न्यायिक निर्णयों को सरल शब्दों में बताए।
-सुनील पारीक, भांकरी, तहसील-पावटा, जिला-कोटपूतली-बहरोड़
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अपने सेवा के प्रति रहें ईमानदार
नौकरशाही को अपने कर्तव्यों के प्रति ईमानदार रहना होगा। उनमें अहंकार नहीं हो और जनता के कार्य सरलतापूर्ण ढंग से करे। वे तय करें कि जो उन्हें वेतन मिल रहा है, उसके अनुरूप सेवा दे रहे हैं या नहीं। वे सुनिश्चित करें कि असहाय, मजबूर व गरीबों का शोषण न हो।
संजय माकोड़े , बैतूल
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जनता के साथ हो सकारात्मक संबंध
नौकरशाही में संवेदनशीलता बढ़ाने के लिए, सरकार को जनता के साथ सकारात्मक संबंध स्थापित करना होगा। जनता की परेशानियों को समझ कर उनका समाधान हो रहा है या नहीं, यह सरकार को देखना होगा। सोशल मीडिया का सही तरीके से इस्तेमाल हो, जिससे लोग समस्याओं के सुझाव दे सकें। तकनीकी सुधार हों।
स्वराज कुमार अग्रवाल- वडोदरा
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ब्रिटिश राज जैसी नौकरशाही में हो बदलाव
नौकरशाह, आम जनता के साथ अच्छे से पेश आए। देश के प्रशासनिक सिस्टम को ब्रिटिश राज वाले पैटर्न में परिवर्तन लाना होगा। काम के दबाव, राजनैतिक दखल एवं व्यक्तिगत कारणो से भी अफसर जनता के प्रति असहिष्णु हो जाते हैं। इसके लिए अधिकारियों को जवाबदेह बनाने के लिए प्रशिक्षण दिया जाना चाहिए।
ललित महालकरी, इंदौर
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नौकरशाहों में कर्म के प्रति आलस न हो
कर्म ही पूजा है। इसे नौकरशाही के आचरण में उतारने की आवश्यकता है। बड़े मंत्रालय से लेकर छोटे कार्यालय तक नकारात्मक विचारों और कुकर्मों का अंधेरा अधिक व्याप्त है। सहयोग, सहानुभूति, दायित्वों और निःस्वार्थ सेवाओं का उजाला बहुत कम है। अच्छे ईमानदार कर्मियों को सम्मान मिलना चाहिए, जिससे उन्हें प्रोत्साहन मिल सके। नौकरशाह पर उचित निगरानी हो।
मुकेश भटनागर, भिलाई, छत्तीसगढ़
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भ्रष्टाचार की आदतों में हो सुधार
नौकरशाही में भ्रष्टाचार की नींव गहरी है। कर्मचारी रिश्वत लेने को अपना धर्म समझते हैं। नौकरशाही में भ्रष्टाचार की आदतें खत्म करनी चाहिए। उनमें संवेदनशीलता का भाव विकसित हो, यह जरूरी है।
लहर सनाढ्य, उदयपुर
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नौकरशाह संवेदनशील बनें
नौकरशाह संवेदनाशून्य हो गए हैं। जनभावनाओं की परवाह नहीं करते। इन्हें समाज से जोडना पडेगा। इससे जनता में इनकी अच्छी साख बनेगी। इन्हें अपना अहंकार त्यागना होगा।
कैलाश चन्द्र मोदी, सादुलपुर (चूरु)।
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जवाबदेही और पारदर्शिता हो
वर्तमान में नौकरशाही को जनता के प्रति संवेदनशील बनाने के लिए नौकरशाही प्रक्रियाओं को अधिक पारदर्शी बनाने की आवश्यकता है। नौकरशाहों को उनके कार्यों के लिए जवाबदेह ठहराया जाना चाहिए। पारदर्शिता भ्रष्टाचार को कम करने में मदद कर सकती है।
डॉ.अजिता शर्मा, उदयपुर
Published on:
25 Jan 2024 03:56 pm
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