
आपकी बात, मोटे अनाज की खपत कैसे बढ़ाई जा सकती है?
राशन की दुकानों पर भी वितरित हो
मोटे अनाज के उत्पादन को प्रोत्साहन किया जाना चाहिए। इसके न्यूनतम समर्थन मूल्यों में भी वृद्धि की जानी चाहिए। साथ ही साथ मोटे अनाज को सार्वजनिक वितरण प्रणाली में शामिल किया जाना चाहिए, ताकि इसकी खपत बढ़े। लोगों को इस बात से अवगत कराया जाना चाहिए कि मोटा अनाज पौष्टिक होता है।
-मनीष कुमार साहू, गोबरा नवापारा, छत्तीसगढ़
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थाली से नदारद
आज के दौर में लोगों की थाली में मोटे अनाजों से निर्मित खाद्य सामग्री नदारद सी नजर आती है। लोगों का रुझान झटपट तैयार होने वाले जैसे बर्गर, पिज्जा, चाऊमीन आदि की ओर है। सरकार को स्वयंसेवी संगठनों के माध्यम से मोटे अनाजों की पौष्टिकता के बारे में व्यापक प्रचार- प्रसार करना चाहिए। इससे इसकी खपत बढ़ेगी, जिससे इसके उत्पादन को भी प्रोत्साहन मिलेगा।
-पी.सी . खंडेलवाल, सांभर लेक, जयपुर
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खेती और खरीद को बढ़ाने की जरूरत
मोटे अनाज की खेती को लेकर सरकार का रवैया उत्साहवर्धक नहीं है। इन अनाजों के लिए लाभकारी समर्थन-मूल्य घोषित करने, इनकी सरकारी खरीद, भंडारण व विपणन के साथ-साथ अनुसंधान एवं विकास के लिए प्रभावी नेटवर्क बनाने जैसे कदम उठाने की जरूरत है। मोटे अनाज की खेती और खरीद को योजनाबद्ध तरीके से बढ़ाने पर जोर देना हे
-कुमारी पंकज नेहरा, बासमुंदी, चूरू
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प्रोत्साहन की जरूरत
मोटे अनाज में पोषक तत्व अधिक होते हंै। इनकी खपत बढ़ाने के लिए सरकार जन जागरूकता कार्यक्रम व विशेष शिविरों का आयोजन करे। कृषि पर्यवेक्षकों को आदेशित किया जाए कि वे अपने कार्यक्षेत्र में इनकी अधिक पैदावार करने के लिए किसानों को प्रेरित करें तथा इन फसलों के लिए सरकारी स्तर पर अनुदान उपलब्ध करवाया जाए।
अनिता रामकृष्ण यादव, मुण्डावर, अलवर
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मिड डे मील में शामिल हो मोटा अनाज
मेलों और प्रदर्शनियों में मोटे अनाज से निर्मित व्यंजनों के बारे में लोगों को बताया जाए। स्कूलों में दोपहर के भोजन में भी मोटे अनाज से निर्मित खाद्य सामग्री को शामिल किया जाए। किसानों को फसल का उचित मूल्य भी दिलाया जाए।
-बृज नेहरू पाटीदार , जनकपुर, नीमच
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प्रचार-प्रसार की जरूरत
मोटे अनाज की खेती के लिए किसानों को प्रोत्साहित कर उन्हें गुणवत्तापूर्ण बीज उपलब्ध करवाए जाना चाहिए। साथ ही मोटे अनाजों से निर्मित खाद्य सामग्री का प्रचार-प्रसार हो। आंगनबाड़ी, स्कूलों और अस्पतालों में दिए जाने वाले आहार में भी मोटे अनाज का अधिक से अधिक उपयोग हो जिससे इसकी खपत बढ़ेगी और स्वास्थ्य के लिए भी ठीक रहेगा।
-संजय डागा हातोद
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खानपान में शामिल करें
पहले ज्वार,बाजरा, रागी, सामा जैसे मोटे अनाज को लोगों ने अपने खानपान में शामिल कर रखा था। यह अनाज पौष्टिकता से भरपूर होता है। आधुनिक युग में हमने गेहूं और धान को ही अपनी थाली का हिस्सा मान लिया है। इस गलती को ठीक करना होगा। सरकार को मोटे अनाज की खेती पर जोर देने की आवश्यकता है। इस प्रकार के अनाज उत्पादन में ज्यादा मेहनत नहीं करनी पड़ती है। यह कम पानी और कम उपजाऊ जमीन में भी उग जाता है।
-नीलिमा जैन, उदयपुर
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तुलनात्मक रूप से आसान
कम उपजाऊ मिट्टी में भी मोटे अनाज की अच्छी खेती की जा सकती है और तुलनात्मक रूप से इनमें कीटनाशकों की इतनी जरूरत नहीं होती है। मोटे अनाजों को अधिक पानी-सिंचाई की आवश्यकता नहीं होती है। यह अधिक तापमान में भी आसानी से पैदा किए जा सकते हैं। ये फसलें किसानों के लिए अच्छी हैं, क्योंकि उनकी खेती करना दूसरी फसलों की तुलना में आसान है।
-रघुवीर सुथार, गुड़ामालानी
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लौटना होगा पुराने खानपान की ओर
आज की युवा पीढ़ी फास्ट फूड का जमकर उपयोग कर रही है जिस कारण उच्च रक्तचाप, शुगर और किडनी से संबंधित बीमारियां पैर पसार रही हैं । इसलिए हमें फिर से अपने पुराने खानपान की ओर लौटना होगा जहां रागी, बाजरा, मक्का और बाजरा जैसे अनाज का उपयोग किया जाता था। इससे किसानों को भी फायदा होगा और लोग भी स्वस्थ रहेंगे।
-शुभम वैष्णव, सवाई माधोपुर
Published on:
13 Oct 2022 03:57 pm
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