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आपकी बात, लिंगानुपात में सुधार कैसे हो सकता हैं?

आपकी बात, लिंगानुपात में सुधार कैसे हो सकता हैं? पत्रिकायन में सवाल पूछा गया था। पाठकों की मिलीजुली प्रतिक्रियाएं आईं, पेश हैं चुनिंदा प्रतिक्रियाएं।

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Patrika Desk

Nov 07, 2022

आपकी बात, लिंगानुपात में सुधार कैसे हो सकता हैं?

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बदलनी होगी मान्यता
लिंगानुपात में विषमताओं का सबसे बड़ा कारण है सामाजिक मान्यता। माना जाता है कि बेटा ही मां-बाप का साथ देगा और बुढ़ापे का सहारा बनेगा। वही वंश को आगे बढ़ाएगा। विवाह के बाद बेटियां अपने घर से विदा हो जाती हैं। विवाह के बाद बेटियां कोई भी निर्णय ससुराल पक्ष से अनुमति लेकर ही करती हैं। ससुराल पक्ष मां-बाप की संपत्ति पर बेटी के अधिकार को तो समझता है, लेकिन उनकी सेवा को अपनी जिम्मेदारी नहीं मानता। अगर हम लिंगानुपात को सुधारना चाहते हैं, तो यह मान्यता बदलनी होगी। बेटियों को भी मां-बाप की सेवा के लिए तैयार रहना चाहिए।
-नटेश्वर कमलेश, चांदामेटा, मध्यप्रदेश
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चिंताजनक स्थिति
वर्तमान में समय में शिक्षा और साक्षरता के ग्राफ में लगातार वृद्धि होती जा रही है। फिर भी लिंगभेद की समस्या बनी हुई है। शिक्षा के प्रभाव के कारण 'हम दो, हमारे दोÓ का माहौल बना हैै, लेकिन लिंगानुपात में अपेक्षित सुधार नहीं हुआ है। यह चिंताजनक स्थिति है।
-सरिता प्रसाद, पटना
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जन जागरूकता की जरूरत
लिंगानुपात में सुधार के लिए जन जागरूकता का अभियान चलाया जाए। सरकार और एनजीओ मिलकर कम लिंगानुपात वाले क्षेत्रों में लोगों की नकारात्मक मनोवृत्ति बदलने का प्रयास करें। साथ ही सरकार ऐसी योजनाएं चलाए, जिससे इसमें सुधार हो।
-शुभम सक्सेना, भोपाल
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न हो भेदभाव
आज भी घर-परिवार में लड़के-लड़की के बीच भेदभाव होता है। हर माता-पिता को लड़के की ख्वाहिश होती है। इसके लिए वे भ्रूण हत्या जैसा जघन्य अपराध करने से भी परहेज नहीं करते हैं। यही लिंगानुपात बिगडऩे का मूल कारण है। अत: सोच बदलिए, लड़की को भी बढऩे का अवसर प्रदान करें। उसकी प्रगति में बाधक नहीं, साधक बनें।
- गजानन पाण्डेय , हैदराबाद
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लिंगानुपात को बढ़ाने के लिए सरकार काम तो कर रही है, लेकिन अपेक्षित परिणाम नहीं मिल रहे। नारी सशक्तीकरण की योजनाओं को केवल कागजों में संचालित करने से बेहतर होगा, उनको धरातल पर लागू करके महिलाओं को उनका लाभ दिलाएं, जिससे उनमें नई चेतना की किरण दिखेगी। जन जागरूकता कार्यक्रमों का संचालन करना होगा, जिससे लोगों में नारी की सुरक्षा, सम्मान करने की भावना जागृत होगी। सरकार व प्रशासन तंत्र की दृढ़ इच्छाशक्ति ही लिंगानुपात में अपेक्षित सुधार कर सकती हैं।
-सी. आर. प्रजापति, हरढ़ाणी, जोधपुर
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प्रोत्साहन योजनाएं बनाई जाएं
लिंगानुपात में सुधार करने के लिए प्रोत्साहन की योजनाएं प्रारंभ करना चाहिए जिसमें कन्या के जन्म पर पुरस्कार आदि दिए जाएं। शिशुओं की चिकित्सा व्यवस्था में सुधार हो। भ्रूण परीक्षण पर कठोर दंडनीय कार्रवाई हो।
-गिरीश कुमार जैन कोटा
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मानसिकता बदलनी होगी
लिंगानुपात में सुधार लाने के लिए सबसे पहले तो लोगों को अपनी मानसिकता बदलनी होगी। बेटा ही वंश बढ़ाएगा, पुत्र ही कुल का नाम रोशन करेगा, बेटी पराई होती है, वह तो एक बोझ है आदि-आदि धारणाओं से हमें मुक्त होना पड़ेगा। हम क्यों भूल जाते हैं कि पुत्र-जन्म के लिए भी एक स्त्री चाहिए जिसे पुत्री रूप में कहीं तो जन्म लेना ही पड़ेगा। साथ ही, सरकार जन-जागरूकता अभियान चलाकर कन्या-भ्रूण हत्या पर रोक लगाने का प्रयास करे। लिंग-भेद न करके लड़कियों व महिलाओं को भी रोजगार के अवसर प्रदान किए जाने चाहिए।
-विभा गुप्ता, मैंगलोर
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नीतियों का क्रियान्वयन भी हो
सरकार ने महिलाओं व बच्चों के लिए जो भी नीति बनाई है, उनका प्रभावी रूप से क्रियान्वयन भी किया जाए, क्योंकि इतना होने के बावजूद भी महिलाओं-बच्चों के स्वास्थ्य में कोई खास सुधार नहीं हो रहा। लिंगानुपात सुधार कार्यक्रमों का व्यापक प्रचार-प्रसार किया जाए, इसमें सुधार हो सकता है।
-लता अग्रवाल, चित्तौडग़ढ़