पत्रिकायन में सवाल पूछा गया था। पाठकों की मिलीजुली प्रतिक्रियाएं आईं, पेश हैं चुनिंदा प्रतिक्रियाएं।
जरूरी है सबक
वैसे तो अच्छा बोलने वाले समाज में गलत बोलने वाले लोग भी होते ही हैं, परंतु जब हमारे नेता ही गलत बयान देते हैं, तो उसका बुरा असर समाज पर पडऩा स्वाभाविक है। ऐसे नेताओं को सबक सिखाया जाना चाहिए।
सुमिता चौधरी, रामपुरा डाबड़ी जयपुर
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सतर्क रहने की आवश्यकता
ऐसे घृणा फैलाने वाले बयान देने वालों से सख्त कार्रवाई के द्वारा निपटा जा सकता है। इसी के साथ ही लोगों में जागरूकता बढ़ाने की भी आवश्यकता है। जनता को सतर्क रहना भी आवश्यक है।
-रेखा सोलेट, जयपुर
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जरूरी है कार्रवाई
घृणा फैलाने वाले बयान देने वालों का सामाजिक बहिष्कार करना चाहिए। यदि बयान से समाज में में घृणा का जहर फैल रहा हो तो पुलिस कार्रवाई होनी चाहिए।
-सतीश उपाध्याय मनेंद्रगढ़ छत्तीसगढ़
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चुनाव लडऩे पर रोक लगाई जाए
घृणा फैलाने वाले नेताओं पर 6 वर्ष तक सभी स्तर के चुनाव लडऩे पर रोक लगाई जाए। ऐसे लोगों को सरकार नौकरी के लिए अपात्र घोषित किया जाए।
-बाल कृष्ण जाजू, जयपुर
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कड़ा काननू जरूरी
संकीर्ण मानसिकता के चलते घृणा फैलाने वाले बयान दिए जाते हैं। ऐसी बयानबाजी को रोकने के लिए एक असरकारक कानून लागू किया जाना चाहिए जिसमें लोगों को एहसास हो कि घृणा फैलाने वाले बयान देने पर उनके खिलाफ कठोर कार्रवाई की जा सकती है।
-प्रिंस कुमार शर्मा, सिंघाना, झुंझुनूं
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एकता और अखंडता प्रभावित
भड़काऊ भाषणों से देश की एकता और अखंडता भी प्रभावित हो रही है। लिहाजा सरकार को इस संदर्भ में ठोस कानून बनाने की आवश्यकता है। साथ ही आईपीसी की धाराओं में कुछ कठोर प्रावधान किए जाने चाहिए।
-शिवानी सिंह चौहान, बाड़मेर
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सामाजिक मंच न दिया जाए
घृणा फैलाने वालों के विरुद्ध कड़ी कानूनी कार्रवाई हो। साथ ही भविष्य में उन्हेंं सार्वजनिक मंच देने पर भी पाबंदी लगाई जाए। इस प्रकार के लोग समाज व राष्ट्र की शांति व्यवस्था को भंग करते हैं।
-कमल सिंह भाटी, जैसलमेर
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चुनाव लडऩे पर प्रतिबंध जरूरी
आए दिन नेता घृणा फैलाने वाले बयान देते हैं, जो उचित नहीं है। घृणा फैलाने वाले बयान देने वालों से निपटने के लिए केन्द्र सरकार को कड़ा कानून बनाना चाहिए। ऐसे नेताओं के चुनाव लडऩे पर भी पूर्णत: प्रतिबंध लगाना चाहिए।
-आलोक वालिम्बे, बिलासपुर, छत्तीसगढ़