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प्रसंगवश… चिंता बढ़ाने वाली है प्रदेश में बढ़ रही डॉग बाइट की घटनाएं

प्रदेश में श्वानों के काटने (डॉग बाइट) की घटनाएं गंभीर चिंता का विषय बन गई हैं।

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जयपुर

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Mahesh Jain

Mar 12, 2025

प्रदेश में श्वानों के काटने (डॉग बाइट) की घटनाएं गंभीर चिंता का विषय बन गई हैं।

सरकारी निकायों, निगमों व समाज के सभी वर्गों को मिलकर निकालना होगा ठोस समाधान

प्रदेश में श्वानों के काटने (डॉग बाइट) की घटनाएं गंभीर चिंता का विषय बन गई हैं। घर के आंगन के बाहर खेल रहे बच्चे हों, स्कूल कॉलेज मंदिर जा रहे जा रहे छात्र-छात्राएं या आमजन हों, कोई सुरक्षित नहीं। डरावने दृश्य तब हो जाते हैं जब झुण्डों में श्वान किसी पर हमला कर देते हैं। गली मोहल्लों में घूमते आवारा श्वान अपराधी जैसे लगते हैं और लोग उनसे सावधान होकर निकलते हैं। सालाना 10 हजार से अधिक घटनाएं डॉग बाइट की हो रही हैं। औसतन प्रत्येक घंटे में कहीं ना कहीं एक व्यक्ति डॉग बाइट का शिकार हो रहा है। इनमें कई लोगों की तो मौत भी हो जाती है। इन घटनाओं पर नियंत्रण पाने के लिए सरकार और नगर निकायों को ठोस कदम उठाने की तत्काल आवश्यकता है।

बच्चे या महिलाएं यदि राह में अकेले हैं तो श्वानों के हमलों का अधिक शिकार हो रहे हैं। अलवर शहर में घर के बाहर टहल रही कॉलेज छात्रा नव्या पर 8 मार्च को 8 श्वानों के झुण्ड ने हमला कर दिया और 10 सैकण्ड में ही 12 जगह काट लिया। चीख पुकार के वायरल हुए वीडियो को देखकर लोग सहम गए।

गंगापुरसिटी में गत16 फरवरी को एक छह साल के बच्चे पर श्वानों के झुण्ड ने हमला कर जगह-जगह से काट लिया। दौसा शहर में गत वर्ष मार्च माह में एक पागल श्वान ने करीब 20 लोगों को काट लिया था, जिनका जिला अस्पताल में उपचार कराया। जयपुर ग्रामीण में रामपुरा-डाबड़ी उपखंड के जाहोता में 18 जनवरी 2025 को 14 वर्षीय सूरजमल गुर्जर को श्वानों ने हमला कर जख्मी कर दिया था। यहीं न्यू रैगर कॉलोनी में 25 फरवरी 2025 को सुबह 7 बजे 7 वर्षीय सांझ डींगवाल को हमला कर घायल कर दिया था। 4 अक्टूबर 2024 को जाहोता की न्यू रैगर कॉलोनी में रहने वाली 3 वर्षीय बच्ची को श्वानों ने जख्मी कर दिया था। बालिका के गाल की सर्जरी करनी पड़ी थी। 15 नवम्बर 2023 को आवारा श्वान ने गोविन्दगढ़ इलाके के देवथला में पिता व पुत्र को काट कर जख्मी कर दिया था। बाद में पिता की रेबीज से मौत हो गई थी। मनीष कुमार यादव अपने 10 वर्षीय पुत्र कृष्ण के साथ 25 सितंबर को खेत पर कार्य कर रहे थे। पुत्र पर आवारा श्वान ने हमला कर दिया। पुत्र को बचाने के दौरान पिता को भी श्वान ने जख्मी कर दिया था। बाद में मनीष की उपचार के दौरान मौत हो गई थी। इसी प्रकार बूंदी में मांगीलाल की खैरथल में 7 वर्षीय बालिका इकराना की मौत हो गई। प्रदेश में ऐसी कई घटनाएं हैं जो रोंगटे खड़े कर देती है।

प्राप्त आंकड़ों के अनुसार, 2020 में जानवरों के काटने के 5,274 मामले, 2021 में 6,741, वर्ष 2022 में 7,243, और 2023 में 7,874 मामले सामने आए। ये तो रिकॉडेड हैं, कई मामले ऐसे होते हैं जो रिकॉर्ड में नहीं आते। ये आंकड़े प्रति वर्ष बढ़ रहे हैं, जो डराने वाले हैं।

ऐसे में ऐसी घटनाओं पर अंकुश पाने के लिए गंभीर प्रयास शुरू कर दिए जाने चाहिए। आवारा श्वानों की जनसंख्या नियंत्रण के लिए व्यापक नसबंदी और रेबीज टीकाकरण कार्यक्रम चलाए जाने चाहिए। इससे उनकी संख्या नियंत्रित होगी और रेबीज संक्रमण का खतरा कम होगा। हिंसक या बीमार श्वानों के लिए विशेष आश्रय गृह स्थापित किए जाने चाहिए, जहां उनकी देखभाल हो सके और वे सार्वजनिक स्थानों पर खतरा न बनें। साथ ही, कचरा प्रबंधन में सुधार करके श्वानों के भोजन के स्रोतों को नियंत्रित किया जा सकता है। राजस्थान सरकार ने श्वान पालन के लिए गाइड लाइन्स जारी की है, जिनमें आवारा हिंसक श्वानों को शहर से दूर छोड़ने और पालतू श्वानों के मालिकों के लिए नियमों का पालन सुनिश्चित करने के निर्देश शामिल हैं। समग्र रूप से, श्वानों के काटने की घटनाओं पर नियंत्रण पाने के लिए सरकारी निकायों, नगर निगमों नगरपरिषदों, नगरपालिकाओं और समाज के सभी वर्गों को मिलकर प्रयास करने होंगे। सतर्कता, जागरूकता और ठोस कदमों से ही इस समस्या का समाधान संभव है।