Patrika LogoSwitch to English
home_icon

मेरी खबर

video_icon

शॉर्ट्स

epaper_icon

ई-पेपर

प्रसंगवश : तबादला सूची में लापरवाही, प्रशासनिक ढांचे पर प्रश्नचिन्ह

राजस्थान में भाजपा सरकार की ओर से जारी की गई पहली तबादला सूची में जो अनियमितताएं और लापरवाहियां सामने आई हैं, वे सरकार की तबादला नीति और कार्यकुशलता पर गंभीर सवाल खड़ा करती हैं।

2 min read
Google source verification
rajasthan viral transfer list

राजस्थान में भाजपा सरकार की ओर से जारी की गई पहली तबादला सूची में जो अनियमितताएं और लापरवाहियां सामने आई हैं, वे सरकार की तबादला नीति और कार्यकुशलता पर गंभीर सवाल खड़ा करती हैं। यह स्थिति न केवल कर्मचारियों और अधिकारियों के लिए परेशानी का कारण बनी है, बल्कि राज्य के प्रशासनिक ढांचे की विश्वसनीयता को भी प्रभावित करती है।

तबादला सूची में कई कर्मचारियों और अधिकारियों के स्थानांतरण की जानकारी हास्यास्पद तरीके से दी गई है। कुछ कर्मचारियों के लिए सूची में लिखा गया है कि उन्हें केवल ‘हटाना’ है या ‘दूर स्थान पर भेजना’ है, लेकिन उन्हें किस स्थान पर कार्यभार ग्रहण करना है, इसका कोई उल्लेख नहीं किया गया। इस तरह की अस्पष्टता और गड़बड़ी न केवल प्रशासनिक दक्षता को प्रभावित करती है, बल्कि कर्मचारियों और अधिकारियों को भी मानसिक तनाव का शिकार बनाती है।

इस सूची में यह भी देखने को मिला कि कई कर्मचारियों को दो-दो जगह पर कार्यभार सौंप दिया गया, जिससे यह स्पष्ट होता है कि तबादला प्रक्रिया में गंभीर कमी है और सिर्फ नेताओं और जनप्रतिनिधियों के इशारों पर किया गया है।

इससे जाहिर है कि जिन अ​धिकारियों पर तबादला सूची जारी करने की जिम्मेदारी थी, उन्होंने इसे ठीक से पढ़ा तक नहीं। इसकी जिम्मेदारी केवल ऑपरेटरों पर छोड़ दी गई। यह स्थिति प्रशासनिक ढांचे के लिए बड़ा संकट है और इससे यह स्पष्ट हो जाता है कि सरकार के प्रशासनिक कार्यों में गंभीर सुधार की आवश्यकता है।

इसके अलावा, 28 आईएएस और 45 आईपीएस अधिकारियों को पदोन्नत तो किया गया है, लेकिन 19 दिन बाद भी उनके कार्यालयों के बाहर पुरानी नेम प्लेट्स लगी हुई हैं। नया पद नहीं मिलने से वे पुराने काम काज में रूचि नहीं दिखा रहे, इससे लोगों के काम प्रभावित हो रहे हैं।

इस स्थिति को सुधारने के लिए राज्य सरकार को तुरंत प्रभाव से एक स्पष्ट और पारदर्शी तबादला नीति बनानी चाहिए, जो न केवल कर्मचारियों और अधिकारियों की समस्याओं का समाधान करे, बल्कि प्रशासनिक कार्यकुशलता को भी सुनिश्चित करे। यदि राज्य सरकार समय रहते इन समस्याओं का समाधान नहीं करती है, तो इसका प्रतिकूल असर न केवल प्रशासनिक कार्यों पर पड़ेगा, बल्कि जनता की विश्वास की भावना भी कमजोर होगी। इसलिए, यह सरकार की प्राथमिक जिम्मेदारी बनती है कि वह एक सक्षम और पारदर्शी प्रशासनिक ढांचे का निर्माण करें, जिससे कर्मचारियों और अधिकारियों को कोई असुविधा न हो और राज्य के विकास कार्यों में कोई रुकावट न आए।

-युगलेश शर्मा