
प्रतीकात्मक चित्र
नरेन्द्र सिंह तोमर
केंद्रीय कृषि और किसान कल्याण मंत्री
किसानों की जय कहने वाले भारत देश में खेती-किसानी के हित को लेकर आजादी के पिचहत्तर सालों में बातें तो खूब हुईं पर धरातल पर उनका असर कम ही दिखाई दिया। जहां सरकारों को किसानों का हित करना था वहां देखा गया कि सुधार के नाम पर लागू नीतियों व साधनों से हमारी परंपरागत खेती को ही नष्ट कर दिया गया। हमारा देश सोने की चिडिय़ा और विश्व गुरु कहलाता था। विश्व गुरु का संबोधन इसीलिए था क्योंकि हमारे पास अनुभवजनित ज्ञान के साधन व सूत्र थे। खेती-किसानी के भी अपने तरीके थे। खेती के तरीकों और मौसम को पढऩे के दोहे-कहावतें व देशज अनुभव भी रहे हैं। जैसे-जैसे हम इस समृद्ध परंपरा से दूर होते गए, हमारी कृषि भी पहचान खोती गई। हरित क्रांति ने हमें सर्वाधिक उपज का श्रेय दिया है, तो रासायनिक खेती के दुष्प्रभाव भी छोड़े हैं।
Updated on:
04 Aug 2022 10:45 pm
Published on:
04 Aug 2022 10:00 pm
बड़ी खबरें
View Allओपिनियन
ट्रेंडिंग
