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भारत खुद निपटे आतंकवाद से, न रहे किसी के भरोसे

अमरीकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप यह संदेश दे रहे हैं कि वे अमरीकी लोगों के हितों की रक्षा के लिए चुने गए हैं न कि दुनिया के हितों की। भारत के नीति—निर्माताओं को इन बदलते संकेतों को समझकर सही निष्कर्ष निकालना चाहिए। - कैच न्यूज से

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Rajeev sharma

Apr 24, 2017

अमरीका के राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार जनरल एचआर मैक्मास्टर ने हाल में अफगानिस्तान, पाकिस्तान और भारत की यात्रा की। यह यात्रा ऐसे दौर में हुई है जब ट्रंप प्रशासन को अब भी इस क्षेत्र के प्रति अपना नजरिया परिभाषित करना शेष है।

यात्रा से साफ दिख रहा है कि अमरीका के लिए पाकिस्तान द्वारा भारत केंद्रित आतंकवादी समूहों को खत्म करने का मुद्दा हाशिये पर है। अमरीका की व्यस्तता अफगानिस्तान में स्थिरता लाने और अमरीका के सबसे लंबे युद्ध को खत्म करने की ही है।

मैक्मास्टर ने आतंकी समूहों को पाक समर्थन पर कहा, हम उम्मीद करते हैं कि पाकिस्तान के नेता इस बात को समझेंगे कि यह उनके हित में है कि वे इन समूहों का खात्मा करने में पहले की उस चयनात्मक नीति को कम करें और यह समझें कि अफगानिस्तान और दूसरी जगहों पर अपनों हितों को साधने के लिए कूटनीति का सहारा लेना ही सबसे अच्छा तरीका है न कि हिंसा में शामिल होने वाले प्रतिनिधि समूहों का।

अफगानिस्तान के बाद 'दूसरी जगहों' पर शब्द के इस्तेमाल के बावजूद भारत के लिए इसमें कहीं कोई संतोष वाली बात नहीं है क्योंकि इस तरह के संदेशों का कूटनीति में कोई अर्थ नहीं होता। काबुल में, जहां पाकिस्तान का अफगान तालिबानी आतंकवाद के माध्यम से अमरीका को सीधे चोट पहुंचाता है, वहां मैक्मास्टर ने तीखा संदेश दिया।

यह संकेत इस्लामाबाद में आकर ढीले हो गए। पर दिल्ली में तो इस विषय पर कोई सार्वजनिक संकेत ही नहीं दिया गया। यह वो नीति है जिसके माध्यम से अमरीकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप यह संदेश दे रहे हैं कि वे अमरीकी लोगों के हितों की रक्षा के लिए चुने गए हैं न कि दुनिया के हितों की। भारत के नीति-निर्माताओं को इन बदलते सार्वजनिक संकेतों के जरिए सही निष्कर्ष निकालना चाहिए।

अब तक यह काफी स्पष्ट हो चुका है कि अफगानिस्तान के मुद्दे पर रूस और अमरीका आमने—सामने आ चुके हैं। मैक्मास्टर की यात्रा और अफगान की स्थिति पर मास्को की बैठक दोनों एक ही साथ घटित हुए। अमरीका को भी इस मीटिंग में बुलाया गया था, जिसे अमरीका ने नकार दिया।

अफगानिस्तान में अमरीका द्वारा सर्वाधिक शक्तिशाली गैर न्यूक्लियर बम के इस्तेमाल के पीछे एक उद्देश्य रूस और इस क्षेत्र को अमरीका के संकल्प और इरादों का संदेश देने की नीति थी। अफगानिस्तान में भारत एक स्वतंत्र शक्ति तथा मित्र देश के रूप में समाहित है।

यहां भारत का सहायता कार्यक्रम काफी लोकप्रिय है और इसे जारी रहना चाहिए। मोदी सरकार ने अफगान सेनाओं को सुरक्षा व सहायता देने की दिशा में भी काम किया है। भारत के हितों व अफगानियों के आग्रह को देखते हुए यह जारी रहना चाहिए।

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