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भारतीय मूल के प्रवासियों का भी बढ़ जाएगा प्रभाव

locationनई दिल्लीPublished: Jan 11, 2022 01:20:11 pm

Submitted by:

Patrika Desk

भविष्य में अगर न्यूयॉर्क की तर्ज पर गैर-नागरिकों के मतदान के अधिकार की मांग हर राज्य में उठने लगती है, तो पूरे अमरीका में भारतीय वोटों की संख्या स्थानीय चुनावों में आज के मुकाबले दोगुनी हो जाएगी। भारतीय मूल के वोटों का महत्त्व सभी राज्यों के स्थानीय चुनावों में उस तरह ही देखने को मिलेगा जैसा अमरीका के 2020 के चुनावों में देखने को मिला था।

Influence of migrants of Indian origin will also increase

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द्रोण यादव
(राजनीतिक अध्येता)

अमरीका में काफी समय से गैर-नागरिकों को मतदान के अधिकारों को लेकर बहस जारी है। इस बीच न्यूयॉर्क मेयर एरिक ऐडम्स ने हाल ही में वीटो का प्रयोग कर गैर-नागरिकों के लिए मतदान का कानून पारित कर दिया है। ‘गैर-नागरिक’ अमरीका में उस वर्ग के लोग हैं, जो प्रवासियों के रूप में सालों से वहां मौजूद हैं। भले ही उन्हें नागरिकता प्राप्त नहीं हुई हो, लेकिन उनको कानूनी रूप से वहां रहने और काम करने जैसे अधिकार प्राप्त हैं। ऐसे गैर-नागरिकों की संख्या न्यूयॉर्क में करीब 8 लाख है, जिसमें भारतीय भी अच्छी संख्या में शामिल हैं। यों तो 1996 में अमरीकी संसद द्वारा लाए गए एक कानून के मुताबिक गैर-नागरिकों को राष्ट्रपति चुनावों में मतदान करने से पूर्ण रूप से प्रतिबंधित कर दिया गया है, लेकिन राज्यों में गैर-नागरिकों के मतदान को लेकर अमरीकी कानून चुप है।
यही कारण है कि कुछ अमरीकी राज्य ऐसे हैं, जो चाहें तो ऐसे गैर-नागरिकों को स्थानीय चुनावों में मतदान का अधिकार दे सकते हैं, जिनमें से न्यूयॉर्क एक है। अमरीका में रह रहे इन गैर-नागरिकों को ‘ड्रीमर्ज’ भी कहा जाता है। इन्हीं के लिए पूर्व राष्ट्रपति बराक ओबामा ने अपने कार्यकाल के दौरान ‘ड्रीम एक्ट’ यानी ‘डिफर्ड एक्शन फॉर चाइल्डहुड अराइवल्ज प्रोग्राम’ कानून की वकालत की थी। इसके तहत अमरीका में आए नौजवान प्रवासियों को वहां जीने के सारे अधिकार प्राप्त होने थे। गैर-नागरिकों को मतदान का अधिकार इसी दिशा में एक कदम है।
न्यूयॉर्क के इस कानून के मुताबिक ऐसे गैर-नागरिकों की परिभाषा में वे सभी लोग शामिल हैं, जो कानूनी रूप से 30 दिन से ज्यादा वहां के स्थायी निवासी के रूप में बिता चुके हैं।

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न्यूयॉर्क मेयर के इस कदम से अमरीका में रह रहे भारतीय गैर-नागरिकों की आकांक्षाओं को भी बल मिलता है। बहुत से ऐसे भारतीय प्रवासी हैं, जिन्होंने भले ही ग्रीन कार्ड अर्जित कर लिया हो, लेकिन मतदान का अधिकार नहीं होने की वजह से अपने आपको अमरीकी अपनत्व से दूर महसूस करते हैं। न्यूयॉर्क में अब ये अधिकार प्राप्त होने से कम से कम वहां के स्थानीय चुनावों में उनकी भागीदारी रहेगी, जो अन्य इलाकों के गैर-नागरिकों के लिए भी नई उम्मीद का रास्ता है।
न्यूयॉर्क मेयर ऐडम्स के शब्दों में कहें तो ‘न्यूयॉर्क सिटी में करीब 47 प्रतिशत लोगों की अंग्रेजी पहली भाषा नहीं है, तो यह जरूरी है यहां रह रहे लोग तय करें कि उन पर कौन राज करेगा। इसीलिए मैं इस कानून के समर्थन में हूं।’ हालांकि यह कदम उठाने वाला न्यूयॉर्क पहला राज्य नहीं है। इससे पहले भी अन्य इलाकों द्वारा छोटे-छोटे कदम इस दिशा में उठाए जा चुके हैं। चूंकि न्यूयॉर्क में यह प्रावधान बड़ी तादाद पर असर करता है और म्यूनिसिपल इलेक्शन जैसे बड़े चुनाव में वोट देने का अधिकार देता है, इसलिए यह अधिक महत्त्वपूर्ण हो जाता है। इससे पहले भी वर्मांट के 2 और मैरीलैंड के 9 शहरों ने ‘स्कूल बोर्ड इलेक्शन जै’से स्थानीय चुनावों में वोटिंग का अधिकार दिया है।
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अमरीका में जा बसे इस तरह के गैर-नागरिकों की संख्या का लगभग 6 प्रतिशत हिस्सा भारतीयों का है, जो कि मेक्सिको और चीन के बाद सबसे ज्यादा है। भविष्य में अगर न्यूयॉर्क की तर्ज पर गैर-नागरिकों के मतदान के अधिकार की मांग हर राज्य में उठने लगती है, तो पूरे अमरीका में भारतीय वोटों की संख्या स्थानीय चुनावों में आज के मुकाबले दोगुनी हो जाएगी।
भारतीय मूल के वोटों का महत्त्व सभी राज्यों के स्थानीय चुनावों में उस तरह ही देखने को मिलेगा जैसा अमरीका के 2020 के चुनावों में देखने को मिला था। फैसले को न्यायालय में चुनौती नहीं मिली, तो 2023 में गैर-नागरिकों के लिए स्थानीय चुनाव में वोट करने का मौका मिल जाएगा।
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