
आपकी बात, क्या निजी क्षेत्र में भी आरक्षण की व्यवस्था जरूरी है?
निजीकरण बढ़ रहा है, आरक्षण भी जरूरी
समाज के वंचित वर्गों, महिलाओं, पिछड़ों, गरीब तबकों की आर्थिक, सामाजिक और राजनीतिक स्थिति में सुधार आरक्षण के बाद ही हुआ है। यह सदियों से चली आ रही असमानता को कुछ हद तक बेहतर करने में कारगर सिद्ध हुआ है। सरकारी क्षेत्र में आरक्षण होने से प्रत्येक विभाग में सभी वर्ग के व्यक्ति चयनित होकर सम्मानजनक और गरिमामय जीवन जी रहे है। उन्हें उन्नति के अवसर प्राप्त हुए है। जिस तरह से सरकार निजीकरण को बढ़ावा दे रही है, उससे यह अनुमान लगाया जा सकता है कि भविष्य में आरक्षण गौण होकर रह जाएगा। इसका सीधा असर वंचित वर्गों, महिलाओं, दलितों पर पड़ेगा। उन्हें फिर से हाशिये पर धकेल दिया जाएगा। सरकारी नौकरियां महज 4 प्रतिशत के करीब हैं । सरकारी नौकरियों में आरक्षण से वंचित वर्ग की स्थिति में काफी सुधार हुआ है। अगर निजी क्षेत्र में भी आरक्षण लागू होता, तो देश में बेरोजगारी, भुखमरी, जातीय उत्पीड़न, शोषण, असमानता, कुपोषण जैसी समस्याओं से निपटने में आसानी होती। सरकारें विभिन्न उपक्रमों का निजीकरण करती जा रही है, बेहतर होगा ऐसा करें ही नहीं। अगर करती है, तो आरक्षण का प्रावधान निजी क्षेत्र में भी करे।
-शेराराम सीमार, भोपालगढ़, जोधपुर
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खत्म होना चाहिए आरक्षण
आरक्षण को पूर्णतया समाप्त करना चाहिए। आरक्षण से वर्गभेद बढ़ता है और कार्य क्षमता का पूर्ण उपयोग नहीं हो पाता है। आरक्षण की आड़ में अयोग्य व्यक्ति की भर्ती हो जाती है। अत: निजी क्षेत्र में आरक्षण का कोई स्थान नहीं होना चाहिए।
-कैलाश चन्द्र मोदी, सादुलपुर, चूरू
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अवसर की समानता
संविधान सभी नागरिकों के लिए अवसर की समानता सुनिश्चित करने पर बल देता है। साथ ही यह भी स्पष्ट शब्दों में दोहराता है कि सामाजिक और शैक्षिक रूप से पिछड़े वर्गों का ध्यान रखना चाहिए। इसलिए निजी क्षेत्र में आरक्षण होना ही चाहिए।
-हरिशंकर परमार, कुराडिय़ा, उदयपुर
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प्रभावित होगा व्यापार
अगर सरकार निजी क्षेत्र में आरक्षण के लिए कानून बनाती है, तो यह दुर्भाग्य ही होगा। अभी निजी कंपनियां योग्यता को देखते हुए रोजगार दे रही हैं और अपने व्यापार को आगे बढ़ा रही हैं। अगर निजी क्षेत्र में आरक्षण हुआ, तो कई निजी कंपनियों को व्यापार समेटने के लिए बाध्य होना पड़ेगा।
-श्रवण कुमार
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जरूरी है सामाजिक न्याय
आरक्षण की मूल भावना में सामाजिक न्याय की उत्तम व्यवस्था समाहित है। निजी क्षेत्र में आरक्षण होने से वंचित वर्गों को इसका लाभ मिलेगा। संविधान निर्माता डॉ. आंबेडकर से लेकर तमाम अर्थशास्त्री एवं शिक्षाविदों ने भी आरक्षण के समर्थन में बात कही है। निजी क्षेत्रों में आरक्षण को अनिवार्य प्रक्रिया बनाते हुए रोजगार के अवसर उपलब्ध कराने चाहिए। इसके लिए अंतरराष्ट्रीय मानक बनाए जाएं।
-सतीश उपाध्याय, मनेंद्रगढ़ कोरिया, छत्तीसगढ़
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पड़ेगा नकारात्मक प्रभाव
निजी क्षेत्र योग्यता तथा कार्य कुशलता की दृष्टि से सार्वजनिक क्षेत्र की अपेक्षा अधिक जागरूक है। ऐसे में यदि योग्यता का आधार समाप्त कर हम जाति समूह के आधार पर भर्ती करेंगे, तो इसका नकारात्मक प्रभाव पड़ेगा। हम अंतरराष्ट्रीय बाजारों को टक्कर नहीं दे पाएंगे और योग्यता का पलायन विदेश में होने लगेगा।
-सिद्धार्थ शर्मा, गरियाबंद, छत्तीसगढ़
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न बनाएं दबाव
निजी क्षेत्र में आरक्षण की बात बेमानी है। राजनीतिक पार्टियां अपने स्वार्थ के लिए निजी क्षेत्रों में आरक्षण के लिए बेवजह दबाव न बनाएं।
-देवेंद्र नेनावा, इंदौर, मप्र
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विपरीत प्रभाव
निजी क्षेत्र में आरक्षण लागू नहीं होना चाहिए, क्योंकि इससे देश की अर्थव्यवस्था पर भी विपरीत प्रभाव पड़ेगा। वर्तमान में सरकारी नौकरियों में आरक्षण का लाभ भी आर्थिक रूप से सक्षम लोग ही ले रहे हैं। वास्तविक हकदार को इसका फायदा नहीं मिल रहा है।
-कम्मू जी, बारां
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योग्यता पर रहे जोर
सरकारी क्षेत्र में नौकरियां लगातार घट रही हंै। ऐसे में आरक्षण का विस्तार निजी क्षेत्र में करना तो ठीक है, परन्तु नौकरियों के लिए उन्हें योग्य बनाने पर जोर देना चाहिए, ताकि उनकी क्षमता पर सवाल न उठे और कामकाज प्रभावित न हो ।
-सरिता प्रसाद, पटना, बिहार
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आरक्षण समय की जरूरत
वंचित वर्गों के उत्थान और उनकी सामाजिक सहभागिता के लिए निजी क्षेत्र में भी आरक्षण आवश्यक है। संविधान के मौलिक सिद्धांत को ध्यान में रखते हुए निजी क्षेत्र में आरक्षण एक उत्तम कदम होगा। बढ़ते निजीकरण के दौर में निजी क्षेत्र में आरक्षण समय की जरूरत है। इसे लागू करना चाहिए।
-वेलाराम देवासी, लुन्दाड़ा, पाली
Published on:
23 Dec 2021 05:37 pm
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