scriptजो-कमला की जोड़ी ने दिखाई नई राह | Joe biden and Kamala Harris showed New path | Patrika News

जो-कमला की जोड़ी ने दिखाई नई राह

locationनई दिल्लीPublished: Jan 22, 2021 07:32:41 am

Submitted by:

Mahendra Yadav

दोनों ने अपने चुनाव अभियान से लेकर जीतने के बाद तक के तमाम घटनाक्रमोंं के बीच जिस गंभीरता, परिपक्वता, संयम और दूरंदेशी का परिचय दिया है, उनसे ट्रंप का तो दूर-दूर तक नाता नहीं था।

joe_kamala.png
युक्त राज्य अमरीका में सत्ता डॉनल्ड ट्रंप और रिपब्लिकन पार्टी के हाथ से निकल कर जो बाइडन और डेमोके्रट्स के हाथों में पहुंच गई। भारत के लिए इस परिवर्तन में दो-दो खुशियां हैं। पहली अमरीका की सत्ता निरंकुश हाथों से निकल कर डेमोके्रट्स के हाथों में आई और दूसरी, भारतवंशी कमला हैरिस ने, विश्व के सबसे ताकतवर कहे जाने वाले मुल्क के उपराष्ट्रपति की शपथ ली। बाइडन और कमला की जोड़ी की शुरुआत दमदार है।
दोनों ने अपने चुनाव अभियान से लेकर जीतने के बाद तक के तमाम घटनाक्रमोंं के बीच जिस गंभीरता, परिपक्वता, संयम और दूरंदेशी का परिचय दिया है, उनसे ट्रंप का तो दूर-दूर तक नाता नहीं था। उन्होंने जाते-जाते 6 जनवरी को कैपिटल बिल्डिंग में हिंसा का जो नंगा नाच कराया, उसने सैकड़ों साल पुराने अमरीकी लोकतंत्र को कलंकित करने का ही काम किया। ट्रंप के विपरीत जो-कमला की जोड़ी हर कदम संभल कर रखते हुए हर शब्द ऐसा बोल रही है, जो न केवल अमरीका अपितु सम्पूर्ण विश्व के लिए रास्ता दिखाने वाला साबित हो रहा है। बुधवार को भी बाइडन का यह कहना कि अब अमरीका में प्रत्येक आवाज सुनी जाएगी और धर्म-नस्ल की विभाजनकारी नीतियों को खारिज कर अमरीका अपना एकजुट चेहरा विश्व के सामने पेश करेगा, मायने रखता है। उन्होंने कहा कि राजनीति ऐसी आग नहीं है, जो सब कुछ जला दे।
अमरीका में पिछले वर्षों में हुई नस्लीय हिंसक झड़पों को शर्मनाक बताते हुए उन्होंने सबको एकजुट करने पर भी जोर दिया। बड़ी बात जो बाइडन ने कही वह यह कि ‘आप मुझे ध्यान से सुनें और यदि मुझसे सहमत न हों तो यह मानें कि हम लोकतंत्र में हैं।’ बहुमत से जीता एक राष्ट्रपति यदि इस विनम्रता से लोकतंत्र का सम्मान करता है, तो हमें मान लेना चाहिए कि अगले चार वर्षों में न केवल अमरीका अपितु उसकी नीतियों एवं व्यवहार का सम्पूर्ण विश्व पर असर पड़ेगा। पडऩा भी चाहिए, क्योंकि इन वर्षों में कई लोकतंत्रीय देशों में चेहरा भले लोकतंत्र का रहा हो, लेकिन वहां शासकों का व्यवहार तानाशाहों जैसा ही रहा है। उनके इस व्यवहार को अमरीका, चीन या रूस अथवा फिर अन्य कोई ताकतवर देश, सभी ने इन वर्षों में बढ़ावा ही दिया है। जापान जरूर ऐसा देश रहा, कारण चाहे जो रहे हों, जिसने शालीनता रखी। उम्मीद है कि बाइडन के पहले भाषण को न केवल वे अपितु विश्व के अन्य देशों के शासक भी रामायण, बाइबिल व कुरान की तरह लेंगे। जनमत व जनहित को प्राथमिकता देते हुए जहां भी कट्टरता की नीतियां हैं, उन्हें देश और विकास का दुश्मन मान त्यागने की नीति अपनाएंगे।
loksabha entry point

ट्रेंडिंग वीडियो