
नजरियाः सोशल मीडिया पर भी लागू गांधीजी के तीन बंदरों का संदेश!
नजरिया एक कलात्मक अभिव्यक्ति है इस दौर के सबसे महत्त्वपूर्ण सामाजिक, आर्थिक या राजनीतिक घटनाक्रम की... देश और समाज में जो कुछ घटित हो रहा है, उस पर एक आम आदमी की सोच का आईना है नजरिया...
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सतना के अधिवक्ता व आरटीआई कार्यकर्ता रजीव कुमार खरे ने 14 अगस्त 2017 को केंद्रीय लोक सूचना अधिकारी प्रधानमंत्री कार्यालय से सूचना के अधिकार के तहत यह जानकारी मांगी थी कि गांधी जी अपने साथ तीन बंदरों की छोटी आकृति रखते थे। वह किस पदार्थ के बने थे, उन्हें कहां रखा गया है।
जानकारी देने में लगे छह माह
राष्ट्रपिता महात्मा गांधी के सबसे प्रिय तीन बंदर किस पदार्थ के बने थे, उन्हें वर्तमान में कहां रखा गया है, इस जानकारी को जुटाने में गांधी स्मृति एवं दर्शन समिति भारत सरकार के अधिकारियों को छह माह लग गए थे। अधिवक्ता राजीव खरे के मुताबिक उन्होंने जानकारी को प्राप्त करने की आरटीआई केंद्रीय लोक सूचना अधिकारी प्रधानमंत्री कार्यालय में लगाई थी।
संस्कृति मंत्रालय नई दिल्ली को आवेदन
लेकिन सूचना देने की बजाय लोक सूचना अधिकारी उनका आवेदन यह कहते हुए लौटा दिया कि उनके मंत्रालय के पास इस प्रकार की कोई जानकारी नहीं है। लोक सूचना अधिकारी के जबाव के खिलाफ उन्होंने प्रथम अपीलीय प्राधिकारी संस्कृति मंत्रालय नई दिल्ली को आवेदन दिया। मंत्रालय द्वारा चार माह के इंतजार के बाद 7 फरवरी 2018 को उक्त जानकारी उपलब्ध कराई गई थी।
चीनी प्रतिनिधिमंडल ने गिफ्ट की थीं मूर्तियां
बताया जाता है कि नागपुर स्थित सेवाग्राम में तीन बंदरों की ये मूर्तियां महात्मा गांधी को एक चीनी प्रतिनिधिमंडल ने भेंट की थी। प्रतिनिधिमंडल ने तब बापू से कहा था कि इनकी मूर्तियों का मूल्य कीमती खिलौनों की तुलना में भले ही कुछ न हो लेकिन इनका संदेश बेशकीमती है। चीन में इन संदेशों की बड़ी मान्यता और लोकप्रियता है।
Published on:
21 Mar 2022 05:53 pm
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