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मिशन सुदर्शन चक्र: राष्ट्रीय सुरक्षा का नया युग

अरुण जोशी, समसामयिक विषयों के जानकार

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सुदर्शन चक्र मिशन देश की नई और उन्नत रक्षा प्रणाली का ऐसा सूत्र है, जो केवल सैन्य खतरों से ही नहीं, बल्कि आर्थिक प्रगति को बाधित करने वाले साइबर हमलों और संस्थाओं पर संभावित आक्रमण से भी देश को सुरक्षा प्रदान करेगा। यह राष्ट्रीय सुरक्षा की एक नई और उन्नत अवधारणा है, जो पड़ोस से लेकर दूर देशों तक के शत्रुओं से निपटने में सक्षम है। इसका पौराणिक नाम महाभारत के भगवान श्रीकृष्ण के सुदर्शन चक्र से प्रेरित है, क्योंकि यह संपूर्ण सुरक्षा का भाव जगाता है। यह क्षणभर में युद्ध की दिशा बदल सकता है और शत्रु को स्तब्ध एवं निराश कर सकता है। महाभारत की प्रेरणादायी पद्धति को 21वीं सदी की नई भारतीय सोच में समाहित किया गया है।

बीते दस वर्षों में भारत ने राष्ट्रीय सुरक्षा पर विशेष बल दिया है – चाहे वह आतंकवाद हो या युद्ध, हर प्रकार के खतरों से निपटते हुए प्रतिकूल परिस्थितियों में भी आर्थिक प्रगति को आगे बढ़ाया है। भारत को वर्तमान और भविष्य में अपनी स्थिति को मजबूत बनाए रखना है। इसी कारण सुदर्शन चक्र मिशन के अंतर्गत अगले दस वर्षों यानी वर्ष 2035 तक का रोडमैप प्रस्तुत किया गया है। यह भारत का दायित्व है कि वह अपनी समग्र सुरक्षा और प्रगति के लिए इस कार्य को पूरा करे।

प्रधानमंत्री ने इस मिशन की घोषणा पर स्पष्ट कहा था कि चाहे कितनी भी समृद्धि क्यों न हो, यदि सुरक्षा के प्रति उदासीनता है तो समृद्धि बेकार है। इसलिए सुरक्षा का महत्त्व अत्यधिक है। यह संदेश इस ओर संकेत करता है कि ऑपरेशन सिंदूर में मिली निर्णायक विजय कोई ठहराव नहीं है। यह विजय भविष्य की चुनौतियों से निपटने के लिए और अधिक शक्ति जुटाने का आह्वान है। मिशन सुदर्शन चक्र का वास्तविक उद्देश्य भविष्य में भारत पर थोपे जाने वाले हर प्रकार के युद्ध के लिए एक व्यापक प्रणाली विकसित करना है और साथ ही देश के हर नागरिक और संस्थान को गहन सुरक्षा का भरोसा प्रदान करना है।

इससे तीन मुख्य बिंदु निकलकर सामने आते हैं। इन्हें केवल युद्ध के संदर्भ में नहीं, बल्कि एक समेकित और सार्वभौमिक रक्षा प्रणाली के रूप में समझा जाना चाहिए, जिसमें भारत अपनी अर्थव्यवस्था और आने वाली पीढ़ियों के भविष्य की रक्षा कर सके।
→ पहला, संपूर्ण आधुनिक नेटवर्क प्रणाली, जिसका शोध, विकास और निर्माण भारत के भीतर ही होना चाहिए और उसमें युवा प्रतिभाओं को जोड़ा जाए।
→ दूसरा, प्लस-वन लक्ष्य अर्थात भारत के पास आवश्यकता से कहीं अधिक और विकसित देशों से भी आगे तकनीक और उपलब्धियां हों। युद्ध की हर संभावना को ध्यान में रखते हुए रणनीतियां बनें, ताकि भारत अंतरराष्ट्रीय व्यवस्था में सबसे ऊंचे स्थान पर खड़ा हो।
→ तीसरा, भारत को ऐसी प्रणाली विकसित करनी होगी, जो सुदर्शन चक्र की तरह लक्षित और सटीक प्रहार कर सके। यही 21वीं सदी की तकनीक का असली दांव है।

कई विश्लेषकों ने इस विचार को ऑपरेशन सिंदूर की पृष्ठभूमि में समझा, जिसने युद्ध की पूरी अवधारणा बदल दी। 22 अप्रैल को पहलगाम घाटी में हुए भीषण आतंकी हमले के जवाब में भारत ने पाकिस्तान को हर मायने में करारी हार दी। लेकिन राष्ट्र इस निर्णायक विजय पर रुकने वाला नहीं है। भारत अपनी क्षमताओं को और अधिक विकसित कर रहा है, ताकि भविष्य के शत्रुओं को रोक सके। उस स्थिति में खड़ा हो सके, जहां कोई भी देश उसे चुनौती देने का साहस न करे। यह मिशन हिंदू पौराणिक कथाओं से प्रेरित होकर आधुनिक समय की चुनौतियों को पार करने का माध्यम है।

हमारे रक्षामंत्री ने सुदर्शन चक्र मिशन को सरकार की भारत की आत्मरक्षा के प्रति प्रतिबद्धता बताया है, जिसके अंतर्गत आने वाले वर्षों में देश के सभी महत्त्वपूर्ण स्थलों को स्वदेशी तकनीक से बने आधुनिक कवच में ढक दिया जाएगा। उन्होंने रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन (डीआरडीओ) की ओर से एकीकृत रक्षा हथियार प्रणाली के पहले सफल परीक्षण को इस दिशा में बड़ी उपलब्धि बताया है।

यह मिशन भारत की स्वदेशी क्षमताओं को एक छतरी के नीचे लाकर अगले 10 वर्षों में विश्वस्तरीय रक्षा कवच तैयार करने का खाका है। इसकी घोषणा ऐसे समय में हुई है, जब पूरी दुनिया संघर्षों से जूझ रही है और उनमें से कुछ भारत-विरोधी भी हैं। अमेरिका भारत की प्रगति से ईर्ष्या कर रहा है। भारत आज तेजी से बढ़ती बड़ी अर्थव्यवस्थाओं में से एक है लेकिन डॉनल्ड ट्रंप की ओर से 50 प्रतिशत टैरिफ लगाना एक गंभीर चुनौती है। भारत पड़ोस में कर्ज और सहायता पर टिके पाकिस्तान से चिंतित नहीं है। परंतु नई वैश्विक उथल-पुथल के बीच भारत से समीकरण साध रहा चीन फिर भी एक बड़ा ख़तरा है। चीन आक्रामक रूप से मिसाइल प्रणाली, नए ड्रोन और लड़ाकू विमानों का निर्माण कर रहा है। उसका मीडिया तकनीकी प्रगति की खबरों से भरा है। वह न केवल अमेरिका से रक्षा कवच और हथियारों की वैश्विक बाजार में प्रतिस्पर्धा कर रहा है बल्कि क्षेत्रीय प्रभुत्व भी चाहता है। भारत ने पिछले साढ़े चार वर्षों से पूर्वी लद्दाख में अत्यंत तनावपूर्ण हालात देखे हैं, जिन्हें नजरअंदाज नहीं किया जा सकता। भारत को इन उभरती चुनौतियों का सामना करना ही होगा और इन सबका उत्तर है – मिशन सुदर्शन चक्र।