Opinion : हादसे रोकने की हो चिंता, सिर्फ गिनती ही काफी नहीं
सड़क मार्ग पर ऐसे स्थान जहां बार-बार हादसे होते हों, उन्हें ब्लैक स्पॉट के रूप में चिह्नित किया जाता है। मकसद भी यही होता है कि ऐसे स्थानों पर हादसों की वजह की पड़ताल कर ऐसे बंदोबस्त किए जाएं जिनसे यहां फिर हादसे नहीं हो। लेकिन चिंता की बात यह है कि देश में तेरह […]
सड़क मार्ग पर ऐसे स्थान जहां बार-बार हादसे होते हों, उन्हें ब्लैक स्पॉट के रूप में चिह्नित किया जाता है। मकसद भी यही होता है कि ऐसे स्थानों पर हादसों की वजह की पड़ताल कर ऐसे बंदोबस्त किए जाएं जिनसे यहां फिर हादसे नहीं हो। लेकिन चिंता की बात यह है कि देश में तेरह हजार से ज्यादा ऐसे ब्लैक स्पॉट और कहीं नहीं बल्कि हाइवेज पर हैं जिनके निर्माण में गुणवत्ता का पग-पग पर ध्यान रखने का दावा किया जाता है। सड़कों के विस्तार के साथ-साथ उम्मीद यही की जाती है कि इन्हें सुरक्षित बनाने की दिशा में भी मजबूती से काम होगा। लेकिन ऐसा लगता है कि पिछले वर्षों में सिर्फ ब्लैक स्पॉट तय करने से ज्यादा कुछ नहीं हुआ। राजस्थान व मध्यप्रदेश समेत देश के दस राज्य सबसे अधिक ब्लैक स्पॉट वाले राज्यों की गिनती में आते हैं। हाइवेज पर ब्लैक स्पॉट उन्हें कहा जाता है जहां पिछले तीन साल में पांच सड़क हादसों में एक ही जगह पर दस मौतें या गंभीर घायल होने के मामले आए हों। जाहिर है पूरे तीन साल तक सिर्फ यही काम होता है कि किसी स्थान को ब्लैक स्पॉट बनने दिया जाए।
सवाल यह है कि आखिर कोई एक स्थान भी ऐसा क्यों रहना चाहिए जहां एक हादसे के बाद दूसरे का इंतजार किया जाए। क्या किसी की जान की कीमत सिर्फ गिनती ही होनी चाहिए? यह सवाल इसलिए भी क्योंकि कहा यही जाता है कि ब्लैक स्पॉट यानी हादसों का केंद्र कोई स्थान कोई एक कारण से नहीं बनता। कहीं ओवरस्पीड वाहनों के कारण, कहीं सड़कों की गलत डिजाइनिंग तो कहीं लेन सिस्टम की अनदेखी इनकी वजह होती है। हादसों के बाद मौतों की संख्या पर नियंत्रण नहीं कर पाने की वजह यह भी है कि घायलों को त्वरित उपचार नहीं मिल पाता। यानी इन तमाम कारणों में कोई भी ऐसा नहीं है जिसका समाधान संभव नहीं हो। सड़कों की गलत डिजाइनिंग को स्वीकृति देने वाले इंजीनियरों को आखिर ऐसा जिम्मेदारी भरा काम दिया ही क्यों जाए?
रहा सवाल ट्रकों की हर कहीं पार्किंग का, तो हाइवेज पर दौड़ते सड़क गश्ती दल को इन्हें भला हादसों के लिए क्यों खड़े रहने देना चाहिए। यह इसलिए भी क्योंकि राजमार्गों पर ट्रकों की पार्किंग की जगह बाकायदा चिह्नित की गई होती है। मोटर व्हीकल एक्ट के प्रावधानों की अनदेखी भी कम नहीं। केंद्रीय मंत्री गडकरी की सड़क हादसों में मरने वालों के लिए यह चिंता वाजिब ही है कि ये किसी लड़ाई या दंगे में नहीं मरे। सरकार ने ब्लैक स्पॉट के लिए 40 हजार करोड़ रुपए का प्रावधान भी किया है। लेकिन सिर्फ इसी से जिम्मेदारी पूरी नहीं हो जाती। हाइवेज पर टोल वसूली पूरी होती है तो हादसोंं की गिनती ही नहीं, सड़कों को हादसा रहित बनाने के जतन भी करने होंगे।
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