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Patrika Opinion: अवसर देने होंगे, हद में रहने की नसीहत नहीं

यह तो मानना होगा कि आज भी कई तरह की बंदिशें महिलाओं को न केवल रोजगार पाने बल्कि उन्हेें सामाजिक व राजनीतिक गतिविधियों में हिस्सा लेने से भी रोक देती हैं।

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Patrika Desk

Feb 28, 2023

Patrika Opinion: अवसर देने होंगे, हद में रहने की नसीहत नहीं

Patrika Opinion: अवसर देने होंगे, हद में रहने की नसीहत नहीं

महिलाओं की स्थिति में भी शिक्षा के प्रसार व जागरूकता के साथ बदलाव आया है, इसमें किसी को संशय नहीं हो सकता। लेकिन चिंता इसी बात की है कि शिक्षा प्रणाली से बाहर होते ही अधिकांश महिलाएं, यहां तक कि शहरी क्षेत्र की महिलाएं भी, घर की चौखट में ही कैद होकर रह जाती हैं। शहरी महिलाओं को लेकर किए गए ताजा सर्वे नतीजों का यह आंकड़ा चिंताजनक है कि 53 फीसदी शहरी महिलाएं दिन में एक बार भी घर से बाहर नहीं निकलती हैं। समय उपयोग सर्वेक्षण के 2019 के निष्कर्षों पर आधारित यह सर्वे इस ओर भी संकेत करता है कि महिलाओं के लिए रोजगार के अवसरों की कमी भी इसकी बड़ी वजह है।

महिलाओं में गतिशीलता की कमी यों तो सब जगह है। शहरों के साथ-साथ गांव भी इससे अछूते नहीं हैं। फिर भी सीमित दायरे में रहने वाली ग्रामीण इलाकों की महिलाओं की स्थिति थोड़ी भिन्न हो सकती है। पर यह तो मानना होगा कि आज भी कई तरह की बंदिशें महिलाओं को न केवल रोजगार पाने बल्कि उन्हेें सामाजिक व राजनीतिक गतिविधियों में हिस्सा लेने से भी रोक देती हैं। हमारे समाज में बालिकाओं को आम तौर पर उनके अध्ययन के दौरान घर से बाहर निकलने का अवसर मिल ही जाता है क्योंकि उन्हें शिक्षण संस्थाओं तक जाना होता है। पर जब वे पढ़ाई छोड़, रोजगार के लिए बाहर निकलने के बजाए घर-गृहस्थी संभालने में जुट जाती हैं तो परिणाम सर्वे के ऐसे नतीजों के रूप में ही सामने आता है। दिखावे के तौर पर कई घर-परिवारों में यह कहा भले ही जाता हो कि उनके यहां लड़के-लड़की में भेद नहीं है लेकिन व्यावहारिक तौर पर महिला होने का नुकसान हर कहीं उठाना ही पड़ता है। ज्यादातर महिलाओं को अपने परिवार से ही प्रताडऩा का सामना करना पड़ता है, घरेलू हिंसा से लेकर लैंगिक भेदभाव तक के रूप में। महिलाओं को हद में रहने की नसीहत देने वालों की कमी नहीं। कमी है तो सिर्फ इनके लिए अवसर जुटाने वालों की। इसकी बड़ी वजह यह भी है कि सत्ता में महिलाओं को भागीदारी देने के हर मौके को हमारे हुक्मरान हवा में उड़ाते रहे हैं।

सही मायने में गतिशीलता के अधिकाधिक मौके मिलने पर ही महिलाएं विकास के अवसरों को खुद से जोड़ते हुए नई संभावनाओं की तलाश कर सकती हैं। ऐसे में महिलाओं को शिक्षा के साथ-साथ अपने पैरों पर खड़े होने के अवसर भी देने होंगे। ऐसे प्रयासों के साथ समाज को आगे तो आना ही होगा। सबसे बड़ी जिम्मेदारी हमारे नीति नियंताओं की ही है।