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patrika opinion योजनाएं लागू करने की रफ्तार से तय होगी दिशा

योजनाएं लागू होने की रफ्तार के साथ जम्मू-कश्मीर, हरियाणा, महाराष्ट्र और झारखंड विधानसभा के चुनाव नतीजे भी तय करेंगे कि सरकार नई दिशा में कैसे आगे बढ़ेगी?

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pm modi

पांच साल के लिए चुनी गई किसी भी सरकार के लिए सौ दिन की उपलब्धियां भले ही अधिक मायने नहीं रखती हों लेकिन सरकारें चाहें केन्द्र की हों या फिर राज्यों की, अपने सौ दिन की उपलब्धियों का बखान जरूर करती हैं। वह इसलिए भी ताकि जनता तक यह जानकारी पहुंचाई जा सके कि जिस सरकार में उसने भरोसा व्यक्त किया है उसके कामकाज की भावी तस्वीर कैसी रहने वाली है। इसी मकसद से नरेन्द्र मोदी सरकार ने भी हर कार्यकाल की तरह इस बार भी अपने तीसरे कार्यकाल के पहले सौ दिन के कामकाज का लेखा-जोखा जनता के सामने रखा है। सरकार की तरफ से निर्धारित लक्ष्यों को हासिल करने का दावा भी किया गया है। जैसे कि पहले सौ दिन में १५ लाख करोड़ रुपए की योजनाएं शुरू की गई हैं, जिनमें बुनियादी ढांचे के विकास के साथ-साथ ऊर्जा क्षेत्र, महिलाओं एवं युवाओं पर विशेष फोकस किया गया है। इससे यह भी साफ है कि भले ही लोकसभा चुनावों में मोदी सरकार उम्मीदों के मुताबिक सीटें हासिल नहीं कर पाई हो लेकिन उसने विकास के पहिए की रफ्तार को धीमा नहीं पडऩे दिया है। बुनियादी ढांचे के विकास के साथ-साथ युवाओं-महिलाओं और दलितों-जनजातियों के उत्थान के लिए इन सौ दिनों में अनेक योजनाओं की शुरुआत भी की गई है।
जाहिर है समय पर योजनाओं की क्रियान्विति के मामले में मोदी सरकार का रिकॉर्ड अच्छा रहा है। तभी शायद जनता ने लगातार तीसरी बार सेवा का अवसर दिया है। लेकिन सिर्फ योजनाओं को शुरू करने मात्र को ही सरकार की उपलब्धियां मान लेना काफी नहीं होगा। दूसरे और भी मुद्दे हैं, जो शायद अधिक प्रभाव रखते हैं। सरकार ने १५ लाख करोड़ रुपए की नई योजनाओं की तो जानकारी दी लेकिन सवाल यह भी अहम है कि इन सौ दिन में युवाओं को रोजगार देने की दिशा में कैसे प्रयास हुए? स्वाभाविक है कि देश की प्रगति के लिए नई-नई योजनाएं आवश्यक हैं, लेकिन कश्मीर में सुरक्षा बलों पर हमले की घटनाएं रोकने और मणिपुर में शांति बहाली की दिशा में भी जनता सकारात्मक प्रगति देखना चाहती है। अभी पौने पांच साल के कार्यकाल में मोदी सरकार के पास करने को काफी कुछ है। घोषणा पत्र के वादों को पूरा करने के लिए सरकार के भावी कदमों पर देश की निगाहें रहेंगी। केन्द्र सरकार अगले सौ दिन में एक बार फिर कसौटी पर परखी जाने वाली है। योजनाएं लागू होने की रफ्तार के साथ जम्मू-कश्मीर, हरियाणा, महाराष्ट्र और झारखंड विधानसभा के चुनाव नतीजे भी तय करेंगे कि सरकार नई दिशा में कैसे आगे बढ़ेगी?