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आत्म-दर्शन : कैंची और सुई

- हमें विचार करना चाहिए कि काटना तो बहुत सरल है, परन्तु जोडऩे का काम बहुत कठिन है। मिलाने की सोचिए, बांटने की नहीं।

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आत्म-दर्शन : कैंची और सुई

आत्म-दर्शन : कैंची और सुई

मुनि प्रमाण सागर

कैंची चलाते समय कैंची सर्र से सीधी चलती है और अपने रास्ते में आने वाली हर वस्तु के दो हिस्से कर देती है। दूसरी ओर सुई धीरे-धीरे उसी कटे हिस्से को एक साथ जोड़ते चलती हैं। कई लोगों का व्यवहार भी कैंची जैसा होता है, जिससे उनके आस-पास नकारात्मक वातावरण विकसित हो जाता है। आदत वही अच्छी है जो लोगों में सकारात्मक सोच को विकसित करे।

हमें विचार करना चाहिए कि काटना तो बहुत सरल है, परन्तु जोडऩे का काम बहुत कठिन है। मिलाने की सोचिए, बांटने की नहीं। यदि देश और समाज का नया नक्शा बनाना है, तो सभी को सकारात्मक सोच से जोडऩे की बात सोचनी होगी। जोडऩे का काम करें और यह प्रण लें कि हम जीवन भर ऐसा कृत्य नहीं करेंगे, जिससे हमारे परिवार या समाज की छवि खंडित हो। यदि हम जीवन भर ऐसा कोई भी कृत्य न करें, जिससे हमारे कारण किसी के जीवन में कष्ट आए, तो हम अपने खाते में बहुत से पुण्य का संचय कर सकते हैं।