
आपकी बात, क्या सभी धर्मस्थलों पर लंगर जैसी व्यवस्था होनी चाहिए?
कोई भूखा नहीं सोएगा
लंगर एक ऐसी व्यवस्था है, जहां हर जाति और हर तबके के लोग आकर बेफिक्र भोजन ग्रहण कर सकते हैं। अगर यह व्यवस्था सभी धर्मस्थलों पर भी हो, तो यह बहुत अच्छा होगा। गरीब ऐसे स्थानों पर जाकर भूख मिटा सकेंगे। अनाज का सदुपयोग हो पाएगा। लोगों में सद्भाव की भावना जगेगी। कोई भूखा नहीं सोएगा। बेसहारा और मजबूर को एक सहारा मिल जाएगा। घर से बेघर तथा शारीरिक रूप से असमर्थ लोगों को सहारा मिलेगा। भूख से मरने वालों की संख्या में कमी आएगी। आपस में प्रेम सहानुभूति और बंधुत्व की भावना का विकास होगा।
-सरिता प्रसाद, पटना, बिहार
..............................
बढ़ेगी प्रेम और सौहार्द की भावना
प्यासे को पानी पिलाना और भूखे को भोजन देना ही धर्म है। जिस प्रकार गुरुद्वारों में लंगर के माध्यम से लोगों को भोजन कराया जाता है, उसी प्रकार दूसरे धर्मस्थलों पर भी लंगर चलें, तो अनाथ, बेसहारा एवं मजबूर इंसान को सहारा मिलेगा। लोगों में प्रेम और सौहार्द की भावना मजबूत होगी।
- राधे सुथार, चित्तौडग़ढ़
......................
लोगों को दान के लिए किया जाए प्रेरित
कोरोना काल के बाद गरीबी बढ़ी है। इससे भूख से होने वाली मौतें भी बढ़ी हंै। ऐसे में सभी धर्मस्थलों पर लंगर या सामुदायिक रसोई जैसी व्यवस्था होनी चाहिए। ऐसी व्यवस्था में दान देने के लिए प्रेरित किया जाए।
- भगवती प्रसाद गेहलोत, मंदसौर
.................................
लंगर सौहार्द का प्रतीक
सभी धर्मस्थलों पर लंगर की व्यवस्था होनी चाहिए। इससे आपसी भाईचारे की भावना बढ़ेगी, ऊंच-नीच व जात-पात से ऊपर उठकर आपसी मेलजोल और समानता का भाव आएगा। सभी लोगों का धर्म इंसानियत है। लंगर की व्यवस्था अपने आप में समानता व आस्था का ***** है। यदि सभी धर्मस्थलों में लंगर की व्यवस्था कर दी जाए, इसका अच्छा संदेश जाएगा।
-बिहारी लाल बालान, लक्ष्मणगढ, सीकर
............................
मुफ्त मिले भोजन
भोजन नि:शुल्क मिलना चाहिए। सभी लोगों के लिए सम्मानपूर्वक लंगर की सुविधा होगी चाहिए। इसमें कोई भेदभाव नहीं किया जाना चाहिए।
-आकांक्षा रूपा चचरा, कटक, ओडिशा
...........................
सामाजिक समरसता का विकास
लंगर, सामाजिक सद्भावना एवं भाईचारे की मूल भावना को प्रोत्साहित करने का सशक्त माध्यम है। लंगर में बगैर भेदभाव के भूखे जरूरतमंद गरीबों को भी लंगर में शरीक किया जाता है और भोजन दिया जाता है। देश के अधिकांश धार्मिक संस्थान, धार्मिक स्थल बहुत ही साधन संपन्न हंै। कम से कम प्रतिवर्ष किसी अच्छे पवित्र तिथि पर तो सभी धर्म स्थलों को लंगर जैसी व्यवस्था करनी ही चाहिए। लंगर में जब सभी धर्म- संप्रदाय, गरीब-अमीर एक साथ भोजन करते हैंं, तो इससे सामाजिक समरसता का विकास होता है।
-सतीश उपाध्याय मनेंद्रगढ़ कोरिया छत्तीसगढ़
..............................
लंगर से भुखमरी का उन्मूलन संभव
सिख धर्म में लंगर जैसी व्यवस्था अपने आप में एक अनूठी मिसाल है। जहां सभी धर्म, जाति और समाज के लोग बिना किसी भेदभाव के एक साथ बैठ कर भोजन प्रसादी ग्रहण करते हैं। सभी स्थलों पर यह व्यवस्था लागू होनी चाहिए, ताकि कोई भी व्यक्ति भूखा नहीं रह सके। यदि सभी धर्मस्थलों पर यह व्यवस्था लागू हो जाए, तो देश में भुखमरी खत्म हो सकती है। हर व्यक्ति को भोजन उपलब्ध हो सकता है। इससे स्वत: ही भुखमरी की समस्या का उन्मूलन हो सकता है। साथ ही धर्मस्थलों पर आने वाले चढ़ावे का भी सदुपयोग हो जाएगा।
-आशुतोष शर्मा, जयपुर
................................
अन्न का सदुपयोग
गुरुद्वारों में जिस प्रकार लंगर चल रहे हैं, उसी प्रकार अगर सभी धर्मस्थलों पर इस प्रकार की व्यवस्था चलाई जाए, तो इससे अधिक पुण्य का कार्य और कोई नहीं हो सकता। यदि ऐसी व्यवस्था होती है, तो भारत में भुखमरी की समस्या का भी कुछ हद तक समाधान होगा। लंगर वह स्थान है, जहां जात-पात, ऊंच-नीच, स्त्री-पुरुष जैसे भेद समाप्त होकर समाज में समानता, सामंजस्य और समरसता बढ़ती है। अन्न का भी सदुपयोग होगा।
-एकता शर्मा, गरियाबंद, छत्तीसगढ़
..............................
मानवता ही धर्म
सभी धार्मिक स्थलों पर लंगर की व्यवस्था होनी चाहिए, ताकि गरीब और असहाय लोगों को दो वक्त भरपेट भोजन मिल सके। वैसे भी धार्मिक स्थल मानव कल्याण की शिक्षा देते हैं, क्योंकि मानवता से बड़ा कोई धर्म नहीं होता।
-शुभम वैष्णव, सवाई माधोपुर
.............................
हो सकेगा दान का सही उपयोग
चाहे किसी भी धर्म का स्थान हो, वहां लंगर जैसी व्यवस्था अवश्य होनी चाहिए। गरीबों, बेसहारों तथा भूखे लोगों के लिए धर्मस्थल उपयुक्त जगह होनी चाहिए। इससे धार्मिक स्थलों पर आ रहे दान का भी मानव कल्याण के लिए सही जगह इस्तेमाल हो सकेगा।
-हरेन्द्र कुमार त्यागी, धौलपुर
....................
भोजन-पानी पर सबका अधिकार
सभी धर्मस्थलों पर लंगर जैसी व्यवस्था होनी चाहिए। यह बहुत ही आवश्यक है। धर्म की तभी सार्थकता है, जब कोई भी व्यक्ति भूखा ना सोए। धर्म चाहे कोई भी हो भोजन और पानी पर तो सभी का अधिकार होता है।
-प्रिया विनोद, जयपुर
.............................
कोई नहीं सोएगा भूखा
अगर सभी धर्मस्थलों पर लंगर चलेंगे तो कोई भी व्यक्ति भूखा नहीं सोएगा। भारत में दानी लोगों की कमी नहीं है। इस काम में सहयोग के लिए ज्यादा से ज्यादा लोग आगे आएंगे।
-नरेश कस्वां, श्रीगंगानगर
........................
फिर धर्म का क्या मतलब
धर्मस्थलों पर लंगर जैसी व्यवस्था होनी ही चाहिए। कोई भी खाली पेट न रहे। अगर किसी भूखे व्यक्ति को धर्मस्थल पर भी खाना नहीं मिले, तो फिर धर्म का क्या मतलब।
-अनुज जांगिड़, झारोड़ा, झुंझुनू
..........................................
अक्षम लोगों के लिए खाने की व्यवस्था की जाए
देश में बहुत से लोग हैं, जो पूरी तरह दूसरों पर निर्भर हैं । इसका कारण उनकी शारीरिक कमजोरी, विकलांगता, गरीबी या बेरोजगारी हो सकती है। उनके लिए खाने-पीने की व्यवस्था करना जरूरी है।
-पुखराज खण्डेलवाल, सांभरलेक,जयपुर
Published on:
19 Nov 2021 05:52 pm
बड़ी खबरें
View Allओपिनियन
ट्रेंडिंग
