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समयबद्ध तरीके से सैन्य आधुनिकीकरण की जरूरत

नए सीडीएस के सामने कई चुनौतियां हैं। पहला और सबसे महत्त्वपूर्ण कार्य जनरल बिपिन रावत के उद्यमों को पूरा करना - जिसमें तीनों सेनाओं का एकीकरण और उन्हें भविष्य की चुनौतियों के लिए तैयार करना है। देश की ‘राष्ट्रीय सुरक्षा रणनीति’ तैयार करना भी उनके कार्य का एक रूप हो सकता है। आधुनिक काल के पूर्ण पैमाने का युद्ध यदि दुनिया कभी देखेगी तो यह इतिहास के युद्धों से पूरी तरह अलग होगा।

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जयपुर

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Patrika Desk

Oct 12, 2022

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नए सीडीएस के सामने कई चुनौतियां हैं। पहला और सबसे महत्त्वपूर्ण कार्य जनरल बिपिन रावत के उद्यमों को पूरा करना - जिसमें तीनों सेनाओं का एकीकरण और उन्हें भविष्य की चुनौतियों के लिए तैयार करना है। देश की ‘राष्ट्रीय सुरक्षा रणनीति’ तैयार करना भी उनके कार्य का एक रूप हो सकता है। आधुनिक काल के पूर्ण पैमाने का युद्ध यदि दुनिया कभी देखेगी तो यह इतिहास के युद्धों से पूरी तरह अलग होगा। ऐसे में भारत ने विश्व अर्थव्यवस्था और उभरती भू-राजनीति में अपनी रणनीतिक स्थिति के मद्देनजर सेना के आधुनिकीकरण को नई दिशा दी है। भविष्य के लिए तैयार सैन्यबल को सूचना और प्रौद्योगिकी विधा से पूरी तरह वाकिफ होना चाहिए। युद्ध के नए तंत्र में तीन नए पहलू - साइबर, इलेक्ट्रोमैग्नेटिक और स्पेस - जुड़े हैं। नए युग का आर्टिफिशियल इंटेलीजेंस सभी सैन्य गतिविधियों को संबोधित करता है जिसमें क्रूज मिसाइल, लेजर-निर्देशित हथियार, क्लाउड, बिग डेटा और इंटरनेट ऑफ मिलिट्री थिंग्स की तकनीकी सहायता वाले रोबोटिक सैनिक, डेटा और इंटरनेट का भरपूर इस्तेमाल शामिल है। हिन्द महासागर क्षेत्र के बढ़ते भू-सामरिक महत्त्व के मद्देनजर लंबी तटरेखा, द्वीपीय क्षेत्रों की समुद्री सुरक्षा को प्राथमिकता दी जानी चाहिए। नए सीडीएस को उभरती तकनीकों को हासिल करना है जो नौसेना के अभियान क्षमता में बढ़ोतरी करे। क्षेत्रीय और वैश्विक ताकतों की क्षमताओं को देखते हुए भारतीय क्षेत्रीय नौवहन उपग्रह प्रणाली, जिसका ऑपरेशनल नाम नाविक है, का दायरा बढ़ाए जाने की भी जरूरत है।