डर और रोमांच मेरी रगों में एक साथ बह रहा था। लुभावने प्राकृतिक परिदृश्य और पवित्र स्थलों के बीच, पिथौरागढ़ उत्तराखंड का एक महत्त्वपूर्ण हिल स्टेशन है। समुद्र तल से लगभग सोलह सौ मीटर की ऊंचाई पर स्थित यह एक ऐतिहासिक स्थान है, जो सभी को आकर्षित करता है।
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Patrika Opinion: सिस्टम की खामियां बढ़ा रही है लाचारी मानसरोवर और कैलाश तीर्थ यात्रा इसी क्षेत्र से शुरू होती है। नेपाल और तिब्बत की सीमाएं पिथौरागढ़ से लगती हैं, जिसका सामाजिक और सांस्कृतिक प्रभाव भी हमें खूब देखने को मिलता है।
एक तरफ जगह-जगह पर काम करते नेपाली कामगार और इंडो-तिब्बत बॉर्डर फोर्स की छावनियां, तो दूसरी तरफ झरने, सफेद हिमनद, शांत झीलें और बहती हुई नदियों से हमारी थकान और ऊब शांत हो जाती है।
दर्शनीय स्थलों की यात्रा से लेकर प्रकृति की खोज तक के विकल्प इस जगह पर मौजूद हैं, जो हमारी यात्रा के साथ-साथ आत्मा को भी जीवंत कर देते हैं। पिथौरागढ़ में पर्यटकों के लिए कई तरह के आकर्षण मौजूद हैं। यदि आपके पास एक सप्ताह का समय है, तो इस जगह को बहुत ही खूबसूरती के साथ एक्सप्लोर कर सकते हैं। तो जो लोग प्रकृति के बीच रोमांच चाहते हैं, उनके लिए कई स्थान हैं। पिथौरागढ़ किला भी यहां का एक लोकप्रिय स्थान है।
अन्य पर्यटन आकर्षणों में नकुलेश्वर मंदिर, अर्जुनेश्वर मंदिर और कपिलेश्वर मंदिर शामिल हैं। नंदा देवी मंदिर भी आकर्षक है। पिथौरागढ़ के पास ही कफनी ग्लेशियर है। यहां से मानसरोवर और कैलाश यात्रा की शुरुआत भी होती है। इसीलिए पिथौरागढ़ को मानसरोवर और कैलाश का द्वार भी कहा जाता है।
यात्रा लम्बी होने की वजह से कई तरह के पड़ाव अथवा पर्यटन स्थल रास्ते में आते हैं। काठगोदाम पहुंचने पर हल्द्वानी और नैनीताल घूमने का विकल्प रहता है। कैंची धाम भी रास्ते में ही पड़ता है, जो कि नैनीताल का एक प्रसिद्ध स्थल है।
पिथौरागढ़ के अलावा यहां बहुत सारे ऐसे स्थान हैं, जहां सैलानियों का आना-जाना लगा रहता है। चंडाक और खलिया टॉप ऐसे ही स्थान हैं। कुछ लोग यहां पर आकर मुनस्यारी भी जाते हैं। मुनस्यारी में पर्यटकों के लिए घूमने और अपना समय बिताने के लिए काफी कुछ है। नदी, झरने और पहाड़ के साथ-साथ इस जगह पर आपको ट्रैकिंग, कैंपिंग और हरे-भरे घास के मैदान मिल जाते हैं।
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नेतृत्व : जीवन-स्पर्शी और सरल हो संचार पिथौरागढ़ पहुंचने के लिए रास्ता दुर्गम है, लेकिन सभी तरह के साधन मौजूद हैं। हवाई जहाज की सुविधा मौजूद है, लेकिन इसका परिचालन काफी हद तक मौसम पर निर्भर करता है। इसलिए टिकट की बुकिंग करते समय मौसम का ध्यान रखें। उत्तराखंड परिवहन की बसें चलती हैं। ट्रेन की सुविधा काठगोदाम तक है, उसके बाद आपको सड़क मार्ग से जाना होगा।
संजय शेफर्ड
(ट्रैवल ब्लॉगर, मुश्किल हालात में काम करने वाले दुनिया के श्रेष्ठ दस ब्लॉगर में शामिल)