पाठकों की मिलीजुली प्रतिक्रियाएं आईं, पेश हैं चुनिंदा प्रतिक्रियाएं।
जरूरी है समय सीमा
देश की स्वतंत्रता के 75 वर्ष पूर्ण हो जाने के बाद भी जातीय आरक्षण चालू रहना उचित प्रतीत नहीं होता। जातीय आधारित आरक्षण से प्रतिभावान पात्र कुंठित होते हैं। आरक्षित जातियों के संपन्न परिवार भी आरक्षण का लाभ निरंतर लेना चाहते हैं। जातीय आरक्षण से विकास में अवरोध पैदा होता है। या तो इस प्रकार के आरक्षण की समय सीमा निर्धारित की जाए अथवा उसे पूर्णत:समाप्त किया जाना चाहिए।
-के एन शर्मा, विदिशा, मध्य प्रदेश
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पिछड़ों का शोषण
लोकतांत्रिक देश भारत में 26 जनवरी.1950 को संविधान लागू हुआ था। बहुजन बहुसंख्यक पिछड़े समाज के लोग आज 75 वर्षो बाद भी अपने मूल अधिकारों के लिए संघर्षरत है। वांछित अधिकारों से वंचित हैं, उपेक्षित हैं। १५ प्रतिशत अगड़ी जाति के लोग आज भी 85 प्रतिशत पिछड़े समाज के गरीबों का प्रत्यक्ष.परोक्ष रूप से शोषण करने में लगे हुए हैं।
-सांवरमल सैनी, सीकर
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भ्रष्टाचार में भी बढ़ोतरी
जातीय आरक्षण के कारण प्रशासनिक व राजनीतिक क्षेत्र में भ्रष्टाचार बढ़ता है। इससे आर्थिक स्थिति से कमजोर व्यक्ति को न्याय मिलना असंभव सा हो जाता है। लगातार जातीय आधार पर आरक्षण के कारण आरक्षण पर विवाद होता रहता है।
-कृष्ण पंवार, जयपुर
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ठीक नहीं है आरक्षण
देश में जाति की बीमारी को पूर्णतया खत्म करना अनिवार्य है । जाति-धर्म के आधार पर किसी समाज को आरक्षण देने की जरूरत नहीं है। देश को सही तरीका से चलाने वालों को ही वोट दीजिए।
-सोमकुमार नायर, धार, मध्य प्रदेश
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आरक्षण का दुरुपयोग
जातीय आधार पर आरक्षण का लाभ असली वंचित एवं दलितों को नहीं मिल रहा। कलक्टर, विधायक, सांसद और दूसरे अधिकारियों के बच्चे ही आरक्षण का लाभ ले रहे हैं। वास्तविक वंचित दलित का हक सक्षम लोग मार रहे हैं। वे बार बार आरक्षण लेकर जातीय आरक्षण का दुरुपयोग कर रहे है।
-डा अनिल शर्मा, कोटा
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आरक्षण का आधार
जातीय आरक्षण को खत्म कर आर्थिक आधार पर आरक्षण कर देना ही न्यायोचित होगा। जातीय आधार पर आरक्षण से उनको भी लाभ मिल जाता है जो आर्थिक रूप से मजबूत हंै और गरीब आरक्षण से वंचित हो जाता है।
-दिलीप शर्मा, भोपाल,मध्यप्रदेश
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सक्षम को न मिले आरक्षण
जातीय आधार पर आरक्षण के मामले पर विवाद का मूल कारण आर्थिक है। आरक्षण का लाभ प्राप्त कर चुकी कुछ जातियां तो आर्थिक रूप से सक्षम हो चुकी हंै, दूसरी कुछ जातियां पिछड़ी हुई हैं। सक्षम हो चुकी जातियों को आरक्षण सीमा से बाहर कर देने पर विचार करना चाहिए तथा वंचित जातियों को जिन्हें आरक्षण की जरूरत है को ही आरक्षण का लाभ देकर विवाद समाप्ति की पहल की जानी चाहिए।
-सुनील पारीक, कोटपूतली
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योग्यता की उपेक्षा
जब भी जाति के आधार पर आरक्षण होता है, तब योग्यता उपेक्षित होती है। आरक्षण जाति विशेष के आधार पर नहीं होना चाहिए । जातीय आधार पर आरक्षण से समाज में भेदभाव की भावना उत्पन्न होती है।आरक्षण नियम बंद होना चाहिए ।
-कविता गगरानी, कन्नौज