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चुनौतियों के साथ आते हैं अवसर भी

प्रो. हिमांशु राय  निदेशक, आइआइएम इंदौरवर्तमान डिजिटल युग में प्रभावी नेतृत्व का मतलब है तकनीक का सही और उचित उपयोग करना, सहयोग को बढ़ावा देना और वास्तविक दुनिया की चुनौतियों का समाधान करना। आइआइएम इंदौर में मेरे कार्यकाल के दौरान शुरू की गई प्रमुख पहलों में से एक आइआइटी इंदौर के सहयोग से एक नए […]

जयपुरDec 09, 2024 / 10:28 pm

Sanjeev Mathur


प्रो. हिमांशु राय निदेशक, आइआइएम इंदौर
वर्तमान डिजिटल युग में प्रभावी नेतृत्व का मतलब है तकनीक का सही और उचित उपयोग करना, सहयोग को बढ़ावा देना और वास्तविक दुनिया की चुनौतियों का समाधान करना। आइआइएम इंदौर में मेरे कार्यकाल के दौरान शुरू की गई प्रमुख पहलों में से एक आइआइटी इंदौर के सहयोग से एक नए डिग्री प्रोग्राम का शुभारंभ था। प्रबंधन और प्रौद्योगिकी के बढ़ते प्रचलन के तहत, इस साझेदारी का उद्देश्य विद्यार्थियों को अंत:विषय विशेषज्ञता से लैस करना था। कार्यक्रम ने प्रबंधन शिक्षा की विश्लेषणात्मकता को इंजीनियरिंग की तकनीकी दक्षता के साथ जोड़ा। इसमें छात्रों को जटिल वैश्विक चुनौतियों को समझने और उनका समाधान खोजने की क्षमता विकसित करने के लिए तैयार किया गया।
एक संस्थान की आधारभूत संरचना संस्थान की सफलता में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाती है। इसी बात को ध्यान में रखकर हमने डिजिटल कैंपस मैनेजमेंट सिस्टम के निर्माण को प्राथमिकता दी। इस पहल ने प्रशासनिक प्रक्रियाओं को सुव्यवस्थित किया, सीखने के अनुभवों को बढ़ाया और छात्रों और शिक्षकों दोनों के लिए संसाधनों तक निर्बाध पहुंच प्रदान की। डिजिटल अटेंडेंस ट्रैकिंग से लेकर अकादमिक प्रदर्शन के लिए एआई-संचालित एनालिटिक्स तक, सिस्टम ने सिद्ध कर दिया कि तकनीक के प्रयोग से एक अधिक कुशल और आकर्षक शैक्षणिक वातावरण का निर्माण किया जा सकता है।
हमने डेटा एनालिटिक्स का उपयोग करके सामाजिक समस्याओं को हल करने के उद्देश्य से परियोजनाएं शुरू कीं। उदाहरण के लिए, हमने बेहतर शहरी नियोजन के लिए ट्रैफिक पैटर्न का विश्लेषण करने की पहल पर काम किया और सार्वजनिक स्वास्थ्य में संसाधन आवंटन को अनुकूलित करने के लिए पूर्वानुमान मॉडलिंग का उपयोग किया। इन परियोजनाओं के माध्यम से हमने यह भी सिद्ध किया कि शैक्षणिक संस्थान अपने बौद्धिक संसाधनों का उपयोग सार्थक सामाजिक प्रभाव उत्पन्न करने के लिए कर सकते हैं। यह सत्य है कि डिजिटल युग चुनौतियां लाता है, पर अवसर भी प्रस्तुत करता है।
अपने अनुभवों से प्राप्त हुए कुछ महत्त्वपूर्ण बिंदु इस प्रकार हैं, जो सभी लीडरों के लिए प्रासंगिक हैं :
  1. सहयोग को अपनाएं : आइआइटी इंदौर जैसे संस्थानों के साथ साझेदारी करने से ज्ञात हुआ कि सहयोग से नई संभावनाएं खुल सकती हैं। लीडर्स को ऐसी साझेदारी को बढ़ावा देना चाहिए जो संस्थान की शक्ति को बढ़ाए और तालमेल बनाए।
  2. निरंतर सीखते रहें : विकसित होती तकनीक के साथ सुनिश्चित करें कि आप और आपकी टीम दोनों ही कुछ नया सीखते रहें। हमारी कार्यकारी शिक्षा कार्यक्रम जैसी पहल इस प्रतिबद्धता को दर्शाती है।
  3. डेटा का बुद्धिमानी से लाभ उठाएं : डेटा एक शक्तिशाली उपकरण है, लेकिन इसकी असली क्षमता वास्तविक दुनिया की चुनौतियों के लिए इसके अनुप्रयोग में निहित है। डेटा विश्लेषण और कार्यवाही योग्य अंतर्दृष्टि के बीच के अंतर को दूर करें।
  4. अनुकूलनशील तंत्र बनाएं : आइआइएम इंदौर का डिजिटल कैंपस सिखाता है कि अनुकूलनशीलता और लचीलापन विकास और नवाचार को बनाए रखने के लिए महत्त्वपूर्ण हैं।
  5. उद्देश्य में नवाचार को शामिल करें : चाहे वह सामाजिक मुद्दों को संबोधित करना हो या छात्रों को सशक्त बनाना हो, तकनीक का उपयोग उद्देश्य-संचालित नवाचार से स्थायी प्रभाव के लिए करें। नवाचार, सहयोग और सामाजिक प्रभाव को बढ़ावा देकर, हमने प्रदर्शित किया कि लीडर सही उद्देश्य के साथ डिजिटल युग में निरंतर आगे बढ़ सकते हैं।

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