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आपकी बात : क्या आप मानते हैं कि स्कूली शिक्षा में स्थानीय भाषा को भी शामिल करना चाहिए?

पाठकों ने इस पर विभिन्न प्रतिक्रियाएं दी हैं। प्रस्तुत है पाठकों की कुछ प्रतिक्रियाएं

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जयपुर

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Neeru Yadav

May 21, 2025

स्थानीय भाषा को सम्मान मिलेगा
शिक्षा की गुणवत्ता और समावेशिता बढ़ाने के लिए स्कूली पाठ्यक्रम में स्थानीय भाषा को स्थान देना आवश्यक है, जिससे बच्चे अपनी सांस्कृतिक जड़ों परंपराओं और मूल्यों से जुड़े रहेंगे और उन्हें अपनी संस्कृति और भाषा को समझने का अवसर मिलेगा जिसकी वजह से उनमें आत्मविश्वास बढ़ेगा। भाषाई भेदभाव समाप्त होगा। बच्चे शिक्षा के प्रति अधिक उत्साहित होंगे। स्थानीय भाषा को सम्मान मिलेगा तो बच्चे अधिक प्रगति कर सकेंगे। - लहर सनाढ्य, उदयपुर

संस्कृति से जुड़ाव होगा
अन्य भाषाओं की अपेक्षा स्कूली बच्चे अपनी स्थानीय भाषा में चीजों को जल्दी और बेहतर सीखते हैं। स्थानीय भाषा को शिक्षा में शामिल करने से बच्चों को अपनी संस्कृति से जोड़ने के साथ ही भाषा के विकास को भी बढ़ावा मिलेगा। साथ ही शैक्षणिक प्रदर्शन में सुधार होगा। स्थानीय भाषाओं की कमी के कारण कई बच्चे शिक्षा से दूर होते जाते हैं इसलिए बेहतर शिक्षा के लिए स्थानीय भाषा को शामिल करना चाहिए। - तरुणा साहू, राजनांदगांव (छत्तीसगढ़)

स्थानीय भाषाएं लुप्त नहीं होंगी
स्थानीय भाषाओं को स्कूली शिक्षा के पाठ्यक्रम में शामिल करने से उनका अस्तित्व बरकरार रहेगा। भाषाएं चलन में बनी रहेंगी। स्थानीय भाषाओं के संबंध में बच्चों का ज्ञान बढ़ेगा। वे लुप्त होने से बची रहेंगी। - ललित महालकरी, इंदौर

संज्ञानात्मक कौशल में वृद्धि होगी
स्कूली शिक्षा में स्थानीय भाषा को शामिल करना चाहिए। क्योंकि इससे बच्चों में समाज और संस्कृति के मूल्यों का विकास होगा और मातृभाषा में सीखने से संज्ञानात्मक कौशल में वृद्धि के साथ शैक्षणिक प्रदर्शन बेहतर होगा, स्थानीय भाषा शिक्षा को आत्मीय, सजीव एवं प्रभावशाली बनाती है। - किशोर लेगा, बालोतरा

शिक्षा व संस्कृति का जुड़ाव बना रहेगा
स्थानीय भाषा भावों की अभिव्यक्ति है। इसी कारण स्थानीय भाषा को स्कूली शिक्षा में प्राथमिकता देनी चाहिए। क्योंकि इस भाषा के माध्यम से विद्यार्थी अपनी आंतरिक जिज्ञासाओं/प्रश्नो को सहजता से शिक्षक के सामने रख सकता हैं। स्थानीय भाषा को स्कूली शिक्षा में शामिल करने से शिक्षा और संस्कृति का जुड़ाव बना रहता है। - शुभम् शर्मा, जयपुर

सीखने में आसानी
भाषा सीखने और समझने का सबसे उत्तम तरीका, स्थानीय या मातृभाषा है। स्थानीय भाषा के प्रयोग से बच्चों को पढ़ने में आसानी होती है और बच्चे चीज़ो को आसानी से सीख भी लेते है। स्थानीय भाषा बच्चों में पढ़ाई के प्रति रूचि का साधन बनती है, तथा बच्चे कक्षा में उबते नहीं जिससे शिक्षक की बातों पर ध्यान बना रहता है। - अंजलि सुन्द्रियाल, उत्तराखंड

स्कूली पाठ्यक्रम के प्रति सहज आकर्षण बढ़ेगा
स्कूली शिक्षा में स्थानीय भाषा शामिल करने से बच्चों में अपनी संस्कृति, परिवेश और समुदाय के प्रति सम्मान का भाव बढ़ेगा। स्थानीय भाषा के माध्यम से उसे अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता मिलेगी और उसका ज्ञान, समझ तेजी से विकसित होगा एवं पाठ्यक्रम के प्रति सहज आकर्षण बढ़ेगा। - सतीश उपाध्याय, मनेंद्रगढ़ (छत्तीसगढ़)

समावेशी विकास संभव होता
जिस तरह अनुकूल माटी से ही बीज का अंकुरण संभव है। उसी प्रकार स्थानीय भाषा से ही विद्यार्थियों का स्कूली शिक्षा में समावेशी विकास संभव है। छात्र-अध्यापक के निर्बाध व सहज संप्रेषण में दोनों का स्थानीय भाषी होना उचित होगा। - योगेश सुथार

जरूरी नहीं शामिल करना
आज का दौर एआइ का है और अन्तरराष्ट्रीय स्तर पर हम ऑनलाइन प्लेटफार्म से जुड़े हुए हैं। स्कूली शिक्षा में स्थानीय भाषा को शामिल करना अब आवश्यक नहीं है। स्थानीय भाषा घर व एक सामाजिक दायरे तक ही सीमित हो सकती है लेकिन देश के विकास व निर्माण में स्थानीय भाषा का कोई अर्थ नहीं रह जाता। - गजाला परवीन, जयपुर

बच्चे रुचि से पढ़ेंगे
स्कूली शिक्षा में प्राथमिक स्तर पर अगर स्थानीय भाषा को शामिल किया जाता है तो बच्चों की समझने, सोचने, जानने की क्षमता में सुधार होगा। वे रुचि से पढ़ेंगे। वहीं स्थानीय भाषा को शामिल करना बच्चों के मानसिक व शारीरिक विकास को गति देगा। - शिवजी लाल मीना, जयपुर