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आपकी बात : प्राचीन शिक्षा परंपरा को पुनर्जीवित करने को लेकर आपके क्या विचार हैं?

पाठकों ने इस पर विभिन्न प्रतिक्रियाएं दी हैं। प्रस्तुत हैं पाठकों की विभिन्न प्रतिक्रियाएं।

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जयपुर

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Opinion Desk

Sep 09, 2025

गुरुकुल पद्धति वर्तमान में प्रासंगिक
प्राचीन शिक्षा पद्धति को पुनर्जीवित करने के लिए गुरुकुल प्रणाली को विकसित करना आवश्यक है। इसमें विद्यार्थी अनुशासन, संस्कार, सहयोग और जीवन मूल्यों को आत्मसात करते थे। आधुनिक शिक्षा के साथ गुरुकुल परंपरा को जोड़कर ज्ञान और नैतिकता का संतुलन स्थापित किया जा सकता है। आज की लोकतांत्रिक पद्धति से विद्यार्थियों को विचारों की स्वतंत्रता और सामाजिक चेतना मिलेगी। - विशंभर थानवी, प्राध्यापक,फलोदी

सरकार की ओर से हों प्रयास
वर्तमान समय में देश में प्राचीन शिक्षा परंपरा लगभग खत्म होने के कगार पर है, लेकिन सरकार प्राचीन शिक्षा परंपरा को पुनर्जीवित करने के लिए गंभीर नहीं है, जो चिंतनीय है सरकार को सभी शासकीय व निजी स्कूलों में प्राचीन शिक्षा परंपरा को पुनर्जीवित करने के लिए इसे सभी वर्ग के कक्षाओं के लिए पाठ्यक्रम में शामिल करना चाहिए और देश के सभी महान क्रांतिकारियों, महापुरुषों के जीवनी के बारे में छात्रों को ज्ञान हो इसके लिए अलग से पाठ्यक्रम बनाया जाना चाहिए और इसके लिए सरकार को योग्य शिक्षकों की भर्ती करना चाहिए, जो प्राचीन शिक्षा परंपरा व महान क्रांतिकारियों, महापुरुषों के जीवनी के बारे में छात्रों को समझाएं। सरकार को ऐसी स्थाई व्यवस्था करना चाहिए, जिससे कि प्राचीन शिक्षा परंपरा कायम रहे ये किसी भी कीमत पर खत्म न हो। - आलोक वालिम्बे, बिलासपुर

गौरवमयी थी हमारी शिक्षण परम्पराएं
प्राचीन भारतीय शिक्षा पद्धति आधुनिक शिक्षा पद्धति से सर्वथा भिन्न थी। कठोर अनुशासन, उच्च चारित्रिक गुण, समादर भाव, नैतिकता आदि प्राचीन शिक्षण परम्परा के प्रमुख अंग थे। आधुनिक शिक्षा पद्धति इन गौरवमयी संस्कारों एवं गुणों से हीन होकर मात्र व्यवसाय आधारित हो गई है। इस प्रकार प्राचीन शिक्षण संस्कृति के समावेश से आधुनिक शिक्षा में सुधार किया जा सकता है। - मनु प्रताप सिंह, खेतड़ी

प्रकृति की गोद में शिक्षा
पुराने समय में शिष्यों को पेड़ों के नीचे बैठाकर पढ़ाया जाता था, क्योंकि उनकी ये सोच थी कि बालक प्रकृति की गोद में रहकर पढ़ता हैं तो उसका मानसिक विकास तेज होता हैं, ये परंपरा पुनः जीवित होनी चाहिए इससे आजकल के बच्चे भी अपनाएंगे। - प्रियव्रत चारण, जोधपुर